30 वर्षों से रेलवे स्टेशन पर नि:शुल्क शीतल जल सेवा

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30 वर्षों से रेलवे स्टेशन पर नि:शुल्क शीतल जल सेवा

ग्वालियर:विगत शनिवार 27 मई को ग्वालियर रेलवे स्टेशन के एक नंबर प्लेटफार्म पर जश्न के माहौल में फूल मालाओं से लदी दो नई पानी की टंकी वाली जल गाड़ियां पंजाबी परिषद को जल सेवा के लिए भेंट की गई । ज्ञातव्य हो कि पंजाबी परिषद गर्मी के दिनों में रेलवे स्टेशन पर मुसाफिरों को सुबह 9:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक नि:शुल्क शीतल जल सुलभ करा रही है। जन सहयोग से चलने वाली इस सेवा में उस दिन एक जल गाड़ी श्रीमती कुसुम पोतनीस ने और दूसरी जल गाड़ी श्री केशव मजूमदार ने भेंट की थी। कुछ अरसा पूर्व हरियाणा अंबाला के श्री विजय जोहर ने भी अपने माता पिता की स्मृति में एक जल गाड़ी और चंडीगढ़ से भी एक व्यक्ति ने जल सेवा के लिए सहयोग राशि पंजाबी परिषद ग्वालियर को भेजी।

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पंजाबी परिषद के अध्यक्ष श्री अशोक मारवाह ने जानकारी देते हुए बताया कि हजारा, मुल्तान, झंग, सुजाबाद, पेशावर सहित विभाजन उपरांत पश्चिमी पंजाब से आए सभी बिरादरी वाले पंजाबी परिषद में शामिल हैं। जहां तक जल सेवा का प्रश्न है उसमें तो ग्वालियर नगर की प्राय: -प्राय: सभी जाति के लोग बड़े बूढ़े बच्चे और महिलाएं बतौर जल सेवक नि:शुल्क सेवादारी कर रहे हैं। उस समय वहां श्रीमती मारवाह भी जल सेवकों के साथ जल पात्रों की सफाई में जुटी थीं।

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रेलवे स्टेशन पर नि:शुल्क जल सेवा शुरू करने की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए श्री मारवाह ने बताया कि 17 अप्रैल 1994 को 5 पंजाबी सर्वश्री राम लुभाया जी, बीके आनंद, जगदीश चावला, प्रमोद चावला और अशोक मारवाह यानी कि मैं ग्वालियर से रेल द्वारा नागपुर की यात्रा पर थे । पूरे रास्ते में कहीं भी पीने का पानी नसीब नहीं हुआ। वहां से लौटकर हम लोगों ने ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर शीतल जल उपलब्ध कराने का फैसला किया। दिनांक 24 अप्रैल 1994 को 4 मटकों के साथ हमनें शीतल जल सेवा प्रारंभ कर दी । उन्होंने जल सेवा के उन प्रणेताओं का भी स्मरण किया जो दुनिया छोड़कर जा चुके हैं।

तीस वर्ष पूर्व चार मटकों से प्रारंभ हुई जल सेवा में आज चार पेड वर्कर, 60 जल गाड़ियां और सवा सौ जल सेवक हैं, जो चारों प्लेटफार्म पर मुसाफिरों को शीतल जल पहुंचा रहे हैं। जल सेवकों में कई 70-80 की आयु पार वाले स्त्री-पुरुष, सेवानिवृत्त बैंक कर्मी, सफल व्यवसाई, युवा छात्र छात्राएं और एक भूजल वैज्ञानिक भी शामिल हैं। स्थानीय गुरुद्वारा भी इस कार्य में जल सेवकों को दोपहर का लंगर उपलब्ध करा कर अभूतपूर्व सहयोग कर रहा है।