Fraud: भिंड में157 शिक्षकों पर लटकी तलवार, फर्जी तरीके से विकलांगता सर्टिफिकेट बनवाकर पाई थी सरकारी नौकरी!
भिण्ड से परानिधेश भारद्वाज की रिपोर्ट
भिण्ड- मध्यप्रदेश के भिण्ड जिले में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्रों के सहारे शिक्षक की सरकारी नौकरी हथियाने का बड़ा मामला सामने आया है। जिसमें अब जांच के बाद 157 ऐसे दिव्यांग शिक्षकों पर बर्खास्तगी की तलवार लटक गई है जिन्होंने फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी हासिल की थी। मामले में अच्छे खासे स्वस्थ लोगों ने ऐसे डॉक्टरों से फर्जी विकलांगता प्रमाणपत्र बनवाये जो उस विकलांगता के विशेषज्ञ ही नहीं थे। ऐसे में इन सभी लोगों को बोर्ड से दोबारा परीक्षण कराने के लिए कहा गया है। लेकिन यह शिक्षक अब बोर्ड के सामने जाने से कतरा रहे हैं क्योंकि उन्होंने विकलांग ना होने के बावजूद विकलांगता प्रमाणपत्र बनवाकर नौकरी हासिल की थी।
दरअसल भिण्ड जिले में दिव्यांग कोटे से शिक्षकों की भर्ती मामले में डॉक्टरों ने गजब कारनामा कर डाला। आँखों के डॉक्टर ने पैर, हड्डी के डॉक्टर ने पैर तथा ईएनटी के डॉक्टर ने आंखों के फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट बना डाले। इन्ही दिव्यांग प्रमाण पत्रों के सहारे दो साल पहले 157 लोगों ने शिक्षक की नोकरी हासिल कर ली। जब इस बात की खबर प्रशासन को लगी तो भोपाल से भिण्ड तक पत्राचार हुए और जिला प्रशासन ने 3 सदस्यीय जाँच कमेटी बना दी। जांच कमेटी की जांच रिपोर्ट में यह सभी विकलांगता सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए। इन सर्टिफिकेट में डॉक्टर ने उस बीमारी का सर्टिफिकेट जारी कर दिया जिसका वह विशेषज्ञ ही नहीं था। दूसरी ओर सर्टिफिकेट मेडिकल बोर्ड की बजाय सिंगल डॉक्टर ने जारी कर दिए। नियमानुसार किसी भी भर्ती के लिए मेडिकल बोर्ड का सर्टिफिकेट ही मान्य होता है। साल 2022 में भर्ती हुए इन शिक्षकों पर कार्यवाही के लिए विभाग ने लोक शिक्षण संचालनालय के लिए जाँच रिपोर्ट भेज दी है।
दरअसल फर्जी विकलांगता सर्टिफिकेट का मामला तो लगभग डेढ़ साल पहले उजागर हो चुका था लेकिन जांच के नाम पर अफसरों ने मामले को दबा कर रखा।
मामले में संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संचालनालय ने कहा दोषी पाए जाने वाले शिक्षकों पर नौकरी से बर्खास्त करने के साथ ही उनपर एफआईआर भी दर्ज कराने की कार्यवाही की जायेगी। संयुक्त संचालक दीपक कुमार पांडेय ने बताया कि इसी प्रकार के मामलों में ग्वालियर एवं मुरैना जिले की जांच पूर्ण होने बाद दोषियों को बर्खास्त करने के साथ ही एफआईआर दर्ज कराई गई है। ऐसी ही कार्यवाही भिण्ड में भी की जाएगी। संयुक्त संचालक ने कहा कि अब सभी दिव्यांग शिक्षकों को जिस जिले में वह पदस्थ है वहां के मेडिकल बोर्ड से पुन: विकलांगता का परीक्षण करवाना होगा। दिव्यांगता का परीक्षण व जारी प्रमाण पत्र,मेडिकल बोर्ड द्वारा पुन: दिव्यंगता प्रमाण पत्र जारी व सत्यापित होने के बाद ही दिव्यांग शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया मानी जाएगी। इस पूरे मामले में कलेक्टर से लेकर शिक्षा अधिकारी तक जिले के जिम्मेदार अधिकारी कुछ भी कहने से बचते नजर आ रहे हैं।
बाइट:- दीपक कुमार पांडेय, संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संचालनालय ग्वालियर चंबल संभाग