Film Review: द यूपी फाइल्स- यूपी की फाइलों का एक पन्ना 

Film Review: द यूपी फाइल्स- यूपी की फाइलों का एक पन्ना 

इस शुक्रवार को लगी ‘द यूपी फाइल्स’ कहने को तो पोलिटिकल ड्रामा फिल्म है, लेकिन इसमें राजनीति कम और पुरानी सरकारों की आलोचना ही दिखाई गई है. इस फिल्म से न तो योगी आदित्यनाथ की छवि चमकती है, न यूपी की। फिल्म ‘योगी आदित्यनाथ’ पर नहीं, ‘सीएम आदित्यनाथ’ की स्तुति लगती है. फिल्म का नाम होना था – योगी सरकार की जय जयकार !

इसमें अयोध्या, राम मंदिर, कावड़ यात्रा, नरेंद्र मोदी, हाईकमान, प्रदेश की भीतरी राजनीति आदि तो है ही नहीं, योगी के बुलडोज़र राज्य का जिक्र की केवल दिखावे के लिए है। योगी का मूल नाम अजय सिंह बिष्ट है, तो फिल्म में योगी बने मनोज जोशी का नाम अभय सिंह है। हिन्दीभाषी यूपी के सीएम के मराठी उच्चारण अटपटे लगते हैं।  ऐसा लगता है कि निर्देशक को मुख्यमंत्री सचिवालय, पुलिस तंत्र और ब्यूरोक्रेसी का काम करने  का तरीका मालूम ही नहीं  है। फिल्म में  ब्यूरोक्रेट्स कॉमेडियन हैं और डीजीपी किसी इन्स्पेक्टर की तरह। सीएम पुलिस प्रमुख से अबे-तुबे की भाषा बोलता है। फिल्म में उत्तरप्रदेश के बारे में कोई गहरी बात नहीं है। सिवाय इसके कि योगी जी विधायकों के चुने हुए नहीं, हाईकमान के आदेश से बनने वाले मुख्यमंत्री हैं।

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फिल्म देखो तो लगेगा कि योगी के आने के बाद यूपी में राम-राज्य आ गया है। कानून व्यवस्था सौ प्रतिशत पटरी पर हैं।  क्राइम ख़त्म हो चुके हैं, रेप और मर्डर की वारदातें  नहीं होतीं, क्योंकि यह काम तो एक वर्ग विशेष ही करता था और अब वह कंट्रोल में है। सीएम बार-बार कहते हैं – न गीता से न कुरान से, देश चलेगा केवल संविधान से। बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान की कदर, न एक इंच इधर, न एक इंच उधर। लेकिन खुद सीएम एक महिला  इंस्पेक्टर को सीधे राज्य महिला अपराध कंट्रोल का प्रमुख बना देते हैं – जो यह कहती है कि मैं पहले एक्शन लेती हूँ, फिर इन्वेस्टिगेशन करती हूँ।

फिल्म में सीएम का सिर्फ यही अंदाज़ देखने को मिलता है – मां कसम, बदला लूंगा, एक एक को देख लूंगा और पूरे घर के बदल डालूंगा। केवल विरोधी नेताओ और धर्म विशेष के गुंडों को निपटाऊंगा। आपदा प्रबंधन और कुम्भ आयोजन के घोटालों पर यूपी की विधान परिषद में हंगामे होते रहे हैं, उनका इशारा  तक नहीं है। फिल्म में मनोज जोशी अलावा मंजरी फडनीस, मिलिंद गुनाजी, अमन वर्मा, शाहबाज खान, अली असगर, वैभव माथुर, अवतार गिल आदि हैं। गाने जबरन डाले हैं।  लगता है कि निर्देशक पर दबाव था कि योगी के सीएम रहते हुए फिल्म रिलीज़ हो जाए !

यह यूपी फाइल्स नहीं, किसी फ़ाइल का केवल एक पन्ना ही है। यह फिल्म दो घंटे की है फिर भी अझेलनीय है। देखने मत चले जाना !

 

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी जाने-माने पत्रकार और ब्लॉगर हैं। वे हिन्दी में सोशल मीडिया के पहले और महत्वपूर्ण विश्लेषक हैं। जब लोग सोशल मीडिया से परिचित भी नहीं थे, तब से वे इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। पत्रकार के रूप में वे 30 से अधिक वर्ष तक नईदुनिया, धर्मयुग, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर आदि पत्र-पत्रिकाओं में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा वे हिन्दी के पहले वेब पोर्टल के संस्थापक संपादक भी हैं। टीवी चैनल पर भी उन्हें कार्य का अनुभव हैं। कह सकते है कि वे एक ऐसे पत्रकार है, जिन्हें प्रिंट, टेलीविजन और वेब मीडिया में कार्य करने का अनुभव हैं। हिन्दी को इंटरनेट पर स्थापित करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही हैं। वे जाने-माने ब्लॉगर भी हैं और एबीपी न्यूज चैनल द्वारा उन्हें देश के टॉप-10 ब्लॉगर्स में शामिल कर सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके अलावा वे एक ब्लॉगर के रूप में देश के अलावा भूटान और श्रीलंका में भी सम्मानित हो चुके हैं। अमेरिका के रटगर्स विश्वविद्यालय में उन्होंने हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर अपना शोध पत्र भी पढ़ा था। हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर पीएच-डी करने वाले वे पहले शोधार्थी हैं। अपनी निजी वेबसाइट्स शुरू करने वाले भी वे भारत के पहले पत्रकार हैं, जिनकी वेबसाइट 1999 में शुरू हो चुकी थी। पहले यह वेबसाइट अंग्रेजी में थी और अब हिन्दी में है।

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर एक किताब भी लिखी, जो केवल चार दिन में लिखी गई और दो दिन में मुद्रित हुई। इस किताब का विमोचन श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक दिन पहले 25 मई 2014 को इंदौर प्रेस क्लब में हुआ था। इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया पर ही डॉ. अमित नागपाल के साथ मिलकर अंग्रेजी में एक किताब पर्सनल ब्रांडिंग, स्टोरी टेलिंग एंड बियांड भी लिखी है, जो केवल छह माह में ही अमेजॉन द्वारा बेस्ट सेलर घोषित की जा चुकी है। अब इस किताब का दूसरा संस्करण भी आ चुका है।