Flashback: तत्कालीन PM Rajiv Gandhi की सड़क यात्रा यानी सुरक्षा व्यवस्था की परीक्षा

511

Flashback: तत्कालीन PM Rajiv Gandhi की सड़क यात्रा यानी सुरक्षा व्यवस्था की परीक्षा

दिसंबर 1984 के एक रविवार को जब मैं दमोह में SP पदस्थ था, एक most immediate श्रेणी का वायरलेस प्राप्त हुआ जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी (PM Rajiv Gandhi) के दमोह भ्रमण के कार्यक्रम की सूचना थी। राजीव गांधी को खजुराहो से दमोह 192 किलोमीटर की सड़क यात्रा करके तथा मार्ग में कुछ आम सभाएँ लेते हुए पहुँचना था और दमोह में एक आम सभा को संबोधित करना था।

यह आम सभा दिसंबर महीने के अंत में होने वाले लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए थी।आम सभा सायंकाल होनी थी परन्तु पूरा कार्यक्रम अंधेरे में होना लगभग निश्चित था जो सुरक्षा की दृष्टि से और भी कठिन था।इंदिरा गाँधी की हत्या हुए मुश्किल से एक महीना हुआ था और राजीव गांधी के लिए काफ़ी ख़तरा बना हुआ था।

इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद दमोह में हुए सिख विरोधी दंगों का वर्णन मैं पहले कर चुका हूँ। मैं जानता था कि उनकी सुरक्षा व्यवस्था की पूरी ज़िम्मेदारी केवल मेरे ऊपर है। मुझमें एक भय मिश्रित उत्साह का संचार हुआ

Flashback: तत्कालीन PM Rajiv Gandhi की सड़क यात्रा यानी सुरक्षा व्यवस्था की परीक्षा

थोड़ी ही देर में वायरलेस वाली सूचना ट्रंक कॉल द्वारा भोपाल कंट्रोल रूम से भी प्राप्त हुई। उसी समय हमारे कलेक्टर एन के वैद्य को भी यही सूचना प्राप्त हुई।

मैं तत्काल उनके घर पहुँचा एवं उनके बंगले के ऑफ़िस में आगामी प्रबंध पर चर्चा की। वे एक सज्जन अधिकारी थे तथा सेवानिवृत्त के निकट थे। उन्होंने मुझसे स्पष्ट कहा कि सब कुछ आपको ही करना है तथा इसके लिए पूरे ज़िले के संसाधन आपको उपलब्ध हैं।

बिना डायल वाले टेलीफ़ोन से एक्सचेंज के आपरेटर की सहायता से एक के बाद एक ज़िले के अधिकारियों को आधे घंटे में परेड ग्राउंड पहुँचने के निर्देश दिए। ब्लू बुक हाथ में लेकर हम दोनों ग्राउंड पहुँचे जहाँ पर राजीव गांधी की आम सभा होनी थी।

परेड ग्राउंड में मैंने मंच के लिए एक स्थान चुना तथा उसे बनाने की ज़िम्मेदारी पी एस रघु, ई ई पीडब्लूडी को दी गई।लाइट की महत्वपूर्ण व्यवस्था PWD और MPEB को दी गई।मैंने आम सभा में की जाने वाली बैरिकेडिंग का नक़्शा हाथ से बना कर रघु जी दिया तथा बाँस बल्ली की व्यवस्था करने के लिए DFO पांडे जी से अनुरोध किया।

अन्य सभी अधिकारियों को अलग अलग किन्तु स्पष्ट कार्य सौंप दिये गये। आम सभा स्थल पर क़रीब तीन घंटे सबको कार्य समझा कर हम दोनों जिला अस्पताल पहुँचे और सिविल सर्जन नरोलिया से इमरजेंसी व्यवस्था रखने के लिए तथा एम्बुलेन्स प्रदाय करने के लिए कहा।

राजीव गांधी (PM Rajiv Gandhi) के B निगेटिव ग्रुप के जवानों की व्यवस्था पुलिस मुख्यालय द्वारा की जानी थी।इसके बाद रूट व्यवस्था देखने के लिए हम दोनों रघु जी के साथ निकले।

दमोह शहर के बीचों-बीच मुख्य बाज़ार में काफ़ी लंबा सड़क रूट था जहाँ सड़क के दोनों तरफ़ बैरिकेडिंग अत्यंत आवश्यक थी। इसके बाद बटियागढ़ होते हुए छतरपुर ज़िले की सीमा तक गए। इस मार्ग पर सड़क की मरम्मत का बहुत काम करना था।

वापस लौटकर कलेक्टर की ओर से ज़िले के अधिकारियों को लिखित निर्देश बनवाने में मैंने उनकी सहायता की। रात में अपने कार्यालय पहुँच कर पुलिस व्यवस्था के बारे में DSP हेड क्वार्टर यक्षराज सिंह से चर्चा की जिन्हें पहले ही फ़ोर्स की स्थिति पता करने के लिए निर्देश दे दिए थे। अतिरिक्त बल की माँग पुलिस मुख्यालय को भेजी। देर रात को ब्लू बुक का और बारीकी से अध्ययन किया।

