FIR Lodged : दो दिन पहले डिप्टी कलेक्टर बनी महिला अधिकारी पर FIR दर्ज!

तत्कालीन महिला नायब तहसीलदार पर दस्तावेजों में गड़बड़ी का मामला

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Strict Action of Collector

FIR Lodged : दो दिन पहले डिप्टी कलेक्टर बनी महिला अधिकारी पर FIR दर्ज!

Indore : अरविंद मिश्रा की रिपोर्ट पर सिमरोल थाना क्षेत्र की तत्कालीन नायब तहसीलदार राधा महंत के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है। अरविंद मिश्रा ने पुलिस को बताया कि उसने ग्राम चिकली में किसान सुखलाल से जमीन खरीदी थी। लेकिन, राधा महंत ने षडयंत्र पूर्वक सुखलाल की जाति में धोखाधड़ी पूर्वक फर्जी एवं कूट रचित दस्तावेज के आधार पर अवैध लाभ अर्जित किया। ये नायब तहसीलदार दो दिन पहले ही डिप्टी कलेक्टर बनी है।

आदिवासी की जमीन के मामले में जांच पूरी होने के बाद इंदौर में पदस्थ रही नायब तहसीलदार इस मामले में उलझ गई। दो दिन पहले जिस महिला अधिकारी का प्रमोशन हुआ और वह तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर बनी, उस पर आदिवासी की जमीन की फर्जी तरीके से रजिस्ट्री मामले में एफआईआर दर्ज हो गई। मामला उस समय का है, जब वे इंदौर के सिमरोल टप्पे में नायब तहसीलदार थी। उनके खिलाफ ये शिकायत कई दिनों पहले हुई थी, लेकिन जांच पूरी होने के बाद अब उस पर कार्रवाई हुई। सिमरोल पुलिस के मुताबिक अरविंद मिश्रा की शिकायत पर तत्कालीन तहसीलदार टप्पा सिमरोल राधा महंत पर एफआईआर दर्ज की गई है।

बताया गया कि महंत परसों आई प्रमोशन की लिस्ट में रतलाम में तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर बनी है। पुलिस का कहना है कि 2011 में वह सिमरोल टप्पे की नायब तहसीलदार थी। उस दौरान अरविंद मिश्रा ने महू तहसील के चिखली में एक जमीन खरीदी थी। जमीन सुखलाल नानका भील की थी। बताया जा रहा है कि महंत ने सर्वे नंबर 43/32 की उस जमीन में जमीन मालिक की जाति भील से हरिजन दर्शाते हुए कूटरचित राजस्व आदेश का निर्माण कर परिवर्तन किया और फरियादी से अवैध लाभ प्राप्त किया। बताया जा रहा है कि जिस आदिवासी की जमीन थी, वह उसे सरकार ने आवंटित की थी।

पहले भी दर्ज हो चुका मामला

सिमरोल पुलिस ने बताया कि इस मामले में इससे पहले भी एक एफआईआर दर्ज हो चुकी है, जिसमें गेहलोद समेत तीन लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें दो वे आरोपी शामिल थे, जिनके नाम जमीन की पॉवर ऑफ अटर्नी था। बताया जा रहा है कि एफआईआर के बाद पुलिस ने 2020 में न्यायालय में चालान भी पेश किया था। गेहलोद इस दौरान फरार था। फरारी में ही उसकी मौत भी हो गई। महंत के खिलाफ इंदौर कलेक्टर ऑफिस में शिकायत हुई थी, जिसके बाद जांच हुई और महू एसडीएम ने महंत को दोषी पाया था।