खाकी से खादी को ओर!

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सुनी सुनाई

रवीन्द्र जैन

 

खाकी से खादी को ओर!
मप्र के पुलिस अफसरों में अचानक खाकी छोड़कर खादी पहनने का शौक बढ़ता जा रहा है। मप्र के तीन आईपीएस अफसर विधानसभा चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं। एक राज्य पुलिस सेवा के अफसर ने भी विधायक का चुनाव लड़ने राज्य सरकार को त्यागपत्र भेज दिया है। मप्र में सबसे वरिष्ठ आईपीएस पुरूषोत्तम शर्मा मुरैना जिले की जौरा सीट से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। होमगार्ड महानिदेशक से कल रिटायर हुए पवन जैन एकाध दिन में भाजपा में शामिल होने वाले हैं। उन्होंने अपने गृहनगर राजाखेड़ा (राजस्थान) से विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरु कर दी है। मप्र के आईजी रेल महेन्द्र सिकरवार भी गृह जिले मुरैना की जौरा सीट से चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं। उन्होंने अपने गृहनगर में सबसे बड़ा मेडीकल कैम्प लगाकर मतदाताओं की नब्ज टटोलने का काम कर लिया है। छतरपुर के लवलेश नगर के एसडीओपी पीएल प्रजापति ने गुन्नोर से चुनाव लड़ने नौकरी छोड़ दी है। यानि खाकी पहनकर खादी को सेल्युट करने वाले अब स्वयं माननीय बनने की दौड़ में शामिल हो गए हैं।

टीआई से झगड़ा, निपट गये एसपी साहब!
मप्र के सीमावर्ती आदिवासी बहुल जिले अलीराजपुर में पुलिस का हाल बेहाल है। यहां के सोंडवा थाने के टीआई विजय देवड़ा पर एक आदिवासी के 240 सोने के सिक्के (कीमत लगभग एक करोड़ रुपये) चुराने का आरोप है। पुलिस अधीक्षक हंसराज सिंह के आदेश पर सोंडवा थाने में ही टीआई के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। टीआई सहित चार पुलिस वाले फरार हो गए हैं। टीआई विजय देवड़ा ने डीजीपी के नाम वीडियो जारी करके रोते हुए एसपी हंसराज सिंह पर आरोप लगाया कि उन्होंने नेताओं के दबाव में एफआईआर दर्ज की है जबकि वह निर्दोष है। एसपी ने टीआई को गिरफ्तार करने टीम बना दी। इसी बीच राज्य सरकार ने अचानक एसपी हंसराज सिंह को अलीराजपुर से हटाकर लूप लाईन भेज दिया है। हंसराज सिंह चार माह पहले ही अलीराजपुर एसपी बनाये गये थे। सरकार ने साफ संदेश दे दिया है कि पुलिस विभाग में लड़ोगे तो फील्ड से हटा दिए जाओगे।

जेब काटते पंच सरपंच!
इसे आप इस सप्ताह की सबसे बड़ी खबर भी मान सकते हो। सरपंच बनने के बाद लोग सरकारी योजना के नाम पर भ्रष्टाचार करते हैं। यह बात आम है। लेकिन सरपंच बनने के बाद मुख्यमंत्री की सभा और रोड शो में लोगों की जेब काटते यदि कोई सरपंच रंगेहाथ पकड़ा जाए तो वाकई आश्चर्य होता है। बडवानी पुलिस ने धार जिले के बाग देवधा के सरपंच सुभान भूरिया और पंच पान सिंह भूरिया को मुख्यमंत्री की सभा और रोड शो में जेब काटने के आरोप में गिरफ्तार किया है। इनसे जेबकटी के एक लाख सत्तर हजार रुपये भी बरामद किये गये हैं। अभी नहीं पता चल सका कि यह दोनों महान पंच सरपंच किस राजनीतिक दल से संबंधित हैं। लेकिन इन दोनों ने पुलिस के समक्ष स्वीकार किया कि कई बड़े आयोजनों में उन्होंने अनेक लोगों की जेबें साफ की हैं।