अगले दिन वार्नर तथा पायलट गाड़ियों की व्यवस्था की और उन्हें मार्ग पर अभ्यास करवाया। बाहर से आने वाली फ़ोर्स के रुकने की व्यवस्था देखी।सब जगह कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा था।पुलिस मुख्यालय से नियुक्त डीआइजी श्री सुरेंद्र कुमार भी पहुँच गए।

पुलिस मुख्यालय द्वारा ड्यूटी हेतु बाहर के अधिकारियों और फ़ोर्स की जानकारी प्राप्त हुई। सुरक्षा के संबंध में पुलिस मुख्यालय से वायरलेस की बौछार होने लगी। शहर में रूट इतना लंबा था कि PWD द्वारा गड्ढों का काम समय पर पूरा किया जाना संभव नहीं दिख रहा था इसलिए DFO पांडेय जी को एक बड़ा सेक्टर गड्ढे करने के लिए सौंप दिया।आम सभा, रूट और मोटरकेड का अनेकों बार दिन और रात में रिहर्सल करवाया और पूरे फ़ोर्स की ब्रीफ़िंग की।

 

निर्धारित दिन राजीव गांधी अपने कार्यक्रम में काफ़ी विलंब से चल रहे थे।उनके क़ाफ़िले के बक्स्वाहा पहुँचने के बाद साथ आ रहे वार्नर और पायलट को हटना था तथा वहाँ से इनके स्थान पर मेरे ज़िले के अधिकारियों को लगना था।

एक अजीबोगरीब आदेश में मेरे सागर रेंज के DIG श्री एस एन पात्र ने, जो मोटरकेड में चल रहे थे, एक विचित्र आदेश देकर नए और पुराने दोनों वॉर्नर और पायलट को मोटरकेड में चलने के निर्देश दे दिये।

मेरा पायलट क़ाफ़िले की लोकेशन थोड़ी-थोड़ी देर में देने लगा। बटियागढ़ और नरसिंहगढ़ के बीच अचानक पायलट शांत हो गया। काफ़ी देर तक कोई लोकेशन नहीं प्राप्त हुई और चिंता बढ़ गई। काफ़ी देर के बाद पायलट ने लोकेशन दी और

बताया कि पुरानी वार्नर जीप ( जिसने रिहर्सल नहीं किया था) एक सूखी पुलिया के मोड़ पर उलट गई जिससे दो पुलिसकर्मियों को चोटें आ गईं। सभास्थल पर DGP श्री बी के मुखर्जी पहले से पहुँच गए थे और उन्होंने गाड़ी पलटने की बात को गोपनीय रखने के निर्देश दिए।

लेकिन राजीव गांधी (PM Rajiv Gandhi) जब लगभग 10 बजे रात सभा स्थल पर पहुँचे तब मंच से उन्होंने सबसे पहले इस एक्सीडेंट के बारे में जानकारी दी और बताया कि वे कार से उतर गए थे और एम्बुलेंस में उन दोनों घायल व्यक्तियों को बैठाने के बाद ही रवाना हुए। राजीव गांधी के भाषण समाप्त हो जाने के बाद उनके साथ चल रहे केंद्रीय मंत्री अरुण सिंह और ज्वाइंट डायरेक्टर IB ने पूरी व्यवस्था उचित होने पर मुझे बधाई दी।

Also Read: Flashback: दमोह का वो हत्याकांड और राजनीतिक झमेले के बीच मेरी SP की पहली पोस्टिंग! 

राजीव गांधी विशाल आम सभा में भाषण देकर दमोह से सागर सड़क मार्ग से रवाना हो गए और जब उनका क़ाफ़िला दमोह ज़िले की सीमा के पार गढ़ाकोटा पहुँच गया तो मैंने उस कड़ाके की ठंड वाली रात में काफ़ी राहत महसूस की।वॉर्नर गाड़ी पलट जाने के बारे में बाद में विस्तृत जाँच हुई परंतु इसमें मेरी कोई गलती नहीं पाई गई।

Author profile
एन. के. त्रिपाठी

एन के त्रिपाठी आई पी एस सेवा के मप्र काडर के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। उन्होंने प्रदेश मे फ़ील्ड और मुख्यालय दोनों स्थानों मे महत्वपूर्ण पदों पर सफलतापूर्वक कार्य किया। प्रदेश मे उनकी अन्तिम पदस्थापना परिवहन आयुक्त के रूप मे थी और उसके पश्चात वे प्रतिनियुक्ति पर केंद्र मे गये। वहाँ पर वे स्पेशल डीजी, सी आर पी एफ और डीजीपी, एन सी आर बी के पद पर रहे।

वर्तमान मे वे मालवांचल विश्वविद्यालय, इंदौर के कुलपति हैं। वे अभी अनेक गतिविधियों से जुड़े हुए है जिनमें खेल, साहित्यएवं एन जी ओ आदि है। पठन पाठन और देशा टन में उनकी विशेष रुचि है।