चंबल पर बना गांधीसागर बांध मंदसौर जिले की धरोहर

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चंबल पर बना गांधीसागर बांध मंदसौर जिले की धरोहर

एशिया की मानव निर्मित सबसे बड़ा जलाशय हुआ 65 साल का

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट

मंदसौर। 19 November 1960 का वह दिन जब देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अविभाजित मंदसौर-नीमच जिले में चंबल नदी पर मानव निर्मित एशिया के सबसे बड़े जलाशय पर बने गांधीसागर बांध का लोकार्पण किया था। इसका शिलान्यास 1954 में हुआ, कोई 6 वर्ष निर्माण में लगे।

-चम्बल नदी का प्राचीन नाम चर्मण्यवती। यह नदी मध्य प्रदेश के मऊ के दक्षिण में मानपुर के समीप जनापाव पहाड़ी जो कि लगभग 616 मीटर ऊँची है, से निकलती है।

चम्बल नदी पर गांधी सागर, राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर और कोटा बैराज बांध बने हैं। जिनमें से सबसे पहला, और प्रमुख बांध गाँधीसागर बाँध हैं। गाँधीसागर बाँध का उद्घाटन सन 1960 में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के द्वारा किया गया था। इस बांध के बाद से ही यह नदी राजस्थान की सीमा, चित्तोड़ कोटा जिले में प्रवेश करती हैं।
राजस्थान में पहला बांध राणाप्रताप सागर बांध है जो कि रावतभाटा में स्थित है। उसके बाद जवाहर सागर और फिर कोटा का कोटा बैराज है।

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यह नदी राजस्थान के कोटा, बूँदी, सवाई माधोपुर व धौलपुर ज़िलों में बहती हुई उत्तर प्रदेश के इटावा ज़िले के मुरादगंज स्थान में यमुना नदी में मिल जाती है। उत्तर प्रदेश में बहते हुए चंबल नदी 900 किलोमीटर की दूरी तय करती है।

लम्बाई

चंबल नदी की कुल लंबाई 965 किलोमीटर है। यह राजस्थान में कुल 376 किलोमीटर तक बहती है।

सहायक नदियाँ

चंबल नदी, (राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर)

काली सिंध, पार्वती, बनास, कुराई, बामनी, शिप्रा।. भानपुरा : मप्र के मंदसौर जिले में भानपुरा से 30 km दूर चंबल नदी पर बना गांधीसागर बांध इन दिनों चर्चा में है। क्योंकि अब यह उदयपुर से उज्जैन तक पर्यटन का मुख्य केंद्र बनने जा रहा है। गांधीसागर को पर्यटन का दर्जा दिलाने के लिए प्रशासन लंबे समय से प्रयासरत है। प्रति वर्ष सफ़ारी ओर टेंट सिटी बनाकर पर्यटकों को आकर्षित किया जा रहा है इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने शुभारंभ किया था।

यही नहीं गांधीसागर बांध के अपस्ट्रीम ओर डाउनस्ट्रीम में चंबल जलप्रवाह पर्याप्त होने से और प्राकृतिक वातावरण जैव विविधता के अनुकूल होने से अभ्यारण्य विकसित किया गया है और इसमें अफ्रीकी चीते छोड़े गए हैं। साथ ही वन्य जीव पशु पक्षियों के बहुतायत में पाए जाने पर यह बांध और आसपास क्षेत्र सभी को लुभा रहा है।

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राजस्थान और मध्यप्रदेश राज्य सरकार में जलराशि उपयोग करने पर चर्चा और एग्रीमेंट हुआ है। पेयजल आपूर्ति के लिए भी चंबल नदी का पानी मंदसौर सहित अन्य नगरों स्थानों पर लिया जाता है।

साठ साल पूरे होने पर बीते दिनों मध्यप्रदेश सरकार के अधिकारियों इंजीनियरों के साथ अतिरिक्त प्रमुख सचिव राजेश राजोरा ने गांधी सागर बांध का निरीक्षण किया और आवश्यक निर्देश दिए हैं।

मध्यप्रदेश राजस्थान और उत्तरप्रदेश की बड़ी आबादी को सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से जोड़ने वाली चंबल नदी और गांधीसाग़र बहुत अहम है एक ख़ास विशेषता चम्बल की यहां मत्स्य पालन भी बड़े पैमाने पर हो रहा और देश भर में विभिन्न प्रांतों में भेजा जा रहा है।

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गांधीसागर बांध पर एक नजर

– योजना बनी- मार्च 1950 मेंं।

– शिलान्यास मार्च 1954 में।
– शिलान्यास किया- प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने।
– योजना पूरी -19 नवंबर 1960 में।

– बनने में लगे थे 6 साल।
– लागत आई – 13.60 करोड़ रुपए।
– जल विद्युत गृह बना- 4.79 करोड़ में
– जल ग्रहण क्षेत्र- 23025 वर्ग किमी है।
– बांध की लंबाई – 1685 फीट

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– बांध की ऊंचाई – 204 फीट

– जलाशय का क्षेत्रफल – 660 वर्ग किमी

– जल निकासी द्वार – शिखर द्वार 10, निचले द्वार 9

– जलाशय में कुल जल भंडार – 7164.38 घनमीटर

– अभी 564 जीडब्ल्यूएच कुल ऊर्जा का उत्पादन

– करीब 427.000 हेक्टेयर कृषि भूमि पर सिंचाई

– सात नदियां मिलती हैं

निर्माण के समय बहुत क्षेत्र डूब में आया

सबसे अधिक नुकसान झेला अविभाजित मंदसौर नीमच जिले ने बांध के निर्माण के समय अविभाजित मंदसौर जिले के 228 गांव डूब के कारण खाली कराए थे। विभाजन के बाद 169 गांव नीमच व 59 गांव मंदसौर जिले के प्रभावित हुए। नीमच के रामपुरा में बांध से कई लोग विस्थापित हुए, लेकिन कई इलाकों का भूमिगत जलस्तर भी बढ़ा।

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सबसे ज्यादा फायदे में रहा राजस्थान

बांध से सबसे ज्यादा फायदा राजस्थान को हुआ है। वहां कई शहर में पेयजल की पूर्ति हो रही है। रावत भाटा का परमाणु केंद्र बांध के पानी पर निर्भर है।

अंचल की जीवन रेखा चंबल नदी और उस पर बने गांधीसाग़र बांध के संरक्षण और प्राकृतिक वातावरण परिवेश को भविष्य के लिए सुरक्षित रखना होगा।