FPO Withdrawn : अडानी ने असलियत जानकर ही FPO वापस लिया! 

गौतम अडानी का ये फैसला उनके ग्रुप का भविष्य तय करेगा!

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FPO Withdrawn : अडानी ने असलियत जानकर ही FPO वापस लिया! 

New Delhi : अडानी ग्रुप का भारत का सबसे बड़ा फॉलोऑन पब्लिक ऑफर (FPO) सिर्फ 112% सब्सक्राइब हुआ। वो भी अबूधाबी वाली एक कंपनी के सहयोग से। रिटेल मतलब हमारे आपके जैसे खुदरा निवेशकों ने इससे तौबा ही किया। रिटेल कैटेगरी में सिर्फ 12% कोटा ही सब्सक्राइब हुआ है। आशय साफ है, कि शेयरधारकों का मजबूत आधार बनाने की अडानी मुहिम फेल हो गई।

वास्तव में तो गौतम अडानी ने FPO वापस लेकर सबको चौंका दिया। उन्होंने अडानी इंटरप्राइजेज के फॉलोऑन पब्लिक ऑफर वापस लेने का फैसला किया है। 20,000 करोड़ रुपए का FPO पूरी तरह सब्सक्राइब होने के कुछ घंटों बाद ही अडानी का ये फैसला हैरान करने वाला है। पिछले कुछ सालों में अडानी की ग्रोथ स्टोरी दरअसल सबको चौंकाती रही है। वो चौंकाने वाले फैसले लेते रहे हैं।

रिटेल से लेकर पोर्ट, एयरपोर्ट, पॉवर जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में जबरदस्ती विस्तार के कारण अडानी लगातार मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ते आए हैं। अब तो डिफेंस, कम्युनिकेशन और मीडिया में भी चमक है। धनकुबेरों की लिस्ट में शीर्ष पर काबिज रहे गौतम अडानी हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पहले भी विवादों में रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में कोल माइन लेने के फैसले पर दुनियाभर में उनके खिलाफ प्रदर्शन हुए। इस बार हिंडनबर्ग ने 218 अरब डॉलर के अडानी समूह पर स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड का आरोप लगाकर हलचल मचा दी है।

रिपोर्ट के सामने आते ही तीन दिनों के भीतर अडानी समूह के शेयर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में बुरी तरह टूट गए। अडानी के मार्केट कैप में लगभग 5.5 लाख करोड़ रुपए स्वाहा हो गए। शेयरों में 30% तक की गिरावट आ गई। फ्लैगशिप कंपनी अडानी इंटरप्राइजेज का शेयर 25 जनवरी को 3400 रुपए पर था और ये एक फरवरी को 2000 रुपए के आस-पास आ गया।

जबकि, शेयर बाजार में सितारे की तरह आए FPO एफपीओ का प्राइस बैंड 3112 रुपए से 3276 रुपए रखा गया था। इसी बीच एक फरवरी को एक और बुरी खबर सामने आई। क्रेडिट सुईस ने अडानी ग्रुप के बॉण्ड्स को मार्जिन लोन देने पर रोक लगा दी।

आखिर एफपीओ जारी ही क्यों हुआ 

कोई भी कंपनी अपने भविष्य के विस्तार के लिए या कर्ज चुकाने के लिए FPO लाती है। ये एक मौका होता है कि मौजूदा शेयरधारकों के लिए भी। उस कंपनी से निकलने का। वो चाहें तो FPO एफपीओ के रेट पर अपना शेयर बेच भी सकते हैं क्योंकि मार्केट का रेट भी उसके आस-पास आ जाता है। पर ऐसा हुआ नहीं। FPO के दौरान कंपनी के रिटेल शेयर का भाव रसातल में चला गया है। अडानी ने चौंकाने वाला फैसला करके इस गिरावट को रोकने की कोशिश की है। अब उनके शेयरधारक इस पर कितना भरोसा करते हैं ये बाजार तय करेगा।

लोगों ने FPO को इसलिए नकारा

परेशानी से जूझते गौतम अडानी ने आलोचकों के मुंह पर ताला लगाने का फैसला लिया था। हिंडनबर्ग को भेजा 413 पन्नों का जवाब माकूल साबित नहीं हुआ। इसलिए अडानी ने मार्केट से FPO ही वापस लेने का फैसला कर लिया। गौतम अडानी ने उन निवेशकों को शुक्रिया कहा है जिन्होंने कंपनी में भरोसा जताते हुए FPO में पैसा लगाया।

असलियत यह है कि भारत का सबसे बड़ा FPO सिर्फ 112% ही सब्सक्राइब हुआ, वो भी अबूधाबी वाली कंपनी के सहयोग से। जबकि, रिटेल यानी खुदरा निवेशकों ने इससे तौबा कर ली। रिटेल कैटेगरी में सिर्फ 12 परसेंट कोटा ही सब्सक्राइब हुआ। आशय यह कि शेयरधारकों का मजबूत आधार बनाने की मुहिम फेल हो गई। इसीलिए अडानी ने FPO वापस लेने का फैसला कर माकूल जवाब देने की कोशिश की है।

कंपनी ने कहा है कि उसकी जो भी जरूरत है वो मौजूदा पैसे से पूरी हो जाएगी। निवेशकों का भरोसा सबसे अहम है। हाल के हफ्तों में कंपनी के शेयरों में काफी उठापटक हुई है। ऐसे में हम सभी सब्सक्राइबर का पैसा लौटा देंगे।