Flashback: ट्रांसपोर्ट विभाग में आधुनिकीकरण का वह दौर

689

Flashback: ट्रांसपोर्ट विभाग में आधुनिकीकरण का वह दौर;

फ़रवरी, 2005 में मुख्य सचिव श्री विजय सिंह ने मुझसे फ़ोन पर अचानक पूछा कि क्या आप ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (परिवहन आयुक्त) बनने के लिए तैयार हैं? इसके उत्तर में मैंने कहा कि सर कल सोचकर बताता हूँ। उन्होंने आश्चर्य से पूछा कि कल बताएंगे! अगले दिन ठीक 11 बजे उनका फिर फ़ोन आया और उन्होंने बताया कि मेरे ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के आदेश हो गये हैं। मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल ग़ौर के समय लगभग सभी IAS और IPS अधिकारियों की नियुक्तियाँ श्री विजय सिंह की इच्छानुसार होती थीं।

ट्रांसपोर्ट विभाग में आधुनिकीकरण का वह दौर

उस समय मैं पुलिस मुख्यालय मैं एडिशनल DG योजना एवं प्रबंध तथा साथ में ग्वालियर- चंबल संभाग के डाकू विरोधी अभियान का प्रभारी भी था। कुछ दिनों के बाद 22 फ़रवरी, 2005 को मैंने मुख्यालय ग्वालियर में कार्यभार संभाल लिया और अगले पौने पाँच वर्ष तक वहीं कार्यरत रहा।मैं ग्वालियर में पूर्व में पुलिस अधीक्षक और पुलिस महानिरीक्षक की दो पदस्थापनाओं के कारण वहाँ के लोगों से अच्छी तरह परिचित था और इसलिए विशेष रूप से प्रसन्न था।शीघ्र ही मैं जीवाजी क्लब का अध्यक्ष बन गया तथा सेवानिवृत्त के वर्षों बाद तक चेयरमैन बना रहा।

Aanad Kumar Sharma

ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के रूप में मुझे सौभाग्यवश एक बहुत अच्छी टीम मिली। श्री आनंद शर्मा उपायुक्त प्रशासन ( बाद में IAS) कुछ समय से वहाँ पदस्थ थे तथा उन्हें प्रशासकीय एवं टैक्स संबंधी गहरी जानकारी थी तथा वे बड़ी निष्ठा से कार्य करते थे। शासन से पत्राचार में वे अत्यंत सजग रहते थे। इस कारण मैं मुख्यालय के कार्य से निश्चिंत रहता था।उपायुक्त वित्त के पद पर कुछ समय के बाद श्रीमती मंजू शर्मा ( बाद में वे भी IAS हो गई) आ गईं और ऑडिट का कार्य उन्होंने बड़ी कुशलता से सँभाला।ऑडिट के लिए स्वयं परिवहन आयुक्त और प्रमुख सचिव, परिवहन को विधानसभा की शक्तिशाली लोक लेखा समिति के समक्ष उपस्थित होना पड़ता था।संजीव सिंह IG एक असाधारण पुलिस अधिकारी थे जो उपायुक्त प्रवर्तन के पद पर मेरे साथ ही पदस्थ हुए थे। अपने कार्य के अतिरिक्त कंप्यूटरीकरण का कार्य स्वेच्छा से उन्होंने ले लिया।

