शिक्षक से लेकर भजन गायक और धार्मिक वक्ता बतौर लोहा मनवाया शिवराज ने…

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शिक्षक से लेकर भजन गायक और धार्मिक वक्ता बतौर लोहा मनवाया शिवराज ने...

शिक्षक से लेकर भजन गायक और धार्मिक वक्ता बतौर लोहा मनवाया शिवराज ने…

दर्शन शास्त्र से स्नातकोत्तर कर हमीदिया कॉलेज में अध्यापन कार्य किया। शिक्षक बन शिक्षण कार्य करना पसंद था। नियति ने राजनीति में भेजा, तो यहां भी शिक्षण कार्य कर रहा हूं। आजकल लाड़ली बहना योजना से बहनों को शिक्षित कर रहा हूं। यह अभिव्यक्ति शिक्षकों के सामने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कर रहे थे। दार्शनिक अंदाज में शिवराज बोले कि जीवन बहुत छोटा है। बच्चे माटी का लौंधा होते हैं। जैसा ढालोगे वैसे बन जाएंगे। गुरु की बड़ी भूमिका है बच्चों का भविष्य बनाने में। अपने गुरु श्री रतनलाल को याद किया कि उन्होंने मुझे बेहतर वक्ता बना दिया। यहां तक पहुंचा दिया। आपको भी गुरु के रूप में जो कार्य मिला है, उसे सर्वश्रेष्ठ तरीके से संपन्न करना। यह कार्य भी सबको नसीब नहीं हुआ। लाखों लोगों ने कोशिश की होगी, उसमें हजारों लोग ही नियुक्त हो पाए हैं। ऐसा न करना कि कल सिंगरौली में नियुक्ति मिली, तो ट्रांसफर कराने में जुट गए। जहां नियुक्ति मिले, वहां पूरी ईमानदारी से अपना काम शुरू कर देना ताकि बच्चे याद करें कि हमारे गुरु थे। सीएम हाउस में नव नियुक्त शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें भरपूर शिक्षा की घुट्टी भी पिलाई। यह इन शिक्षकों की खुशकिस्मती ही थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन नव नियुक्त शिक्षकों को वर्चुअली संबोधित कर बेहतर कर्तव्य निर्वहन की शिक्षा दी। वैसे जिस बात को मुख्यमंत्री ने दार्शनिक अंदाज में शिक्षकों के सामने बयां किया, वह दिनभर उनके आचरण में परिलक्षित होता रहा। गुरुओं संग आत्मीय संवाद के बाद मुख्यमंत्री शिवराज शुजालपुर में लाड़ली बहनों से रूबरू हुए। तो यहां बेटे-बेटियों में भेदभाव न करने की शिक्षा दी और लाड़ली बहना योजना के बारे में शिक्षित किया। फिर शाम को विदिशा में बागेश्वर धाम महाराज की कथा के मंच पर पहुंचे तो माइक पकड़ श्रेष्ठ कथा वाचक की तरह हनुमान की भक्ति का प्रसंग सुना दिया। और फिर पूरा भजन सुनाकर श्रोताओं को झूमने का अवसर दिया, साथ ही हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे धुन पर लाखों श्रद्धालुओं को भक्ति के रंग में सराबोर कर दिया। इन भूमिकाओं में शिवराज सौ फीसदी खरे साबित हुए और यही शिवराज की जन-जन के मन में पैठ करने की टीआरपी भी है। चार बार और सोलह साल के इस मुख्यमंत्री की यही सहजता, सरलता और कार्यकुशलता जैत में पले बढ़े शिवराज को दूसरे राजनेताओं से भिन्न तो बनाती है।
शिक्षक से लेकर भजन गायक और धार्मिक वक्ता बतौर लोहा मनवाया शिवराज ने...
