

Fraud With Farmer: अनपढ़ किसान को गुमराह कर 2 करोड़ रू की धोखाधड़ी, EOW में “ट्राइडेंट मल्टीवेंचर्स” के मालिकों एवं कर्मचारियों पर FIR दर्ज
बेशकीमती ज़मीन की रजिस्ट्री कम कीमत में कराई, धोखाधड़ी के उद्देश्य से विक्रेता किसान को गुमराह कर नया बैंक खाता खुलवाया!
भोपाल: Fraud With Farmer: भोपाल में एक अनपढ़ किसान को गुमराह कर 2 करोड़ रू की धोखाधड़ी मामले में EOW ने “ट्राइडेंट मल्टीवेंचर्स” के मालिकों एवं कर्मचारियों पर FIR दर्ज की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार संस्था ने किस की बेशकीमती ज़मीन की रजिस्ट्री कम कीमत में कराई।
EOW की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार धोखाधड़ी के उद्देश्य से विक्रेता किसान को गुमराह कर नया बैंक खाता खुलवाया।
विक्रेता के बैंक खाते को स्वयं ऑपरेट कर अपने खाते में पैसे ट्रांसफर किए। रजिस्ट्री में “भुगतान प्राप्त” दर्शाये गए चेकों को भी स्टॉप पेमेंट कर धोखाधड़ी की।
इस संबंध में EOW की विस्तार से प्रेस विज्ञप्ति इस प्रकार है:
शिकायतकर्ता श्री चिंता सिंह मारण, निवासी रातीबड़, भोपाल, की कृषि भूमि (खसरा क्र. 01, रकबा 12.46 एकड़, ग्राम महुआखेड़ा, भोपाल) जो उच्च न्यायालय के आदेश से नामांतरण के बाद उनके नाम दर्ज हुई थी, उसे एक संगठित साजिश के तहत आरोपियों ने धोकाधड़ी से खरीद लिया। राजेश शर्मा (पता: बी-11, कस्तूरबा नगर, भोपाल) एवं उनकी पार्टनरशिप फर्म “मेसर्स ट्राईडेंट मल्टीवेंचर्स” ने धोखाधड़ी से न केवल शिकायतकर्ता से विक्रय पत्र पर हस्ताक्षर कराए, बल्कि विक्रय पत्र (रजिस्ट्री) में उल्लेखित भुगतान की राशि भी विक्रेता के खाते से धोखा देकर वापस निकाल ली।
शिकायत के अनुसार, राजेश शर्मा ने स्वयं को प्रभावशाली बताते हुए शिकायतकर्ता को नामांतरण संबंधी समस्या सुलझाने और भूमि खरीदने का झांसा दिया। शिकायतकर्ता श्री चिंता सिंह मारण की कृषि भूमि की रजिस्ट्री के समय, आरोपी राजेश शर्मा ने शिकायतकर्ता को यह कहकर बहकाया कि “बैंक ऑफ इंडिया” के खाते में तकनीकी दिक्कत के कारण पूरी रकम ट्रांसफर नहीं हो सकती, अतः नया खाता ICICI बैंक में खुलवाना आवश्यक है। इस बहाने से राजेश शर्मा ने ICICI बैंक, नेहरू नगर शाखा, भोपाल के कर्मचारियों को अपने घर बुलवाया। वहां शिकायतकर्ता से अंगूठे के निशान व हस्ताक्षर फॉर्म पर लिए गए, लेकिन स्वयं के मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी शिकायतकर्ता की जानकारी के बिना भर दिए। इस खाते में शिकायतकर्ता की जानकारी के बिना मोबाइल नंबर 9826****57 दर्ज कराया गया, जो वास्तव में राजेश शर्मा के सहयोगी राजेश कुमार तिवारी का था। इसके माध्यम से खाता पूर्णतः उनकी देखरेख में रहा और उसमें जमा की गई राशि तुरंत राजेश तिवारी के खाते में ट्रांसफर कर दी गई।इस प्रकार राजेश शर्मा और उसके सहयोगियों द्वारा सुनियोजित षड्यंत्रपूर्वक शिकायतकर्ता की बहुमूल्य भूमि हड़पने के उद्देश्य से फर्जी विक्रय पत्र, कूटरचित भुगतान विवरण,अनाधिकृत बैंक ट्रांजेक्शन, किया गया, जिससे शिकायतकर्ता को करोड़ों रुपये का नुक़सान हुआ।
