मीडियावाला के चार साल (Four Years of Mediawala) : जिस दिन से चला हूँ मेरी मंजिल पे है नजर!

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मीडियावाला के चार साल: जिस दिन से चला हूँ मेरी मंजिल पे है नजर!

मीडियावाला के चार साल(four years of mediawala): जिस दिन से चला हूँ मेरी मंजिल पे है नजर!

‘मीड़ियावाला’ को प्रबुद्ध पाठकों तक समाचार और विचार पहुँचाते कब चुपके से चार साल पूरे हो गए पता ही न चल पाया। इस नायाब पोर्टल के निदेशक सुरेश तिवारी जी को स्मरण दिलाया तो उन्होंने जवाब में मशहूर शायर डा.बशीर बद्र का एक शेर सुना दिया-

जिस दिन से चला हूँ मेरी मंजिल पे है नजर,
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा!

बात सही है। डिजिटल मीडिया के हर प्लेटफार्म पर जबतक ‘मीडियावाला’ का धमाल नहीं मचता, तब तक तिवारी जी कहाँ चैन से बैठने वाले। फिलहाल उनका जुनून उसी दिशा में जोर मार रहा है।

वैसे यह बात अपनी जगह दुरुस्त है कि ख़बरों के किसी स्रोत का मूल्यांकन इस बात से नहीं हो सकता कि उसे स्थापित हुए कितने साल हुए हैं और उसने कितनी सफलता पाई! दरअसल, ये रोज होने वाली अग्निपरीक्षा है कि पाठकों को ख़बरें परोसने में आप कितने आगे रहे! न्यूज़ पोर्टल के लिए ये चुनौती इसलिए भी ज्यादा है कि सारा दारोमदार ख़बरों की दौड़ का है। ऐसी ख़बरें जो अपने आपमें संपूर्ण हो और जिसे पढ़कर पाठक के लिए कोई उत्सुकता बाकी न रहे।

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चार साल में ‘मीडियावाला’ पोर्टल ने ख़बरों के मामले में कामयाबी पाई है। रोजाना तीन लाख से ज़्यादा यूनिक यूज़र्स और छह अंकों की तरफ बढ़ती ‘हिट्स’ कम नहीं होती। राजनीति और ब्यूरोक्रेसी की अंदर तक की ख़बरों के मामले में ‘मीडियावाला’ बेजोड़ रहा! ख़बरों की होड़-जोड़ के बावजूद ख़बरों की विश्वसनीयता को लेकर इस पोर्टल ने कोई समझौता नहीं किया! आज दावा किया जा सकता है कि हिन्दी भाषी क्षेत्रों में ‘मीडियावाला’ बेजोड़ है। इसे एक बड़ी उपलब्धि कहा जाना चाहिए कि ‘गूगल न्यूज़ फ़ीड’ में भी ‘मीडियावाला’ की ख़बरों को रोज जगह मिल रही है! ये इस बात का प्रमाण है कि इस पोर्टल की ख़बरों को प्रामाणिकता के साथ देखा और पढ़ा जा रहा है।

एक सबसे ख़ास बात यह भी कि ख़बरों के सेंटर के मामले में ‘मीडियावाला’ ने अपना विस्तार दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, हैदराबाद सहित देश के कई शहरों तक किया। मध्य प्रदेश के कोई 30 स्थानों पर मीडियावाला के सक्रिय संवाददाता कार्यरत हैं। यह विस्तार लगातार तेजी की तरफ अग्रसर है। ये सभी सक्रिय सेंटर लगातार ख़बरें और जानकारियां भेजते हैं। इन्हीं न्यूज़ सेंटर्स की सक्रियता का ही नतीजा है कि ‘मीडियावाला’ की हिट्स लगातार बढ़ती जा रही है। इस पोर्टल का फोकस राजनीति और ब्यूरोक्रेसी पर है! क्योंकि, यही दो पावर सेंटर होते हैं, जो हर घटना और खबर के पीछे होते हैं। आज ‘मीडियावाला’ दावा कर सकता है कि इन दो क्षेत्रों की ख़बरों में वो सबसे अव्वल हैं।

मीडियावाला के चार साल: जिस दिन से चला हूँ मेरी मंजिल पे है नजर!

