सर्वपितृ अमावस्या पर पहली बार 2100 परिवारों द्वारा तीन पीढ़ियों का सामूहिक तर्पण एवं पिंडदान

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श्राद्धकर्म की अनूठी परिकल्पना हुई साकार

सर्वपितृ अमावस्या पर पहली बार 2100 परिवारों द्वारा तीन पीढ़ियों का सामूहिक तर्पण एवं पिंडदान

निशुल्क सामूहिक श्राद्ध कर्म का अभिनव आयोजन

रतलाम से रमेश सोनी की विशेष रिपोर्ट

आज सुबह शहर के विधायक सभागृह पर सर्व पितृ अमावस्या के अवसर पर श्राद्धकर्म की अनूठी मिसाल देखने को मिली जो शहर के लिए अद्वितीय रहीं।ऐसे में बड़ा ही अद्भुत और अलौकिक माहौल बन गया था इस क्षेत्र का ऐसा अनुठा आयोजन शहर में पहली बार आयोजित हुआ,जिसमें शहर और अंचल के 2100 परिवारों के सदस्यों ने अपने परिवार की मृतात्माओं का सामुहिक रूप से तर्पण और पिंडदान किया।

बता दें कि पितृपक्ष के अंतर्गत सर्वपितृ अमावस्या के पावन पर्व पर नागरिकों ने सामूहिक रूप से अपने मातृ एवं पितृ पक्ष की तीन-तीन पीढ़ियों का विधिविधान से तर्पण एवं पिंडदान किया। उन्होंने अन्तर्मन में अपने पूर्वजों के प्रति अगाध आस्था एवं अहोभाव संजोय अश्रुपुरित नेत्रों से सामूहिक श्राद्ध कर्म करते हुए परिजनों ने पूर्वजों का पावन स्मरण कर उन्हें तृप्त किया।
इस अनूठे आयोजन में पहली बार किसी सार्वजनिक और सामूहिक श्राद्ध कर्म में रतलाम शहर सहित अंचल से करीब 2100 परिवार शामिल हुए।
यह शहर में श्री योग वेदांत सेवा समिति,युवा सेवा संघ और श्रीकृष्ण कामधेनु गौशाला द्वारा संयुक्त रूप से सामूहिक श्राद्ध कर्म का वृहद आयोजन था।

महापौर रहें मुख्य अतिथि
कार्यक्रम के अतिथि महापौर प्रहलाद पटेल,सभापति मनीषा मनोज शर्मा,पार्षद निशा पवन सोमानी आदि ने संत श्री आसाराम बापू के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन किया।मुख्य विधिकारक विद्वान पंडित सुदामा मिश्रा सहित अन्य भूदेवों को केसरिया दुपट्टा एवं श्रीमद् भागवत गीता भेंट कर वंदन किया।

चींटी से लेकर ब्रह्माजी तक की तृप्ति-
ढाई घंटे से अधिक समय तक विधिविधानपूर्वक चले सामूहिक श्राद्ध कर्म के आरम्भ में मुख्य विधिकारक पंडित मिश्रा के मार्गदर्शन में तर्पण की क्रिया करवाई गई।मंत्रोच्चार और विधिपूर्वक पूर्वजों का तर्पण किया गया।जिसके बाद पिंडदान हुआ।श्राद्ध कर्म की सम्पूर्ण सामग्री निशुल्क उपलब्ध करवाई गई।महत्वपूर्ण बात यह रही कि सनातन संस्कृति में निहित सर्वजीवों के मंगल की भावना के अनुरुप पशु पक्षियों के लिए भी मंत्रोच्चार एवं विधिपूर्वक कल्याण की प्रार्थना के साथ पंचवली की गई।जिसके माध्यम से चींटी से लेकर ब्रह्माजी तक सभी को श्राद्ध के जरिये तृप्त किया गया। ताकि दिवंगत परिजन को प्रत्येक रूप में तृप्त किया जा सके।
परिवार के साथ सर्व समृद्धि की कामना–
पंडित मिश्रा ने बताया कि सर्वपितृ अमावस पर अपने परिवार में माता एवं पिता पक्ष की तीन पीढ़ियों का श्राद्ध कर्म किया जाने का विधान शास्त्रों में वर्णित है।वर्ष भर में एक बार श्राद्ध पक्ष के पन्द्रह दिनों में दिवंगत जन अपने परिजनों से श्राद्ध कर्म की मंशा संजोये आते है।जिन्हें तृप्त करने से सम्पूर्ण परिवार को उनका आशीर्वाद मिलता हैं। उन्होंने कहा कि श्राद्ध पक्ष के 15 दिनों तक नागरिक अपने-अपने घरों में श्राद्ध करते हैं,अंतिम सोपान सर्वपितृ अमावस के पावन पर्व सामूहिक श्राद्धकर्म की अनूठी परिकल्पना को आज साकार किया जा रहा हैं। सामूहिक रूप से श्राद्ध करने के पीछे हमारी भावना यह हैं कि पितृ पक्ष के आशीर्वाद से घर परिवार के साथ हमारे समाज/ राष्ट्र में भी समृद्धि और खुशहाली आएं।
सामुहिक रूप से 313 दिवंगतजनों का श्राद्ध-
शहर में विगत दो दशकों से अधिक समय से लावारिस एवं अनाथ का अस्थि विसर्जन कर तर्पण-पिंडदान करने वाले समाजसेवी सुरेश तंवर ने कार्यक्रम में 313 दिवंगत जनों का श्राद्ध कर्म किया।वे विगत दो वर्ष से कोरोना काल के कारण तर्पण-पिंडदान करने के लिए किसी तीर्थ स्थान पर नहीं जा पाए थे।आयोजक संस्था ने तंवर की निस्वार्थ सेवाओं का शाल श्रीफल एवं साफा बांधकर अभिनन्दन किया।
इनकी रही सराहनीय सेवा
आयोजन में समिति के महावीर भाई,धर्मेश भाई,प्रेम प्रकाश बाथव,शंकर राठौड़,प्रकाश पालीवाल,शिवकुमार श्रीवास्तव,बद्रीलाल प्रजापति, राधेश्याम शर्मा,अंकुर चौधरी, शंकर मुलेवा,माखन पाल,लोकेश परिहार आदि की सराहनीय सेवाएं रही।साथ ही वैदिक जाग्रति ज्ञान-विज्ञान पीठ से आचार्य चेतन शर्मा,पंडित जीवेश जोशी सहयोगी रहें।
संचालन तथा आभार
इस अनूठे आयोजन संचालन रविन्द्र सिंह जादौन एवं आभार रुपेश सालवी ने माना।