Freedom of Speech : बोलने की आजादी पर सुप्रीम कोर्ट की रोक संभव!
New Delhi : सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति के बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर क्या अदालत पाबंदी लगा सकती है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुना सकता है। जस्टिस एसए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस बारे में फैसला सुनाएगी। जस्टिस नजीर 4 जनवरी को रिटायर हो रहे हैं। इसलिए इस मामले में आज फैसला सुनाए जाने की उम्मीद ज्यादा है।
सुप्रीम कोर्ट की मंगलवार की कार्यसूची के अनुसार मामले में दो अलग-अलग फैसले होंगे, जो जस्टिस रामासुब्रमण्यम और जस्टिस नागरत्ना सुनाएंगे। इस अदालत ने 15 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
अदालत ने कहा था कि सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों को ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए, जो अन्य देशवासियों के लिए अपमानजनक हों। शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह व्यवहार हमारी संवैधानिक संस्कृति का हिस्सा है और इसके लिए सार्वजनिक पद पर बैठे लोगों के लिहाज से आचार संहिता बनाना जरूरी नहीं है।
विवाद का कारण आजम खान का बयान
उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मंत्री आजम खान ने बुलंदशहर में हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटना को लेकर विवादास्पद बयान दिया था। इसके बाद ये विवाद हुआ। आजम खान ने सामूहिक दुष्कर्म को राजनीतिक साजिश करार दिया था। अदालत उस व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसकी पत्नी और बेटी के साथ बुलंदशहर के नजदीक हाईवे पर जुलाई 2016 में सामूहिक दुष्कर्म किया गया था।