पहली बार ट्रेन से दागी मिसाइल: भारत ने किया अग्नि-प्राइम का सफल परीक्षण, रणनीतिक क्षमता में ऐतिहासिक इजाफा

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पहली बार ट्रेन से दागी मिसाइल: भारत ने किया अग्नि-प्राइम का सफल परीक्षण, रणनीतिक क्षमता में ऐतिहासिक इजाफा

 

नई दिल्ली। भारत ने गुरुवार, 25 सितंबर 2025 को अपनी सामरिक क्षमता में एक नया इतिहास रचते हुए पहली बार रेल-आधारित मोबाइल लॉन्चर से अग्नि-प्राइम (Agni-Prime) मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ भारत अब उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जिनके पास रेल नेटवर्क से मिसाइल दागने की तकनीक मौजूद है।

**क्या है खास**

– यह भारत का पहला रेल आधारित मिसाइल परीक्षण है।

– मिसाइल की मारक क्षमता लगभग 2,000 किलोमीटर तक है।

– परीक्षण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और सामरिक बलों के सहयोग से हुआ।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर इसे “first-of-its-kind” करार दिया और वैज्ञानिकों को बधाई दी।

**तकनीकी और रणनीतिक महत्व**

1. लचीलापन- रेल नेटवर्क से मिसाइल दागने की क्षमता से भारत की तैनाती और रणनीति में लचीलापन बढ़ेगा।

2. तेज प्रतिक्रिया- ट्रेन कहीं भी रुककर मिसाइल लॉन्च कर सकती है, जिससे प्रतिक्रिया समय काफी कम होगा।

3. गोपनीयता- रेल आधारित लॉन्चर सामान्य रेलगाड़ी जैसा दिख सकता है, जिससे इसका ट्रैक करना बेहद कठिन होगा।

4. वैश्विक उपलब्धि- अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के बाद भारत का इस तकनीक में शामिल होना बड़ी रणनीतिक छलांग है।

**पृष्ठभूमि और विकास यात्रा**

जून 2021- ओडिशा के तट से अग्नि-प्राइम का पहला परीक्षण सफल।

दिसंबर 2021- दूसरा सफल परीक्षण, सामरिक बलों ने शामिल होकर विश्वसनीयता सुनिश्चित की।

अक्टूबर 2022- तीसरा परीक्षण, सटीकता और रेंज में सुधार।

2023–24- विभिन्न परिदृश्यों में कई बार सफल ट्रायल।

सितंबर 2025- पहली बार रेल आधारित मोबाइल लॉन्चर से परीक्षण, भारत की मिसाइल क्षमता में ऐतिहासिक इजाफा।

 

*भविष्य की दिशा*

विशेषज्ञों के अनुसार यह कदम भारत की दूसरी प्रहार क्षमता (Second Strike Capability) को और मज़बूत करेगा। रेल आधारित लॉन्चर सामरिक बलों की परमाणु प्रतिरोधक नीति (Nuclear Deterrence) को ज्यादा विश्वसनीय और अप्रत्याशित बनाएंगे। आने वाले समय में इसे परिचालन तैनाती में शामिल किए जाने की संभावना है।

इस सफलता ने यह साफ कर दिया है कि भारत अब आधुनिक मिसाइल प्रक्षेपण प्रणालियों की वैश्विक दौड़ में अग्रणी पंक्ति में खड़ा है। यह केवल तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा, रणनीतिक तैयारी और आत्मनिर्भर रक्षा शक्ति का सशक्त संदेश भी है।