दिनांक 12.06.2023 को ग़लत तथ्यों के आधार पर , रजिस्ट्रार को आवेदन प्रस्तुत कर,ऑन-साइट प्रक्रिया के माध्यम से विक्रय पत्र तैयार कर रजिस्ट्री संपादित की गई, जिसमें मैसर्स ट्राईडेंट मल्टीवेन्चर्स को खरीदार दर्शाया गया। भुगतान के लिए शिकायतकर्ता के नाम से आईसीआईसीआई बैंक में एक फर्जी खाता खोला गया, जिसमें शिकायतकर्ता की जानकारी के बिना मोबाइल नंबर एवं ईमेल ID आरोपियों द्वारा दर्ज की गई। बाद में 2,86,16,000 रुपये में उनकी भूमि फर्म “मेसर्स ट्राईडेंट मल्टीवेंचर्स” के नाम पर रजिस्ट्री करवा ली गई।
रजिस्ट्री में ₹2.86 करोड़ का लेनदेन दर्शाया गया, परंतु शिकायतकर्ता को केवल ₹81 लाख के लगभग राशि ही प्राप्त हुई। तीन चेक (₹22 लाख प्रत्येक) दिए गए, परंतु उन्हें ‘स्टॉप पेमेंट’ कर वापस ले लिया गया। रजिस्ट्री की प्रति भी शिकायतकर्ता को नहीं सौंपी गई। रजिस्ट्री के अनुसार, 2,86,16,000/- रुपये के भुगतान का उल्लेख किया गया, लेकिन जांच में पाया गया कि लगभग 2,02,16,000/- रुपये शिकायतकर्ता को कभी प्राप्त ही नहीं हुए। इसके विपरीत, केवल 81,13,840/- रुपये ही वास्तविक रूप से शिकायतकर्ता के खातों में पहुँचे। शेष राशि को किसान के बैंक खाते से धोखाधड़ी से निकाल लिया।
असल में, इस खाते (ICICI – खाता क्रमांक 72570***738) में मोबाइल नंबर 9826**57 और ईमेल आईडी chintaman.maran@example.com दर्ज कर दी गई, जोकि आरोपी के सहयोगी राजेश कुमार तिवारी का था। इस प्रकार, खाते की हर जानकारी, OTP, ट्रांजेक्शन अलर्ट, पासबुक अपडेट आदि पूरी तरह आरोपियों के नियंत्रण में आ गए, न कि वास्तविक खाताधारक (शिकायतकर्ता) के पास। खाता खुलवाने के बाद, रजिस्ट्री में दर्शाए गए अधिकतर चेक और ट्रांसफर इसी फर्जी ICICI खाते में डाले गए, जिससे कागजों में ऐसा प्रतीत हो कि भुगतान शिकायतकर्ता को “तुरंत” किया गया।
हर बार जब बड़ी रकम (₹30 लाख, ₹40 लाख, ₹31.16 लाख, ₹35 लाख आदि) ट्राइडेंट मल्टीवेंचर्स के खाते से इस ICICI खाते में आई, उसी दिन या अधिकतर मामलों में चंद घंटों के भीतर पूरी राशि को आरोपी राजेश कुमार तिवारी के IDFC बैंक (खाता क्र. 10098***257) में ऑनलाइन ट्रांसफर कर दिया गया।इन ट्रांजेक्शनों के लिए OTP, पासवर्ड, इंटरनेट बैंकिंग/मोबाइल एप का प्रयोग हुआ, जिनकी जानकारी सिर्फ आरोपी पक्ष के पास थी। शिकायतकर्ता को इन ट्रांसफर की कोई सूचना नहीं मिली।
इस तरह—
27.06.2023 को ₹30,00,000 खाते में डाले गए, उसी दिन ₹20,00,000 राजेश तिवारी के IDFC खाते में ट्रांसफर कर दिए गए।
28.06.2023 को ₹40,00,000 डाले गए, दो किश्तों में कुल ₹50,00,000 अगले दो दिनों में IDFC खाते में भेजे गए।
05.07.2023 को ₹31,16,000, और 07.07.2023 को ₹35,00,000 भी तुरंत ही IDFC खाते में ट्रांसफर कर दिए गए।
अन्य चेक व ट्रांसफर भी इसी फर्जी खाते का इस्तेमाल कर निकाल लिए गए।
श्री चिंता सिंह मारण को उनकी भूमि की रजिस्ट्री के बदले कुल केवल ₹81,13,840/- (इक्यासी लाख तेरह हजार आठ सौ चालीस रुपये) ही वास्तविक रूप से प्राप्त हुए।
जबकि विक्रय पत्र में कुल ₹2,86,16,000/- (दो करोड़ छियासी लाख सोलह हजार) रुपये का भुगतान दर्शाया गया था।
अर्थात, लगभग ₹2,02,02,160/- रुपये (दो करोड़ पाँच लाख दो हजार एक सौ साठ) की राशि कभी भी शिकायतकर्ता को नहीं मिली।
राजेश शर्मा –
इस पूरे प्रकरण का मास्टरमाइंड राजेश शर्मा है।
