Fraud: महू सैन्य संस्थानों में किराए की कार के नाम पर 10 सालों में तीसरी बार धोखाधड़ी,6 कारें जप्त 

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Fraud: महू सैन्य संस्थानों में किराए की कार के नाम पर 10 सालों में तीसरी बार धोखाधड़ी,6 कारें जप्त 

दिनेश सोलंकी की रिपोर्ट

महू सैन्य छावनी में निजी वाहनों को किराए पर लगाने को लेकर वाहन मालिक धन कमाने की लालसा में ऐसे लोगों के हाथों में पड़ जाते हैं जो बाद में न सिर्फ अपनी कार से हाथ धो बैठते हैं बल्कि तय किराया भी उन्हें नहीं मिल पाता है। विगत 10 सालों में तीसरी घटना सामने आई है, जिसमें पुलिस ने प्रार्थी की शिकायत पर कार धोखेबाज को गिरफ्तार किया है, उससे कुछ कारें भी बरामद की है।

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हाल ही में महू पुलिस ने आम जनता को बेवकूफ बनाकर उनकी संपत्ति धोखे से लेने और उसे खुर्द बुर्द कर देने वाले आरोपियों के विरुद्ध सख्त करवाई की है। विगत दिनों जिला खंडवा के कार मालिकों द्वारा पुलिस अधीक्षक इंदौर हितिका वासल के समक्ष उपस्थित होकर शिकायत की गई थी कि महू में रहने वाले जितेंद्र उर्फ चिंटू कौशल पिता श्रीराम कौशल, निवासी पेंशनपुरा के द्वारा अपने एक साथी इकबाल पिता रशीद निवासी ग्राम छनेरा जिला खंडवा के साथ मिलकर महू कैंट आर्मी क्षेत्र में किराए से कार लगाने का बोलकर किसी अन्यत्र व्यक्ति को कारें गिरवी रख दी गई। और अब ना तो कारों को लौटा रहे हैं ना ही कारों का किराया दे रहे हैं।

उक्त शिकायत पर पुलिस अधीक्षक इंदौर द्वारा थाना प्रभारी महू को तत्काल विधिवत कार्रवाई करने के आदेश दिए गए थे। आदेश के पालन में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रूपेश द्विवेदी, अनुविभागीय अधिकारी दिलीप चौधरी के निर्देशन में थाना प्रभारी संजय द्विवेदी ने मामले में प्रभावी कार्रवाई की और इसके लिए पुलिस टीमों का गठन किया गया।

 

पुलिस टीम द्वारा आरोपी जितेंद्र उर्फ चिंटू कौशल को गिरफ्तार कर उसकी निशादेही पर बताए गए महू तहसील के ग्राम थावलाय, सीतापाठ, ग्राम नांदेड़ से अलग-अलग व्यक्तियों के निवास से ऐसी 6 कारें बरामद की हैं। आरोपी द्वारा चार अन्य कार के बारे में भी पुलिस को सूचना दी गई। इस प्रकार कुछ 10 कारों का की हेरा फेरी सामने आई है। जप्त कारों में हुंडई का, टाटा टिगौर, दो स्विफ्ट डिजायर, आर्टिगा कार और एस्प्रेशो कार शामिल है।

 

*12 साल से वारंट लिए घूम रहा है, मगर आरोपी पुलिस नहीं पकड़ रही*

 

सेना में कार किराए पर लगाने में विधिवत धंधे के अलावा कुछ लोग फर्जी रूप से भी कार्य करते आ रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार पहले किराए की कारों को सेंट्रल कमांड लखनऊ द्वारा रजिस्टर्ड कर ठेके दिए जाते थे, लेकिन अब पता चल रहा है कि सैन्य संस्थान अपने हिसाब से लोकल स्तर पर ही कारों को किराए पर ले लेते हैं। इस कारण सेना में किराए की कार लगाने का गोरख धंधा भी लोग करने लगे हैं।

3 साल पहले भी पुलिस ने 10 से अधिक कारें बरामद की थी, जिसमें आरोपी ने गाड़ियों को किराए पर लेकर उन्हें गिरवी रखकर लाखों रुपया कमा लिए थे।

 

एक रोचक मामला इसमें यह भी है कि महू के निर्मल त्रिवेदी ने लखनऊ के एक रजिस्टर्ड ठेकेदार को अपनी कारें दी थी, जिसने बदले में धोखाधड़ी की। 10 लाख रुपए का चेक देकर वह गायब हो गया। निर्मल त्रिवेदी के अनुसार वह पिछले कई सालों से आरोपी संतोष सिंह राणा, लखनऊ का वारंट लिए घूम रहे और पुलिस उसे पकड़ने में कोई मदद नहीं कर रही है। इस तरह कारों का किराए पर देने का फर्जीपन लगातार चल रहा है।

गौरतलब है महू में कारों के अलावा दो पहिया वाहन भी किराए से दिए जाते हैं जो बाहर से आने वाले सैनिकों द्वारा उपयोग किए जाते हैं। इनमें भी कई वाहन बिना रजिस्टर्ड के चला दिए जाते हैं, यह भी एक बड़ा गिरोह है जिसे पुलिस और सेना को मिलकर इसका हल निकालना चाहिए और सेना को यह इश्तिहार देना चाहिए कि अनुबंधित वाहन किस-किस व्यक्तियों द्वारा ठेके पर दिए गए है ताकि आम लोग धोखाधड़ी से बच सके।