Ganesh Immersion Tableaux : रात भर निकला झाकियों का कारवां, चल समारोह देखने भारी भीड़ उमड़ी!

चंद्रयान, स्वच्छता, पर्यावरण, छत्रपति शिवाजी महाराज का 350वां राज्याभिषेक पर झांकियां बनाई!

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Ganesh Immersion Tableaux : रात भर निकला झाकियों का कारवां, चल समारोह देखने भारी भीड़ उमड़ी!

इंदौर से गोविंद राठौर की रिपोर्ट

Indore : दस दिवसीय गणेशोत्सव की समाप्ति पर अनंत चतुर्दशी की रात झिलमिलाती झांकियों की दमक से जगमगा उठी। रातभर शहर की सड़कों पर कारवां दिखाई दिया। छह बंद कपड़ा मिलों के साथ खजराना गणेश, आईडीए, नगर निगम और अन्य संस्थानों की 30 से अधिक झिलमिलाती झांकियां जब जुलूस मार्ग पर निकली तो इनकी मनोहारी छटा निहारने हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। धार्मिक प्रसंगों के अलावा स्वच्छता, पर्यावरण, चंद्रयान सी, छत्रपति शिवाजी महाराज का 350वां राज्याभिषेक सहित अन्य विषयों पर भी झांकियां बनाई गई थीं।

अनंत चतुर्दशी की झांकियो के‌ अलसुबह नतीजे भी घोषित किए गए। प्रथम पुरस्कार राजकुमार मिल की बच्चों के मनोरंजन घर को मिला। दूसरा पुरस्कार मालवा मिल की कालिया मर्दन और स्वदेशी मिल की सीता हरण झांकियों को संयुक्त रूप से दिया गया। तीसरा पुरस्कार हुकुमचंद की वामन अवतार को दिया गया। जबकि, विशेष पुरस्कार कल्याण मिल की रामायण प्रसंग और होप मिल की चंद्रयान की झांकी को संयुक्त रूप से दिया गया।

1924 से चल रही झांकियों की परंपरा
गणेश विसर्जन चल समारोह में नयनाभिराम चलित झांकियों की ये परंपरा सबसे पहले 1924 में हुकमचंद मिल से शुरू हुई थी, बाद में अन्य कपड़ा मिलों में भी मजदूरों ने गणेशोत्सव मनाने और अनंत चतुर्दशी पर चलित झांकियां निकालना प्रारंभ कर दिया। वक्त के साथ कपड़ा मिलें तो बंद हो गई, पर रोशनाई बिखेरती झांकियों की ये परंपरा बदस्तूर जारी है। पूरी रात ये कारवां निकलता है और इंदौर के बाशिंदे रातभर जागकर इनकी खूबसूरती को निहारने उमड़ पड़ते हैं।

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गणेश पूजन के साथ शुरू कारवां
चिमनबाग चौराहे पर सर्वप्रथम खजराना गणेश की झांकी में श्री गणेश का पूजन कर कलेक्टर इलैया राजा टी, निगम आयुक्त हर्षिका सिंह और पुलिस आयुक्त मकरंद देउस्कर ने झांकियों के नयनाभिराम कारवां की शुरुआत की। सबसे आगे खजराना गणेश की झांकियां थीं, उसके बाद आईडीए, नगर निगम,होप टैक्सटाइल्स, कल्याण, स्वदेशी,मील मालवा मील,हुकमचंद और राजकुमार मिल की झांकियों के साथ अन्य संस्थानों की झांकियां भी चल रहीं थीं। इनमें संस्था शास्त्री कार्नर छोटा गणपति स्पुतनिक ट्यूटोरियल,गीता रामेश्वरम ट्रस्ट और अन्य संस्थान शामिल थे।

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जुलूस मार्ग पर झिलमिलाती झांकियों की खूबसूरत छटा निहारने हजारों लोग उमड़ पड़े। कई लोग परिवार सहित इंदौर की इस ऐतिहासिक परंपरा के दीदार करने पहुचें थे। झांकियों की दिलकश छटा को अपने मोबाइल में कैद करने के साथ सेल्फी लेने की भी होड़ सी मची हुई थी। सभी इन खूबसूरत पलों को संजो लेना चाहते थे।

अखाड़ों के कलाकारों ने करतब दिखाए
झिलमिलाती झांकियों के आगे अखाड़ों के कलाकार पारंपरिक शस्त्रकला के साथ अपने हुनर का प्रदर्शन भी करते चल रहे थे। मार्ग में लगे सैकड़ों मंचों से अखाड़ों के कलाकारों का स्वागत किया जा रहा था। जिला प्रशासन का निर्णायक मंच कृष्णपुरा छतरियों के पास लगा था, जहां निर्णायक समिति के सदस्य विराजमान थे। अहम बात ये रही की अखाड़ों ने अपनी छोटी-छोटी झांकियां भी बनाई थीं, जो आकर्षण का केंद्र रहीं।