छा गये कैलाश विजयवर्गीय
मप्र भाजपा की राजनीति में एक बार फिर कैलाश विजयवर्गीय ने सिद्ध कर दिया है कि वे मालवा के एकछत्र नेता हैं जिनकी एक आवाज पर हजारों भाजपा कार्यकर्ता एकत्रित हो सकते हैं। इंदौर में अमित शाह भी अपनी खुली आंखों से कैलाश विजयवर्गीय की लोकप्रियता देखकर हैरान थे। अमित शाह के इशारे पर कैलाश विजयवर्गीय ने अपने दम पर अभी तक का सबसे बड़ा कार्यकर्ता सम्मेलन करके मालवा में भाजपा की संभावनाओं को प्रबल कर दिया है। सबसे बड़ी बात यह कि इतना बड़ा आयोजन विजयवर्गीय ने सरकार की मदद के बिना कर डाला है। इस बड़े आयोजन के लिए कैलाश विजयवर्गीय को कुछ घंटे ही मिले थे।मजेदार बात यह है कि अमित शाह जब दिल्ली से इंदौर के लिए उड़े तब तक कार्यकर्ता सम्मेलन के टेंट ही लग रहे थे। विजयवर्गीय ने अमित शाह को पहले भगवान परशुराम के जन्मस्थान भेज दिया। वे लौटे तब तक तैयारियां पूरी करके ऐतिहासिक आयोजन कर दिया गया। यानि शाह की नजर में विजयवर्गीय छा गये हैं।

चुनाव में शिव के सामने हनुमान!
इस बार कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने हनुमान का उतारने का मन बना लिया है। कमलनाथ स्वयं को हनुमान भक्त बताते हैं। उन्होंने छिंदवाड़ा में हनुमान जी की सबसे ऊंची मूर्ति स्थापित कराई है। अब उन्होंने शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ चुनाव लड़ने रामायण सीरीयल में हनुमान का रोल करने वाले विक्रम मस्ताल को कांग्रेस ज्वाइन कराकर बुधनी में सक्रिय कर दिया है। वैसे विक्रम मस्ताल का परिवार पंजाब का रहने वाला है, लेकिन लंबे समय से यह लोग बुधनी विधानसभा के सलकनपुर मंदिर के पास रह रहे हैं। विक्रम मस्ताल मुम्बई चले गये थे। वैसे तो विक्रम मस्ताल नर्मदा में अवैध खनन पर सीरीज बनाने वापस आए थे। लेकिन नर्मदा में अवैध खनन का हाल देखकर राजनीति में कूद गये हैं। कमलनाथ ने फिलहाल उन्हें नर्मदा सेवा सेना का संयोजक बना दिया है। इसके अलावा बुधनी से तैयारी के संकेत भी दे दिए हैं।

एदलसिंह को क्यों सफाई देना पड़ रही है!
मप्र में कमलनाथ की सरकार गिराने में सहयोग करने वाले मुरैना जिले के तत्कालीन विधायक और वर्तमान में एग्रो इंडस्ट्री के चेयरमैन (कैबिनेट मंत्री दर्जा) एदलसिंह कंसाना को सफाई देनी पड़ रही है कि यदि फांसी पर भी लटकने की नौबत आ जाए फिर भी वे कांग्रेस में वापस नहीं जाएंगे। मप्र की राजनीति में एदलसिंह कंसाना को दलबदल के लिए कुख्यात माना जाता है। वे पहली बार बसपा से विधायक बने थे। दिग्विजय सरकार में मंत्री बनने उन्होंने बसपा छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ली थी। पिछले विधानसभा चुनाव में कमलनाथ ने मंत्री नहीं बनाया तो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए। अभी कांग्रेस विधायक अजब सिंह कुशवाह ने दावा किया है एदलसिंह कंसाना कांग्रेस में वापस लौटने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के चक्कर लगा रहे हैं। अजब सिंह के बयान के बाद एदलसिंह को सफाई देने सामने आना पड़ा है। वे दावा कर रहे हैं कि अब चाहे फांसी पर लटकना पड़े भाजपा नहीं छोडेंगे।

और अंत में…!
मप्र के तीन वरिष्ठ आईपीएस अफसरों को तत्‍कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के नजदीक जाना भारी पड़ गया है। एडीजी स्तर के तीनों आईपीएस अब रिटायर हो गए हैं। इन तीनों को पेंशन व रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले लाभ से वंचित कर दिया गया है। संजय माने, बी मधुकुमार और सुशोभन बैनर्जी के खिलाफ विभागीय जांच शुरु हो गई है। इन तीनों पर कमलनाथ के समय चुनाव में कालेधन के दुरूपयोग के आरोप लगे हैं। सूत्रों का कहना है कि इन अफसरों पर लगे आरोपों में कोई दम नहीं है। तीनों बेदाग साबित होगे। लेकिन 2023 के चुनाव से पहले मप्र की भाजपा सरकार इन तीनों पर शिकंजा कसकर मप्र के सभी अफसरों को संदेश देने की कोशिश कर रही है कि कमलनाथ के नजदीक जाने का क्या परिणाम होता है।