Khandwa : अग्निसुरक्षा के प्रति जन जागरूकता लाकर त्रासद और भीषण अग्निकांड रोके जा सकते हैं। स्कूलों में विद्यार्थियों को इस तरह का प्रशिक्षण देकर विद्याकुंज इंटरनेशनल स्कूल ने आज अभिनव पहल की।
अग्निशमन का स्कूल में न केवल लाइव डिमोस्ट्रेशन दिया गया, बल्कि स्टूडेंट्स को स्वयं अग्निशमन उपकरण का उपयोग कर आग बुझाने का प्रशिक्षण भी दिया गया।
जबलपुर के निजी अस्पताल में सोमवार को हुए भीषण अग्निकांड में 8 लोगों की मृत्यु के त्रासद हादसे के बाद खंडवा के विद्याकुंज इंटरनेशनल स्कूल ने यह सामयिक पहल की है।
विद्याकुंज के डायरेक्टर जय नागड़ा ने बताया कि आमतौर पर सार्वजनिक संस्थानों, स्कूल्स, हॉस्पिटल्स, सिनेमा हॉल आदि में अग्निसुरक्षा के उपकरण तो लगे होते हैं, लेकिन इनका उपयोग कैसे करना है, इसकी जानकारी कम ही लोगों को होती है।
कई बार जब किसी दुर्घटना की स्थिति में इन अग्निशमन उपकरणों का उपयोग करने की कोशिश होती है, पर वे कर नहीं पाते हैं। अक्सर आग छोटी चिंगारी से सीमित जगह पर लगती है, जिसे तत्काल नियंत्रित कर लिया जाए, तो उसे बड़े अग्निकांड में तब्दील होने से रोका जा सकता है।
आमतौर पर हर बड़े अग्निकांड के बाद लोग फायर ब्रिगेड के देर से पहुँचने की शिकायत करते है या फायर ब्रिगेड समय पर पहुँच भी जाए तो बिजली विभाग के कर्मचारी का इंतज़ार होता है। क्योंकि, विद्युत् संयोजन विच्छेदित किए बिना यदि फ़ायर ब्रिगेड काम करना शुरू कर दे तो जानलेवा करन्ट फैलने का ख़तरा होता है।
विद्याकुंज इंटरेनशनल स्कूल की प्रिंसिपल किरण पीटर ने बताया कि विद्याकुंज में निर्धारित पाठ्यक्रम के साथ ही कुछ जरुरी व्यवाहरिक ज्ञान देने के सतत प्रयास होते हैं, जो विद्यार्थियों को अपने जीवन में कभी आपात स्थिति से निपटने में काम आए।
इसी क्रम में आज यहाँ के विद्यार्थियों को अग्निशमन उपकरणों के उपयोग का न केवल तरीका बताया गया, बल्कि इसका लाईव डिमोस्ट्रेशन भी किया गया।
नगर में फायर सेफ्टी के कार्य से ही सम्बद्ध गोविन्द नागर ने अग्निशमन उपकरण का उपयोग का तरीका बताया और विद्यार्थियों को स्वयं इसका उपयोग करने का मौका भी दिया। उन्होंने बताया कि पहले अग्निशमन यंत्रो में कार्बन डाई ऑक्साइड गैस का उपयोग होता था। जबकि, अब नाइट्रोजन गैस का उपयोग किया जाता है।
उन्होंने यह भी बताया कि इस अग्निशमन यंत्र में गैस की स्थिति को भी समय समय पर चेक करना जरुरी है। बिना उपयोग के भी इसमें गैस खत्म हो सकती है, जिसका संकेतक इसे दर्शाता है। समय पर इसकी रीफिलिंग भी किया जाना जरुरी हैं।
इस मौके पर विद्यार्थियों को उनकी सब्जेक्ट टीचर्स ने इसके सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी भी दी और विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का भी समाधान किया।