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सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
झांकियों के चल समारोह के मद्देनजर समूचे जुलूस मार्ग पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पुलिस के हजारों जवानों को भीड़ को नियंत्रित कर चल समारोह को निर्विघ्न संपन्न कराने के लिए तैनात किया गया था। ट्रैफिक पुलिस ने जुलूस मार्ग से जुड़ने वाले मार्गों पर बेरिकेटिंग कर रखी थी, ताकि वाहन जुलूस मार्ग पर न आ सकें। चौराहों पर वॉच टावरों के जरिए स्थिति पर नजर रखी जा रही थी। कलेक्टर इलैया राजा टी व पुलिस आयुक्त मकरंद देउस्कर सहित जिला व पुलिस प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी जुलूस मार्ग पर घूम घूम कर हालात का जायजा लेते रहे। संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया था।

नगर निगम की चार झांकियां
पहली बार थ्रीडी प्रिंटिंग का उपयोग कर मॉडल बड़े ही आकर्षक बनाए। पहली झांकी में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक और उनके जीवन पर आधारित झांकी को निहारने के लिए बच्चे काफी उत्सुक नजर आए। चंद्रयान की सफलता दर्शाती दूसरी झांकी में वैज्ञानिकों का अभिनंदन करते दिखाया गया। वहीं, लाड़ली बहना योजना का भी चित्रण अद्भुत रहा। तृतीय झांकी पर्यावरण और जल बचाओ का संदेश देती झांकी में मां नर्मदा पर केंद्रित रही। इसमें पेड़, पौधों, जीव-जंतु, मानव आदि के जीवन में जल के महत्व बखूबी बताया गया। चतुर्थ झांकी में हनुमान अष्टक के नाम से बताई गई झांकी थ्रीडी प्रिंटिंग का खूबसूरत इस्तेमाल देखते ही बना। इसमें पवन पुत्र के जीवन के विभिन्न प्रेरक प्रसंगों को खूबसूरती से दर्शाया गया।

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खजराना गणेश मंदिर की तीन झांकियां
पहली झांकी में 25 फीट के ट्राले को पुष्पक विमान के रूप में बदला गया। इसमें हनुमान, रामजी, सीता और लक्ष्मण विराजमान रहे। इस चलित झांकी में विमान के पंख चलायमान रहे, जो काफी आकर्षण का केंद्र रहे। दूसरी झांकी में दर्शकों ने खजराना गणेश के गर्भगृह के दर्शन किए। यह झांकी कलाकारों ने काफी सुंदरता से बनाई और भगवान गणेशजी के पूजन को भी लोगों ने सराहा। तीसरी झांकी पर्यावरण संरक्षण की थी, जिसमें भगवान गणेश पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते नजर आए। पेड़-पौधों को काटने से भगवान स्वयं रोककर रहे हैं। इस बात के लिए चूहों को भी निर्देशित किया।

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हुकमचंद मिल 100वां साल : तीन झांकियां
हुकुमचंद मिल का झांकियों का यह 100वां वर्ष था। यह झांकियों का स्वर्णिम काल है, तो मिल के मालिक सेठ हुकमचंद कासलीवाल द्वारा 100 साल पहले निकाली गई बैलगाड़ी पर झांकी दिखाई गई। अगले भाग में चंद्रयान के जरिए विकास यात्रा दर्शाई गई। दूसरी झांकी गोमाता की महत्ता को प्रदर्शित किया गया। तीन भागों में बनी झांकी में पहले गोपाष्टमी पर्व, दूसरे में माखन चोरी की लीला और कृष्ण और कंस का युद्ध काफी रोमांचित प्रतित कर रहा था। तीसरी झांकी भगवान विष्णु के वामन अवतार पर आधारित झांकी में त्रेता युग को दिखाया गया। इसमें भगवान को बालक रूपी ब्राह्मण अवतार में दिखाया गया। इसमें वे देवताओं को राजा बली से भय मुक्ति का आश्वासन देते नजर आए।

कल्याण मिल का 95वां साल : दो झांकियां
पहली झांकी श्रीकृष्ण की रासलीला पर आधारित झांकी थी, जिसमें भगवान को बंसी बजाते हुए दिखाया गया। राधा संग गोपियों को बांसुरी की ध्वनि पर मोहित होकर नृत्य करते हुए दिखाती झांकी आनंदित करने वाली है। दूसरी हनुमानजी की प्रभु राम के प्रति भक्ति को दर्शाती है। इस झांकी में हनुमानजी को पूरे शरीर में सिंदूर लगाकर जाते हुए दर्शाया गया। यह रामायण के उस प्रसंग पर आधारित है, जिसमें हनुमानजी सीता माता से पूछते हैं कि आप मांग में सिंदूर क्यों लगाते हो? इसके जवाब में वे कहती हैं कि इससे प्रभु प्रसन्न होते हैं। इस झांकी को लेकर भी लोगों में काफी उत्साह रहा।