परिवहन विभाग में मेरे सामने वाहनों और लाइसेंस की बढ़ती संख्या को देखते हुए कंप्यूटरीकरण किया जाना एक बड़ी चुनौती थी। मेरे आने के पूर्व स्मार्ट चिप कंपनी को सॉफ़्टवेयर बनाने का काम दिया जा चुका था परन्तु काम ठप था और प्रकरण हाईकोर्ट में अटका हुआ था। अनुबंध की व्याख्या करते हुए कंपनी का भुगतान रोक दिया गया था दो माह बाद मैं छुट्टी पर लखनऊ गया और वहाँ पर कंपनी के CEO आलोक मुखर्जी का फ़ोन आया कि उनके चेयरमैन श्रेया जी मुझसे लखनऊ में मिलना चाहते हैं।मैं किसी आरोप की चिंता न करते हुए लखनऊ के क्लार्क होटल में दोनों से मिला। श्रेया जी ने कहा कि हमारा मृतक शरीर कुछ नहीं कर सकता, जीवित करें तो कुछ कर के दिखाऊँ। हमारे भुगतान का रास्ता निकालिए तो मैं पूरा कार्य कर दूँगा।लौटते ही मैंने जोखिम उठाकर हाईकोर्ट में कंपनी और सरकार के बीच कार्य के अनुसार एक चरणबद्ध भुगतान का समझौता करवा दिया। कार्य द्रुतगति से प्रारंभ हो गया। विभाग के कुछ कर्मचारी कंप्यूटरीकरण को अपने हितों के विरुद्ध मानकर सहयोग नहीं कर रहे थे। पूरे प्रदेश में घूम कर मैंने उन्हें समझाकर पूरा सहयोग लिया। संजीव सिंह और उसके बाद उपेंद्र जैन की विलक्षण ऊर्जा से मध्य प्रदेश पूरे भारत में साफ्टवेयर में सबसे अग्रणी हो गया।भारत में सबसे पहले ड्राइविंग लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन स्मार्ट कार्ड पर बनने लगे। प्रदेश के सबसे बड़े परिवहन बैरियर सेंधवा में एकीकृत एवं कम्प्यूटरीकृत बैरियर का कार्य भी प्रारंभ करवाया।

WhatsApp Image 2022 07 12 at 11.27.42 PM

 

पड़ोसी राज्यों के साथ अच्छे वैधानिक संबंध होना परिवहन विभाग के लिए आवश्यक है। इसके लिए प्रमुख सचिव परिवहन श्री मलय राय और मैंने तत्कालीन परिवहन मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता जी की सहमति से पड़ोसी राज्यों के मंत्रियों का सम्मेलन भोपाल में आयोजित किया।सम्मेलन बहुत सफल रहा और आगामी कई वर्षों तक विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों में साथ काम करने में सुविधा हुई।राज्यों के बीच में बसों के संचालन के लिए परस्पर अनुबंध किए जाते हैं जो दशकों पुराने होने के कारण असंगत हो गए थे।नये मार्गों तथा जनसंख्या बढ़ने के कारण पुराने अनुबंध से जनता और सरकार दोनों को भारी हानि हो रही थी।इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल गौर द्वारा भारी घाटे और अव्यवस्था में चल रहे मध्य प्रदेश सड़क परिवहन निगम (रोडवेज़) को समाप्त कर राष्ट्रीयकृत मार्गों का निजीकरण कर दिया गया था। निजीकरण के कारण सभी प्रमुख राजमार्गों के लिए पड़ोसी राज्यों से परस्पर अनुबंध और भी आवश्यक हो गया था। पड़ोसी राज्यों से परस्पर अनुबंध के लिए प्रमुख सचिव के साथ मैंने और उपायुक्त प्रशासन श्री आनंद शर्मा ने बहुत परिश्रम कर विस्तृत प्रस्ताव बनाये। प्रमुख सचिव के साथ जयपुर, लखनऊ, मुम्बई, रायपुर और अहमदाबाद की अनेक बार यात्राएँ कीं और परस्पर अनुबंध करवाए।

मध्य प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (रोडवेज़) बंद हो जाने के बाद उनके कर्मचारियों के अनेक वैधानिक प्रकरण भी हम लोगों के ऊपर वर्षों तक आ गये। एक लाभ यह हुआ कि मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता के प्रयासों से पुराने भोपाल स्थित RTO कार्यालय नए भोपाल में रोडवेज़ के कार्यालय के एक भाग में आ गया।

WhatsApp Image 2022 07 12 at 11.27.43 PM

परिवहन आयुक्त के समक्ष मोटर वेहिकिल्स एक्ट के प्रावधानों के अन्तर्गत व्यावसायिक वाहनों के रजिस्ट्रेशन और टैक्स संबंधित मामलों की अपीलें आती है। इस अर्ध न्यायिक प्रक्रिया में वक़ील भी बहस के लिए आते थे। प्रकरण के सुनने के बाद मैं इन पर निर्णय के लिए डिक्टेशन देता था। बहुत बाद में मेरे PA ने प्रस्ताव दिया कि आप इतना परिश्रम अनावश्यक कर रहे हैं। निर्णय आप बता दें बाक़ी किसी वकील से लिखवा लेंगे। मैं इससे सहमत नहीं हुआ। अंतर्राज्यीय बसों के परमिट के लिए दो एक माह में ग्वालियर में बैठक होती थी जिसमें परमिट चाहने वाले बस मालिक एकत्र होते थे। इसमें प्रमुख सचिव मुझसे औरआनंद शर्मा से विचार विमर्श कर पारदर्शी निर्णय लेते थे।