वह अपनी पत्नी राधिका शर्मा के साथ मिलकर “मेसर्स ट्राईडेंट मल्टी वेन्चर्स” भागीदारी फर्म का संचालन करता है, जो इस फर्जी लेन-देन में उपयोग की गई।
पहले शिकायतकर्ता की भूमि का नामांतरण करवाया और फिर 12.06.2023 को अपने निवास स्थान पर ही फर्जी तरीके से विक्रय पत्र का पंजीयन कराया। शिकायतकर्ता को न जानकारी दी गई, न ही दस्तावेज़ दिखाए गए।
राजेश शर्मा ने ICICI बैंक में शिकायतकर्ता के नाम से खाता खुलवाया, जिसमें उसका सहयोगी (राजेश तिवारी) मोबाइल नंबर और ईमेल दर्ज करवाया गया।
विक्रय पत्र में दर्शाए गए ₹2.86 करोड़ में से ₹1.36 करोड़ से अधिक की राशि इस फर्जी खाते के माध्यम से ट्रांसफर करवा कर राजेश तिवारी के खाते में ट्रांसफर कर ली।
पूरे घटनाक्रम की योजना, दस्तावेजों का निर्माण, बैंक खाते की धोखाधड़ी और चेक स्टॉप पेमेंट के निर्णय सभी राजेश शर्मा के द्वारा और निर्देश पर किए गए।
दीपक तुलसानी – अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता
ट्राईडेंट फर्म का अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता एवं प्रतिनिधि होने के कारण विक्रय पत्र में खरीदार के रूप में उसका नाम दर्ज है।हालांकि उन्होंने रजिस्ट्री में पार्टनर की हैसियत से हस्ताक्षर किए हैं जबकि ऐसा नहीं था।
उसने विक्रय पत्र में बतौर “क्रेता” अपने हस्ताक्षर किए
हालांकि व्यवहारिक रूप से न तो वह भूमि की खरीद में संलिप्त था, न भुगतान करता था – वह केवल एक कागज़ी चेहरा (benami front) के रूप में उपयोग में लाया गया।
वह न केवल ट्राईडेंट फर्म के डायरेक्टर्स की अन्य कंपनीज़ में शामिल है बल्कि हस्ताक्षरकर्ता भी है, अतः वह राजेश शर्मा के साथ इस कूटरचित दस्तावेज़ के निर्माण में प्रत्यक्ष रूप से शामिल पाया गया।
राजेश कुमार तिवारी – तकनीकी सहयोगी एवं बैंकिंग धोखाधड़ी में सहायक
वह राजेश शर्मा का नजदीकी सहयोगी है और पूरे डिजिटल लेन-देन और फर्जी बैंकिंग ऑपरेशन में सक्रिय रहा।
ICICI बैंक शाखा नेहरू नगर में चिंता सिंह मारण के नाम से खोले गए खाते में उसका मोबाइल नंबर (9826****57) और ईमेल (chitaman.maran@example.com) दर्ज कराया गया, जिससे वह खाते को स्वयं ऑपरेट कर सके।
फर्जी बैंकिंग के जरिए ₹1.36 करोड़ से अधिक की राशि फर्जी खाते में ट्रांसफर की गई और वही राशि राजेश कुमार तिवारी के IDFC बैंक खाता क्रमांक 100****7257 में ट्रांसफर कर दी गई।
आईटी एक्ट का उल्लंघन: उसने OTP, नेटबैंकिंग और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के जरिए शिकायतकर्ता की डिजिटल पहचान का दुरुपयोग कर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66-C और 66-D का उल्लंघन किया।
आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ, की जांच में ज़मीन के फर्जी सौदे और झूठे भुगतान दिखाकर करोड़ों रुपये की कृषि भूमि हड़पने की एक संगठित साज़िश सामने आई है। सत्यापन उपरांत प्रकरण में आरोप प्रमाणित पाए जाने पर इस पूरे मामले में जांच के बाद आरोपी राजेश शर्मा, दीपक तुलसानी और राजेश तिवारी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471, 120बी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66C व 66D के तहत अपराध दर्ज किया गया है।