स्वदेशी मिल का 94वां साल
पहली झांकी को सीता हरण को तीन भागों में दिखाया गया। प्रथम में सीता माता कहती हैं हिरण को पकड़कर लाओ, दूसरे में सीता माता को कुटिया के बाहर और रावण को साधु वेश में दिखाया गया है। तृतीय भाग में रावण द्वारा सीता का हरण दिखाया गया है।दूसरी झांकी में शिव पार्वती का विवाह भी तीन भागों में दिखाया गया। पहले भाग में नारदजी पार्वती माता की माता को वर शिव दिखाते हुए दर्शाया गया। दूसरे भाग में मैनाजी को विष्णु और ब्रह्माजी समझाते हुए और अंत में शिव-पार्वती को फेर लेते हुए झांकी भी काफी सुंदर रही।

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मालवा मिल वर्ष का 89वां साल : तीन झांकियां
पहली झांकी में महापुरुषों के शौर्य की गाथा कहती देशभक्ति की झांकी रही। इसमें झांसी की रानी, छत्रपति शिवाजी महाराज और महाराणा प्रताप को आक्रमणकारियों से युद्ध लड़ते दिखाया गया है। चित्रों में डॉ. भीमराव आंबेडकर, टंट्या भील, स्वामी विवेकानंद आदि दिखाई दे रहे हैं। दूसरी झांकी में जग में सुंदर है दो नाम चाहे कृष्ण कहो या राम थीम पर बनी झांकी में राधा कृष्ण नृत्य करते दिखाई दिए। भगवान राम का दरबार की झांकी भी अपनी सुंदरता बिखेर रही थी। इसमें राम को सबरी के झूठे बेर खाते भी दिखाया गया। जबकि, तीसरी झांकी में कालिया नाग के फन पर कृष्ण भगवान को नृत्य करते दिखाया गया। इसके साथ ही कालिया नाग की चार पत्नियों को कृष्ण से प्रार्थना करते दिखाया कि वे कालिया नाग का वध न करें। इस भगवान उन्हें जीवनदान देते हैं।

राजकुमार मिल का 88वां साल : तीन झांकियां
पहली झांकी में लकड़ी की काठी पे घोड़ा थीम पर बनी मनोरंजक झांकी में मोबाइल के दौर में बच्चों को अलग-अलग शारीरिक खेल खेलते दिखाया गया है। इसके जरिए बच्चों को घर आंगन, आंगन और बाग-बगीचे में खेलने के लिए प्रोत्साहित करना शामिल रहा, जो काफी आकर्षण का केंद्र रही। दूसरी में पूतना वध एवं खाटू श्याम की झांकी में मथुरा के राजा कंस को बालक कंस का वध करने के लिए पूतना को भेजते हुए दिखाया गया। इसमें विशालकाय पूतना को ठहाके लगाते देखना काफी रोमांचित रहा। तीसरी झांकी में हिडिंबा के पोते राजा बर्बरीक भगवान कृष्ण को अपना शीश सौंपते हुए दिखाया गया। इससे प्रसन्न भगवान कृष्ण उन्हें कलियुग में खाटू श्याम के रूप में पूजे जाने का आशीर्वाद देते हुए दिखाए गए हैं।

होप मिल का 74 वां साल
पहली झांकी में समुद्र मंथन को दर्शाया गया है। इस झांकी में देवताओं और दानव द्वारा समुद्र मंथन कर रहे हैं। समुद्र मंथन से एक से बढ़कर एक अनुपम वस्तु निकल रही है। इसमें महादेव को विष पान करते दिखाया गया है। दूसरी झांकी में चंद्रयान को दर्शाया गया है। इसमें भगवान गणेश चंद्रमा पर जा रहे हैं। उनके अभिनंदन के लिए चंद्रदेव स्वयं प्रकट हो गए हैं। गणेशजी के हाथ में तिरंगा है। इस झांकी के माध्यम से कलाकारों ने भारत की विकास यात्रा को दर्शाने का प्रयास किया गया है।वहीं संस्थाओं की भी मनमोहक बनाई गई जिसमें संस्था शास्त्री कार्नर छोटा गणपति की झांकी में मुशक पर बैठे गणपति को दिखाया गया मुशक चारों और घुमते हुए बताया गया।