WhatsApp Image 2022 07 12 at 11.27.39 PM

मध्य प्रदेश परिवहन विभाग का ढांचा बहुत ही जीर्णशीर्ण और प्राचीन था। हमारे मुख्यालय में पदस्थ उपायुक्त दूसरे राज्यों की तुलना में बहुत अधिक वरिष्ठ अधिकारी थे। इसके अतिरिक्त ज़िलों के RTO कार्यालय और परिवहन मुख्यालय के बीच में कोई संभाग स्तर पर सुपरवाइज़री अधिकारी नहीं था जिससे कार्य का पर्यवेक्षण उचित नहीं था। श्री आनंद शर्मा के साथ मिलकर मैंने पूरे विभाग के भविष्य की पुनर्संरचना के लिए एक रूपरेखा तैयार की जिसे शासन स्तर पर रखने में प्रमुख सचिव श्री मलय राय ने सशक्त भूमिका निभाई। मुझे इस बात का बहुत संतोष है कि मेरे विभाग से चले जाने के बाद परिवहन विभाग की पुनर्संरचना इसी प्रस्ताव के अनुसार की गई।


Read More…Flashback: असम आंदोलन का वो आंखों देखा सच और बटालियन का जीवन! 


हमारे अगले मंत्री श्री हिम्मत कोठारी जी के साथ मुझे और श्री मलय राय प्रमुख सचिव को जून ,2006 में थाइलैंड,मलेशिया और सिंगापुर की पन्द्रह दिवसीय अध्ययन यात्रा पर जाने का अवसर मिला।श्री मलय राय के बाद श्री राजन कटोच एवं श्री राकेश बंसल आए। इन्होंने भी मुझे बहुत सहयोग दिया। श्री राजन कटोच ने बस मालिकों की हड़ताल तथा विभाग के एक अधिकारी के साथ हुए दुर्व्यवहार से उत्पन्न स्थिति में मज़बूती से मेरा साथ दिया।श्री राकेश बंसल ने कंप्यूटरीकरण के नवीनीकरण के लिए टेंडर जारी किए और विभिन्न कंपनियों से प्राप्त टेंडरों को पारदर्शी प्रक्रिया से देखा और स्मार्ट चिप कंपनी को पुनः ठेका दिया।अंत में श्री विनोद चौधरी अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद पर आए। वे परिश्रमी परंतु कुछ अव्यवहारिक थे।वे सचिवालय में अपने अधीनस्थों को अनावश्यक और असंगत कार्यों में लगाकर रखते थे।

परिवहन आयुक्त का पद विभाग प्रमुख का होता है और इस नाते परिवहन मंत्री से भी सीधा संपर्क होता है।मेरे कार्यकाल में श्री उमाशंकर गुप्ता, श्री हिम्मत कोठारी एवं श्री जगदीश देवड़ा मंत्री रहे। तीनों ही मंत्रियों से न केवल मेरा प्रशासनिक सामंजस्य अच्छा रहा अपितु तीनों का ही पारिवारिक स्नेह भी मुझे मिला। मंत्री जी से चर्चा करने, शासन स्तर पर बैठक अथवा विधानसभा समिति की बैठकें तथा विधानसभा में मंत्री जी की ब्रीफ़िंग आदि के लिए प्रत्येक सप्ताह में आधा समय मुझे भोपाल में व्यतीत करना पड़ता था। देश तथा प्रदेश में भी भ्रमण करना पड़ता था। भ्रमण मुझे बहुत आनंददायक लगता है। अपनी लंबी पदस्थापना तथा कुछ वरिष्ठ साथी पुलिस अधिकारियों द्वारा षड्यंत्र करने के प्रयासों के कारण मैं स्वेच्छा से प्रदेश छोड़कर अक्टूबर, 2009 में भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर चला गया।परिवहन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मुझे असीम सहयोग और स्नेह दिया जो आज भी यथावत है।