फारेस्ट गार्ड की बेटी ने की UPSC Crack, बचपन में संजोया था कलेक्टर बनने का सपना, निमिषि त्रिपाठी के घर खुशी का माहौल

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खरगोन से आशुतोष पुरोहित की रिपोर्ट

खरगोन- दृढ़ इच्छाशक्ति और कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो कठिन से कठिन मंजिल आसान हो जाती है। यह कर दिखाया है खरगोन जिले के सनावद की रहने वाली निमिषि त्रिपाठी।
फारेस्ट गार्ड की बेटी ने निमिषी ने यूपीएससी की परीक्षा में 622 वी रैक पाकर निमाड़ क्षेत्र का गौरव बढाया है। निमिषि के पापा अवधेश त्रिपाठी खंडवा जिले के पुनासा वन रेंज मे फारेस्ट गार्ड के पद पर कार्यरत है।
निमिषि ऑल इंडिया लेवल पर 622 रेंक हासिल करने से घर में खुशी का माहौल है। परिजन और आसपास के लोग मिठाई खाकर खुशी मना रहे है। वन विभाग में कार्यरत अवधेश त्रिपाठी की दो बेटियां है। उन्होने बेटा बेटी का भेद भुलाकर निमिषि को उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली भेजा था। ग्रेजुएशन के साथ ही यूपीएससी परीक्षा की तैयारी निमिषि तैयारी की। निमिषि त्रिपाठी ने बताया की उनकी इस कामयाबी के पीछे उनके माता पिता की मेहनत और शुभचिंतकों का काफ़ी योगदान रहा। खास बात यह है की कलेक्टर बनने का सपना निमिषि ने जब चौथी कक्षा की पढाई करती थी जब संजोया था।
पापा से बातचीत के दौरान निमिषि ने पूछा था की जिले का सबसे बडा अधिकारी कौन होता है। पिता ने बताया कलेक्टर और बचपन में ही बेटी ने कलेक्टर बनने का ठान लिया। कलेक्टर बनने के लिये ही उन्होने यूपीएससी की तैयारी की और परीक्षा दी।

UPSC Crack

मीडियावाला से खास बातचीत निमिषि ने बताया की उन्होने कलेक्टर बनने की पहली सीढी पर चढ गई है। उनका लक्ष्य है अब आईएएस करके कलेक्टर बनना और दीनदुखियो की मदद करना है। निमिषि के यूपीएससी परीक्षा पास करने में माता पिता की मेहनत के साथ ही वन विभाग के उनके साथी और अधिकारीयों का योगदान उल्लेखनीय है। विशेष रूप से वन विभाग के भोपाल स्थित उच्य अधिकारी असिस्टेंट पीसीसीएस संजय शुक्ला की अहम् भूमिका रही है। वन विभाग के मध्यप्रदेश के अधिकारीयो मे भी निमिषि की उपलब्धि पर नाज है।

बेटी की मेहनत और ईश्वरीय आशीर्वाद से बेटी और परिवार का सपना होगा साकार – –

खंडवा जिले के पुनासा वन रेंज मे फारेस्ट गार्ड के पद पर वन विभाग में कार्यरत
अवधेश त्रिपाठी का कहना है की बचपन में जब निमिषि मात्र 8 वर्ष की थी बातो बातो में पूछा सबसे बडा पद जिला का क्या होता है पापा ? मैने कहाॅ बेटा कलेक्टर लेकिन कलेक्टर बनना आसान नही होता है। लेकिन बेटी ने कहाॅ मे कलेक्टर बनूँगी। मैने परिवार ने हंसी मजाक में बात को टाल दिया लेकिन निमिषि ये बात को नही भूली और उसने ठान लिया की में कलेक्टर ही बनूंगी। दृढ़ संकल्प के चलते कई बार उसने आश्चर्यचकित भी किया। लेकिन बेटी का सपना बाद में हमारे परिवार का ही सपना बन गया। कडी मेहनत कर बेटी ने आज खूद आपना सपना पूरा किया। बेटी पर हमे गर्व है संघर्ष के बाद एक फारेस्ट गार्ड की बेटी ने यूपीएससी की परीक्षा में कई अभावो के बीच छोटे से शहर सनावद की होने के बाद सफलता हासिल की है।

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दीन दुखियों और महिलाओं का उत्थान के साथ आदिवासी गरीबो बच्चो की पढाई का लक्ष्य है प्राथमिकता
दृढ इच्छाशक्ति के चलते मात्र 24 वर्ष की उम्र में कलेक्टर बनने के लिये पहली सीढी यूपीएससी की परीक्षा पास कर लेने वाली निमिषि त्रिपाटी ने अभी से अपनी प्राथमिकता भी बना रखी है। मीडियावाला से खास बातचीत मे निमिषी का कहना है की मेरा और पूरे परिवार का सपना है कलेक्टर बनना है। आईएएस कर कलेक्टर बनकर दीनदुखियो की मदद शासन और प्रशासन की निती के तहत मेरी प्राथमिकता होगी। निमिषि का मानना है की उनकी पहली प्राथमिकता होगी महिलाओं का उत्थान करना समाज की मुख्यधारा से जोडना। 21 वी सदी भें पुरूषो के साथ महिलाऐं कदमताल करे ये उनकी प्राथमिकता होगी। उन्होने नजदीग से देखा है आज भी ग्रामीण क्षेत्रो मे बच्चे विशेषकर आदिवासी बच्चे शिक्षा से दूर है। उनकी प्राथमिकता मे ये भी होगा की बच्चे पढाई करे इसके लिये जो भी हुआ करेगी। बालिका शिक्षा फोकस होगा। वे नही चाहती है की समाज बेटा बेटी में भेद करे। उनके पिता ने दोनो बेटीयो को पढाने कोई कसर बाकी नही रखी। उन्हे पापा से प्रेरणा मिली है की शिक्षा ही विकास की पाठशाला है। भविष्य में बच्चो को प्रतिस्पर्धा वाली शिक्षा उपलब्ध कराने में युवाओं की मदद करना उनका लक्ष्य होगा।