
Film Review: ‘Kis Kisko Pyaar Karoon 2’. कपिल शर्मा के शो का ही एक्सटेंशन है.
प्रकाश हिन्दुस्तानी
कपिल बचकानी हरकतों और बातों से ऑडियंस को हंसाने की कला के धुरंधर हैं. छोटे पर्दे के बाद यही काम वे सिनेमा के बड़े पर्दे पर भी कर रहे हैं. यह उनकी 2015 में आई डेब्यू फिल्म ‘किस किसको प्यार करूं’ का सीक्वल है, वे यहां भी तीन बीवियों के फेर में फंस जाते हैं। कपिल की फ़िल्म में लॉजिक ढूंढने की गलती, गलती से भी ना कीजिएगा।
मोहन अपने प्यार की खातिर पहले टोपी पहनकर महमूद, फिर सूट पहनकर माइकल और फिर पगड़ी पहनकर मंजीत बन जाता है. हालात और संजोग ऐसे कि वह बेबस है. ग़फ़लत और धोखे से भरी दुनिया में उसका प्यार सच्चा है और वह बात बात में फुलझड़ियां छोड़ता है. गोवा के चर्च में वह मदर मेरी से दुआ करता है कि ओ मदर मेरी, सुन तो ले मेरी! पठानी सूट और गोल टोपी लगाए वह पूजा का सामान लेने जाता है और अपने पंडित पिता से टकरा जाता है.
कहां तो युवकों की एक नहीं होती और वह बंदा तीसरी के बाद चौथी के चक्कर में भी है. वह भी बिना सुहागरात मनाये! उसे मोहन को मीरा (त्रिधा चौधरी), महमूद को रूही (आयशा खान) और माइकल को जेनी (पारुल गुलाटी) के रूप में दुल्हन मिलती है. तिस पर भी वह अपने प्यार सिमरन को पाने के लिए सरदार मंजीत बन जाता है. बचकाना लगता है जब हीरो की झोली में एक एक करके दुल्हनें ऐसे आती हैं मानो स्विगी वाला दस दस मिनट में डिलीवरी दे रहा हो!
‘मजनू भगाओ बेटी बचाओ’ आंदोलन वाली जैमी लीवर भी हंसाने आती हैं और कुछ दृश्यों में अंग्रेजों के जमाने के जेलरयानी असरानी भी, जिन्हें फ़िल्म समर्पित की गई है.
इस फिल्म का एक बड़ा हिस्सा भोपाल में शूट हुआ है बड़े पर्दे पर भोपाल का तालाब, लेक ड्राइव, माल, विण्ड एंड वेव्स रेस्टोरेंट और न्यू मार्केट आदि देखना अच्छा लगता है.
कई लोगों को यह फ़िल्म लाउड, मेस्सी, आउटडेटेड ह्यूमर लग सकती है,
लेकिन कपिल की फ़िल्म देखते हुए लॉजिक ढूंढना वैसा ही है जैसे पानी पूरी की प्लेट में प्रोटीन का पावर खोजना या चाय के कप में हेल्दी स्मूदी तलाश करना!
चटपटी पानी पूरी जैसी फ़िल्म है यह!
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