Film Review: ‘टालनीय’ है फिल्म घुसपैठिया

Film Review: ‘टालनीय’ है फिल्म घुसपैठिया

 

‘घुसपैठिया’ फिल्म में कोई बड़ा कलाकार नहीं है,  निर्देशक भी नामी नहीं है, लेकिन कहानी का विषय नया और लोकेशन लखनऊ है। शानदार कैमरा वर्क  है और कसी हुई स्क्रिप्ट है। गीत संगीत औसत है।  15 अगस्त को आधा दर्जन फिल्में रिलीज हो रही हैं, उसके पहले 9 अगस्त को घुसपैठिया रिलीज हो गई। यह फिल्म ऐसे घुसपैठिया के बारे में है जो आपके-हमारे, घर और ऑफिस में घुस आया है और उसका नाम है मोबाइल, टेलीफोन और  इंटरनेट।

कॉल हैकिंग वैश्विक घटनाक्रम का हिस्सा है, जिसके जरिए जासूसी होती है। अपराधी पकड़े जाते हैं। नए अपराधों को अंजाम दिया जाता है और भी बहुत सारे घटनाक्रम को यह घुसपैठिया अंजाम देता है।  यह जहां-तहां घुसपैठ कर लेता है। हमारे घरों में घुसकर रिकॉर्डिंग कर रहा है। यह बहुत खतरनाक है और यही इस फिल्म का हिस्सा है।

उत्तर प्रदेश के डीजीपी इन्स्पेक्टर रवि  को कुछ टेलीफोन नंबर देते हैं और कहते हैं कि इन टेलीफोन को सर्विलांस पर रखा जाए।   इनकी बातें सुनी जाए। और मुझे, केवल मुझे रिपोर्ट की जाये। उसमें कुछ नंबर नेताओं केहैं, कुछ  उद्योगपतियों के है, और कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के भी होते हैं, जिन पर निगाह रखी जानी होती है। रवि बेहद ईमानदार छवि का अफसर है। सर्विलांस दौरान रवि को ऐसी सूचनाएं मिलती हैं, जिससे उसका जीवन बदल जाता है।  कुछ  सूचनाएं  उसे अंदर तक हिला देती हैं।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का महिला पुलिसकर्मी के साथ प्रेम संबंध है, विधायकों की खरीद-फरोख्त में करोड़ों की सौदेबाजी हो रही है । काले धन की अफरा-तफरी का मामला भी है। इसी बीच उसे एक आवाज सुनाई देती है जो परिचित लगती है और जब ध्यान देता है तब पता चलता है कि यह आवाज तो उसकी पत्नी की है जो किसी और से छुप-छुपकर प्रेम पूर्वक बातें कर रही है। वह बिफर जाता है और कहानी एक अलग मोड़ ले लेती है।

यह एक सस्पेंस थ्रिलर फिल्म है, जिसमें रोमांस भी है,  लेकिन इस फिल्म में बहुत बड़े मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया है। कहानी को उत्तर प्रदेश तक सीमित रखा गया है।  इसे एक प्रेम कहानी के इर्द-गिर्द बना दिया  है। अंत कल्पना  से परे है। स्वाभाविक भी नहीं लगता।  बुरे काम का बुरा नतीजा निकलता है। कलाकारों में उर्वशी रौतेला, विनीत कुमार सिंह, अक्षय ओबेरॉय प्रमुख हैं। मणि रत्नम के सहयोगी रहे सुसी गणेशन की यह फिल्म पांच साल से निर्माणाधीन थी, कोरोना का असर इसके निर्माण पर भी पड़ा।

औसत फिल्म है। इसे देखना टाल सकते हैं।  टालनीय !

*डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी* next week 5 movies

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी जाने-माने पत्रकार और ब्लॉगर हैं। वे हिन्दी में सोशल मीडिया के पहले और महत्वपूर्ण विश्लेषक हैं। जब लोग सोशल मीडिया से परिचित भी नहीं थे, तब से वे इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। पत्रकार के रूप में वे 30 से अधिक वर्ष तक नईदुनिया, धर्मयुग, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर आदि पत्र-पत्रिकाओं में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा वे हिन्दी के पहले वेब पोर्टल के संस्थापक संपादक भी हैं। टीवी चैनल पर भी उन्हें कार्य का अनुभव हैं। कह सकते है कि वे एक ऐसे पत्रकार है, जिन्हें प्रिंट, टेलीविजन और वेब मीडिया में कार्य करने का अनुभव हैं। हिन्दी को इंटरनेट पर स्थापित करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही हैं। वे जाने-माने ब्लॉगर भी हैं और एबीपी न्यूज चैनल द्वारा उन्हें देश के टॉप-10 ब्लॉगर्स में शामिल कर सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके अलावा वे एक ब्लॉगर के रूप में देश के अलावा भूटान और श्रीलंका में भी सम्मानित हो चुके हैं। अमेरिका के रटगर्स विश्वविद्यालय में उन्होंने हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर अपना शोध पत्र भी पढ़ा था। हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर पीएच-डी करने वाले वे पहले शोधार्थी हैं। अपनी निजी वेबसाइट्स शुरू करने वाले भी वे भारत के पहले पत्रकार हैं, जिनकी वेबसाइट 1999 में शुरू हो चुकी थी। पहले यह वेबसाइट अंग्रेजी में थी और अब हिन्दी में है।

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर एक किताब भी लिखी, जो केवल चार दिन में लिखी गई और दो दिन में मुद्रित हुई। इस किताब का विमोचन श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक दिन पहले 25 मई 2014 को इंदौर प्रेस क्लब में हुआ था। इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया पर ही डॉ. अमित नागपाल के साथ मिलकर अंग्रेजी में एक किताब पर्सनल ब्रांडिंग, स्टोरी टेलिंग एंड बियांड भी लिखी है, जो केवल छह माह में ही अमेजॉन द्वारा बेस्ट सेलर घोषित की जा चुकी है। अब इस किताब का दूसरा संस्करण भी आ चुका है।