Forgery in mantralay: यूं कुचला गया एक बड़ा घोटाला !
देह व्यापार दुनिया का सबसे पुराना धंधा क्यों कहा जाता है मुझे नहीं पता पर जालसाजी हर युग का लोकप्रिय धंधा है यह मैं दावे से कह सकता हूँ।ठगों की असंख्य क़िस्में हैं और वे सर्वत्र व्याप्त हैं। चार्ल्स शोभराज ,नटवरलाल ,नागरवाला को नई पीढ़ी नहीं जानती पर पुरानी पीढ़ी इनको भूली नहीं है .आजकल सलाख़ों के पीछे सुस्ता रहा वह ठग सुकेश आपको याद होगा जो बॉलीवुड की फ़िल्मी सुंदरियों को महँगे उपहार देने का शौक़ीन है।अमेरिका का सब प्राइम आर्थिक संकट जिसने लीमन ब्रदर्स जैसी कई कम्पनियाँ और बैंक डूब गए वित्तीय ठगी के सिवा कुछ नहीं था। जमतरा के दुष्ट साइबर ठगों से लेकर भारत के हर सरकारी कार्यालय ,बैंको और मंत्रालय के बाहर भी मारीच के ये वंशज स्वर्ण मृग बनकर घूमते रहते हैं। चिट फण्ड कंपनियों से महादेव एप जैसे सट्टा ठगी कारोबारियों से जनता क्या सरकारें तक हैरान हैं।
ठगी और जालसाज़ी का एक विचित्र रैकेट हमारे अपने भोपाल मंत्रालय में भी था .हुआ यों कि 2016 में कलेक्टर सागर का एक पत्र मेरी डाक में आया जिसमें यह पूछा गया था कि क्या आवास एवं पर्यावरण विभाग ने सागर के एक एन जी ओ को बैंक खोलने की स्वीकृति दी है ?कलेक्टर के पत्र के साथ उस कथित स्वीकृति आदेश की छाया प्रति संलग्न थी जिस पर हमारे एक अवर सचिव के हस्ताक्षर थे .मैं चौंक गया .बैंक का लाइसेंस देना रिज़र्व बैंक का कार्य था .पत्र फ़र्जी होना चाहिये मैंने सोचा पर मैं ग़लत था .पत्र एकदम असली था .मंत्रालय से बाक़ायदा जावक पंजी में चढ़ाकर भेजा गया था .उसके आधार पर सागर ,विदिशा सहित कई ज़िलों में ग़रीब बैंक के नाम से फर्जी बैंक खुलकर ग़रीबों की सेवा याने ठगी में लग चुके थे .जब उनका आत्म विश्वास बढ़ा तो कलेक्ट्रेट तक काम फैलाने लगे और हैरान कलेक्टर ने हमें पत्र लिख कर पूछ लिया .
मैंने पत्र में दिये संदर्भ से नस्ती खोजकर अपने क़ब्ज़े में ले ली .उस विद्वान और कर्मठ अवर सचिव को भी बुलाया। पत्र दिखाया तो उसने स्वीकार कर लिया कि यह उसी का हस्त लाघव है .मैंने सारा प्रकरण प्रमुख सचिव के ध्यान में लाकर कड़ी कार्यवाही प्रस्तावित की .उनके अनुमोदन के बाद कार्यवाही के लिये सामान्य प्रशासन विभाग को प्रस्ताव भेजा गया .कई स्मरण पत्रों के बाद भी कुछ न हुआ .हमारे विभाग ने बैंक स्वीकृति का पत्र निरस्त कर शून्य घोषित कर दिया .मप्र के सभी कलेक्टरों को सचेत कर दिया कि उनके ज़िले में यदि इस तरह की जालसाज़ बैंक हो तो उसे बंद करें किंतु पत्र जारी करने वाले अवर सचिव का बाल बाँका न हुआ।
क्या आपको अब भी लगता है कि वह किसी अकेले आदमी का काम था ? मुझे ज़रूर उस ग़रीब बैंक के कर्ताधर्ताओं ने कई न्यायालयों में शिकायत कर विधिक कार्यवाही के क़ानूनी नोटिस भेजे जिनका उत्तर उन ज़िलों के ज़िलाधिकारियों ने शासकीय वकीलों के माध्यम से दिया। मज़ा तो तब आया जब इस अदृश्य रैकेट की कृपा से मुझे वित्त विभाग से एक विचित्र चिट्ठी मिली जिसके अनुसार इस घोटाले में समुचित कार्यवाही न करने का दोष हमारे विभाग पर मढ़ा गया था .जब वित्त विभाग को सभी तथ्य बताये तब वे जान पाये कि हम लोगों ने अपनी सतर्कता से एक बड़े घोटाले को उपजते ही कुचल दिया था .