Fourth Character of ‘Ramayana’ Became MP : राम देर से आए, रावण, सीता और हनुमान पहले ही संसद में पहुंच चुके!
New Delhi : इस बार के चुनाव में लोकप्रिय टीवी सीरियल ‘रामायण’ के राम यानी एक्टर अरुण गोविल अपने पहले चुनाव में बीजेपी के टिकट पर उत्तर प्रदेश की मेरठ लोकसभा सीट से जीत गए। लेकिन, इस सीरियल के वे पहले पात्र नहीं हैं, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में जीत अपने नाम की हो। रामानंद सागर के इस सीरियल में काम करने वाले तीन किरदार पहले ही संसद में पहुंचे हैं। दो चुनाव जीतकर और एक बतौर राज्यसभा सदस्य।
‘रामायण’ में रावण का किरदार निभाने वाले अभिनेता अरविंद त्रिवेदी ने जिस तरह इस टीवी सीरियल में रावण की भूमिका अदा की थी, उसका मुकाबला आज भी कोई नहीं कर पाता। ‘रामायण’ के बाद अरविंद ने राजनीति में एंट्री ली और साल 1991 में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से गुजरात की सावरकांठा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उनके सामने जेडी(जी) के मगनभाई मनीभाई पटेल की चुनौती रही। लेकिन, अरविंद ने उन आम चुनावों में शानदार प्रदर्शन करते हुए 36 हजार 418 वोटों से जीत हासिल की और सांसद बने।
‘रामायण’ में सीता की भूमिका निभाने वाली दीपिका चिखलिया ने भी 1991 का लोकसभा चुनाव लड़ा। गुजरात की बड़ौदा (वडोदरा) लोकसभा सीट से दीपिका चुनावी मैदान में उतरी और उन्होंने कांग्रेस के नेता गायकवाड़ रंजीत सिंह प्रताप सिंह को 34188 वोटों से शिकस्त दी थी। महज 25 साल की उम्र में दीपिका ने पहली बार में सांसद बनने का कमाल कर दिखाया था।
तीसरे प्रमुख किरदार दारा सिंह थे जिन्होंने रामायण में हनुमान का किरदार निभाया और लोकप्रियता बटोरी थी। दारा सिंह ने बेशक लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन 1998 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा और पहले स्पोर्ट्स पर्सन के तौर पर राज्यसभा में भेजा गया।
इस बार मेरठ से अरुण गोविल ने आजमाई किस्मत और पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत गए। उनके सामने समाजवादी पार्टी की सुनीता वर्मा की चुनौती थी, पर जीत अरूण गोविल के हिस्से में आई।
तीन साल पहले पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के दौरान अरुण गोविल भाजपा में शामिल हुए थे। उस समय गोविल ने कहा था कि मैं पुराने पारंपरिक राजनेताओं की तरह नहीं हूं। मैं राष्ट्र के लिए योगदान देना चाहता हूं और इसके लिए मुझे एक मंच की जरूरत थी और भाजपा आज सबसे अच्छा मंच है। गोविल ने कहा कि जब उन्होंने पहली बार देखा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ‘जय श्री राम’ के नारे से परेशानी है, तो उन्होंने राजनीति में शामिल होने का फैसला किया।