गगनयान परीक्षण: आगरा में बने पैराशूट से क्रू मॉड्यूल होगा लैैंड,श्रीहरिकोटा में पहला ट्रायल होगा

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गगनयान परीक्षण: आगरा में बने पैराशूट से क्रू मॉड्यूल होगा लैैंड, श्रीहरिकोटा में पहला ट्रायल होगा

शनिवार को श्रीहरिकोटा से मिशन गगनयान के लिए मानव रहित उड़ान टेस्ट व्हीकल अबार्ट मिशन-1 (टीवी-डी-1) का परीक्षण सुबह 7.30 बजे किया जाएगा. इसमें लगे क्रू मॉडयूल की सुरक्षित लैैंडिंग कराने के लिए पैराशूट को आगरा स्थित डीआरडीओ की एडीआरडीई(एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डवलपमेंट एस्टाबिलिशमेंट) में बनाया गया है.

बंगाल की खाड़ी में गिरेगा क्रू मॉड्यूल
परीक्षण के सफल होने पर पैराशूट प्रणाली में लगे 10 पैराशूट क्रू मॉडयूल का वेग कम करके श्रीहरिकोटा के पास दस किलोमीटर दूर बंगाली की खाड़ी में गिरेगा. यह इनफ्लाइट एबॉर्ट डेमोंस्ट्रेशन लगभग 8.8 मिनट तक चलेगा. परीक्षण के दौरान मॉड्यूल को अंतरिक्ष में ले जाया जाएगा. 1481 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड पर एबॉर्ट कंडिशन में आएगा. इसके बाद क्रू एस्केप सिस्टम(सीईएस) और क्रू मॉड्यूल(सीएम) टेस्ट वाहन से अलग हो जाएंगे. इसके बाद में 16.6 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार में आने पर सीईएस और सीएम अलग होना शुरू हो जाएंगे. इसके बाद में एडीआरडीई आगरा द्वारा बनाया गया पैराशूट अपना कार्य करना शुरू कर देगा. यह क्रू मॉडयूल श्रीहरिकोट तट से 10 किलोमीटर की दूरी पर बंगाल की खाड़ी में समुद्रतट पर उतरेगा. इंडियन नेवी की टीम उतरने के बाद क्रू मॉड्यूल को रिकवर करेगी और सीईएस और टीवी के हिस्से समुद्र में डूब जाएंगे.

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चार साल पहले प्रणाली बनना हुई थी शुरू
एडीआरडीई देश में पैराशूट को विकसित करता है. इसमें हैवी ड्रॉप सिस्टम भी शामिल है. चार साल पहले एडीआरडीई की टीम ने मिशन गगनयान के लिए क्रू मॉड्यूल रिकवरी सिस्टम को विकसित करना शुरू किया. गगनयान में तीन यात्री अंतरिक्ष में जाएंगे. इन यात्रियों को लेकर आने वाले क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित पृथ्वी पर लैैंड कराना एक चुनौती थी. एडीआरडीई ने इस चुनौती का हल निकाल दिया. एडीआरडीई ने इसके लिए रिकवरी सिस्टम विकसित किया. इस सिस्टम में चार हिस्से हैं जिसमें कुल 10 पैराशूट लगाए गए हैं. एपेक्स कवर सेपरेशन वाले भाग में दो पैराशूट लगे हैं. यह एक तरीके से सुरक्षा कवर का काम करते हैं. वहीं, मॉड्यूल की स्पीड को कंट्रोल करने के लिए दो अन्य पैराशूट लगाए गए हैं. मॉड्यूल के पृथ्वी की तरफ तेजी से बढऩे पर यह ड्रग पैराशूट खुल जाएंगे. इससे मॉड्यूल की स्पीड कंट्रोल होने लगेगी. इसके बाद पायलट प्रणाली और मुख्य पैराशूट हैं. इनमें तीन-तीन पैराशूट लगे हैं. इनके खुलने पर स्पीड पूरी तरह धीमी हो जाएगी और सुरक्षित लैंडिंग शुरू हो जाएगी.

आगरा में हुआ परीक्षण
इस सिस्टम का मलपुरा ड्रॉपिंग जोन, आगरा सहित कई अन्य जगहों पर स्थलीय सफल परीक्षण हो चुका है.

इसरो के नेतृत्व में गगनयान मिशन के लिए एडीआरडीई(डीआरडीओ) आगरा ने रिकवरी पैराशूट प्रणाली विकसित की है. यह प्रणाली गगनयान कार्यक्रम की एक महत्वपूर्ण जीवन रक्षक प्रणाली है जो अंतरिक्ष से लौटने वाले क्रू मॉड्यूल की सुरक्षित लैैंडिंग सुनिश्चित करेगी. शनिवार को होने वाले परीक्षण में यह प्रणाली क्लू मॉड्यूल को सुरक्षित लैैंड कराने में काम आएगी.

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