वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट
दावा सुशासन और न्याय का प्रदेश सरकार का और मुखिया का अलग बयान कर रहा है, और वह भी राजधानी भोपाल में आला अफसरों और मंत्रियों की नाक के नीचे।
ऐसा ही मामला सामने आया है जब मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग अध्यक्ष श्री मनोहर ममतानी ने भोपाल कलेक्टर से जांच कर एक माह में जवाब तलब किया है।
बड़ी बात यह है कि जिले के राजस्व अमले ने पीड़ित किसान के पक्ष में चार बार आदेश जारी किये पर धरातल पर हुआ कुछ नहीं।
मामला चाहे छोटा लगे पर यह कथित सुशासन की पोल तो खोल ही रहा है।
कथित रूप से गांव के दबंगों द्वारा शासकीय भूमि पर कब्ज़ा कर लिया गया और समीपी किसान का आवागमन रास्ता तक बंद कर दिया है।
भोपाल जिले के हुजुर अनुविभाग क्षेत्रांर्तगत नांदिनी गांव में एक किसान दबंगों द्वारा सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर लेने से उसकी पहुंच मार्ग बंद हो जाने के वजह से अपनी जमीन और खेतों पर नहीं जा पा रहा है। उसने स्थानीय राजस्व विभाग और प्रशासन में शिकायत की, तो सरकारी जमीन पर से दबंगों का कब्जा हटाने के लिये जद्दोजहद के चार साल बाद आदेश तो हुए, लेकिन एक भी आदेश पर अमल नहीं हो पाया । पीड़ित किसान परेशान होता रहा।
जानकारी के अनुसार नांदिनी निवासी अचल सिंह नागर और उसके पिता रामनारायण नागर ने बताया कि गांव के दबंग हुकम सिंह, दिनेश और सुरेश ने उनके खेत से लगी सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया है ओर वे लोग दादागीरी कर अतिक्रमण की सरकारी जमीन से उन्हें और किसान परिवार को निकलने नहीं दे रहे हैं। चार बार बेदखली के आदेश हुये। पर अमल एक भी आदेश पर नहीं किया गया और न हीं दबंगों ने सरकारी जमीन पर से कब्जा हटाया है। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने मामले में संज्ञान लेकर कलेक्टर, भोपाल सेे प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में एक माह में जवाब मांगा है।
पीड़ित किसान अचल सिंह एवं रामनारायण नागर को आशा बंधी है कि मानव अधिकार आयोग के हस्तक्षेप से अपने खेतों और जमीन तक जाने का मार्ग मिलेगा और शासकीय भूमि भी मुक्त होगी।