‘मीडियावाला’ की शुरुआत का श्रेय जनसंपर्क विभाग और मध्यप्रदेश माध्यम के डायरेक्टर रहे सुरेश तिवारी को जाता है। वे करीब 4 दशक तक जनसंपर्क विभाग के जरिए ख़बरों की दुनिया में रहे! उनके लम्बे कार्यकाल के संपर्कों का ही नतीजा है कि आज ख़बरों के मामले में मीडियावाला कभी पीछे नहीं रहता! कई वरिष्ठ पत्रकार और संवाददाता उनके साथ खड़े हैं जो ‘मीडियावाला’ को ख़बरों के एवरेस्ट पर पहुंचाना चाहते हैं! ये आसान नहीं है, पर मुश्किल भी नहीं! चुनौती कोई भी आसान नहीं होती, पर उसे मेहनत और लगन से हांसिल किया जाता है और उसी लक्ष्य तक पहुंचने का उपक्रम जारी है।

सुरेश तिवारी बताते हैं कि जनसंपर्क और पत्रकारिता क्षेत्र में अपने विस्तृत एक्सपीरियंस और एक्सपर्टीज का लाभ अपने मित्रों और संपर्कों के माध्यम से आम पाठकों तक पहुंचाने की कोशिश लगातार जारी है। हमारी पहली कोशिश है कि हमारी हर खबर त्वरित होने के साथ विश्वसनीय और सौ टंच जांची-परखी हो! हम खबरों की आड़ में पाठकों को कोई झूठ परोसना नहीं चाहते! सुरेश तिवारी ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने लेखक मित्रों के साथ अपने परिवार को दिया जिसने हर कदम पर उनका साथ दिया।

मीडियावाला के चार साल: जिस दिन से चला हूँ मेरी मंजिल पे है नजर!

एक बात और मैं विशेष रूप से इंगित करना चाहता हूं कि तिवारी जी के परिवार में उनकी पत्नी डॉ स्वाति तिवारी, जो जानी-मानी साहित्यकार हैं और उनकी बेटी रुचि जो पत्रकारिता के साथ ही कंप्यूटर ऑपरेशंस में भी एक्सपर्ट है, ने इस पोर्टल को लोकप्रिय और नई ऊंचाइयों प्रदान करने में अपनी पूरी ताकत लगाई है। मां-बेटी लगातार सक्रियता से इस काम में जुटी हुई है।

मैं यहां एक बात का और उल्लेख करना चाहूंगा कि जब से जाने-माने पत्रकार और कई बड़े अखबारों में वरिष्ठ पदों पर रहे हेमंत पाल इस संस्थान के संपादक बने हैं, तब से पोर्टल की गुणवत्ता, भाषा, खबरों के पैनेपन और अप्रोच को नई ऊंचाई मिली है।

मीडियावाला के चार साल: जिस दिन से चला हूँ मेरी मंजिल पे है नजर!

मीडियावाला डॉट इन न्यूज़ पोर्टल का औपचारिक शुभारंभ 10 अप्रैल 2018 को देश के तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने भोपाल में जहांनुमा में आयोजित एक गरिमामय समारोह में किया था। लेकिन, वो सिर्फ शुभारंभ ही था! उस समय न्यूज़ पोर्टल के प्रति पाठकों की रूचि भी नहीं जागी थी! काम भी नई तरह का होने से कुछ तकनीकी और व्यावहारिक अड़चनें भी आई! लेकिन, जब तक तकनीकी और पोर्टल संबंधी परेशानियों का हल निकलता, लंबा अरसा गुजर गया।

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कहा जा सकता है कि ‘मीडियावाला’ की ख़बरों का असली इंजन सितम्बर 2021 से स्टार्ट हुआ, जब पोर्टल की सारी तकनीकी खामियों को सुधारते हुए उसे नया स्वरुप दिया गया। इसके बाद से ही इस पोर्टल ने सही आकार लिया और उपलब्धियों के आसमान में उड़ना शुरू किया।

‘मीडियावाला’ ने करीब एक महीने से अपने यूट्यूब चैनल को भी सक्रिय किया है। जिस शिद्दत से यूट्यूब चैनल के लिए काम किया जा रहा है, ये उम्मीद की जानी चाहिए कि यूट्यूब चैनल भी आगे जाकर खबरों की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाएगा।

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आज मीडियावाला दावा कर सकता है कि ख़बरों की दौड़ में अपने समकालीन पोर्टलों से वह बहुत आगे है। जब तक खबरों की दुनिया में घटनाएं दर्ज होती रहेंगी ‘मीडियावाला’ की ये दौड़ जारी रहेगी।