मुख्यमंत्री निवास में नवनियुक्त शिक्षकों से शिक्षक को गुरु बनने का आह्वान करते हुए शिवराज बोले बच्चे मिट्टी के लौंदे होते हैं, उन्हें शिक्षक जैसा चाहे बना सकते हैं। स्वयं के लिए गुरू बनने का संकल्प लेंगे तो बच्चों को बनाने, मध्यप्रदेश को बनाने और भारत को बनाने में सबसे बड़ा योगदान देंगे। आप नया मध्य प्रदेश और नया भारत गढ़ सकते हैं। आचरण से ही हम सिखा सकते हैं सिर्फ भाषण से नहीं। चरित्रवान बच्चों के निर्माण से भारत बनकर खड़ा हो जाएगा। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि शिक्षा मनुष्य को मनुष्य बनाती है। शंकराचार्य जी ने भी शिक्षा को इस लोक और परलोक में भी सही दिशा देने में उपयोगी बताया था। शिवराज ने कहा कि शिक्षा के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं- विद्यार्थियों को ज्ञान, कौशल और नागरिकता के संस्कार देना। तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 60 हजार शिक्षकों की नियुक्ति के शिवराज सरकार के लक्ष्य और मध्यप्रदेश का शिक्षा सर्वे में देश में 17 वें स्थान से छलांग लगा कर 5 वें स्थान पर आने को बड़ी उपलब्धि बताया। तारीफ करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश ने बिना शोर मचाए यह उपलब्धि हासिल की। इस तरह का कार्य करने के लिए समर्पण की आवश्यकता होती है। इसके बिना यह संभव नहीं होता। एक तरह से यह मौन साधना का भाव है। शिक्षा के प्रति भक्ति भाव से यह संभव होता है।
तो शुजालपुर में लाड़ली बहना योजना से हजारों बहनों को शिक्षित कर शिवराज ने बहनों से मांगा कि महिला सशक्तिकरण के इस अभियान में हर बहन अपने भैया का साथ दे। मैं प्रदेश की सभी बहनों का सगा भाई हूँ। मैं आपकी जिंदगी खुशियों से भरना चाहता हूँ। मेरा यह प्रयास है कि मेरी किसी भी बहन-बेटी की आँखों में आँसू न आए। हर गाँव में लाड़ली बहना सेना बनाई जाए, जो लाड़ली बहना योजना के क्रियान्वयन को तो देखे ही, साथ ही समाज-सुधार के कार्य भी करे। शिवराज ने एक और वादा किया कि देश की धरती पर कोई भी बच्चा अनाथ नहीं है। ऐसे सभी बच्चे जिनके माँ-बाप नहीं है वह राज्य के बच्चे हैं। उनके रहने, खाने-पीने, पढ़ाई आदि की पूरी व्यवस्था सरकार द्वारा की जा रही है। तो यहां भी बहनों का दिल जीतने में दार्शनिक अंदाज में शिवराज नजर आए।
वहीं मुख्यमंत्री शिवराज ने विदिशा में परमात्मा की प्राप्ति के लिए तीन मार्गी सिद्धांतों ज्ञान, भक्ति और कर्म मार्ग पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्रदेश के अधिकारी, कर्मचारियों को निःस्वार्थ भाव से कार्य करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि जनता को ठीक दिशा दिखाना और सुखी बनाना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने उपस्थितों से कहा कि कोई मास्टर है तो बच्चों को ठीक से शिक्षा प्रदान करे, डॉक्टर है तो अच्छे से इलाज करे गरीबों से पैसा न मांगे। कर्मचारी है तो वह रिश्वत न ले। यहां शिवराज ने हनुमानजी की रामभक्ति कथा प्रसंग सुनाया तो भजन “राम भजन सुखदाई, भजन करो भाई, यह जीवन दो दिन का” गाया और राम-कृष्ण धुन सुनाकर खुद को और भक्तिभाव से भरे श्रोताओं को संतृप्त किया।
तो शिवराज के लिए और शिवराज को सुनने वाले श्रोताओं के लिए 12 अप्रैल 2023 का पूरा दिन खास था। यहां शिवराज सिर्फ और सिर्फ शिक्षक, वक्ता, धर्म और भक्तिभाव में सराबोर दिखे। हर भूमिका पर पूरी तरह से खरे साबित हुए। दर्शन, शिक्षा और भक्तिभाव की ऐसी त्रिवेणी का अनूठा संगम एक ही दिन में अलग-अलग जगह बिरले ही देखने को मिलता है। बाकी दिनों में तो आरोप-प्रत्यारोपों और औपचारिक व्यस्तताओं का दौर शिवराज को भी बोझिल कर देता होगा। पर दर्शन, भक्ति और शिक्षा संग पूरा दिन बिताना शिवराज और श्रोताओं दोनों के लिए वाकई उपलब्धियों से भरा एक विशिष्ट दिन था। वाकई शिक्षक से लेकर भजन गायक और धार्मिक वक्ता बतौर लोहा मनवाया शिवराज ने…।