सामूहिक दुष्कर्म: दो युवकों को 20-20 वर्ष का कारावास, आरोपियों के भय से पुलिस तक नहीं पंहुंचे थे पीड़िता के परिजन

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रतलाम से रमेश सोनी की रिपोर्ट

रतलाम

सामूहिक दुष्कर्म के मामले में न्यायालय ने सामूहिक दुष्कर्म करने पर अभियुक्त 36 वर्षीय नंदू उर्फ नंदलाल पुत्र बालू मकवाना निवासी ग्राम बड़िया थाना दीनदयाल नगर व 40 वर्षीय वीरेंद्र पुत्र बोदर वसुनिया निवासी ग्राम हरथली को भादंवि की धारा 376-डी में बीस-बीस वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। साथ ही उन पर दो-दो हजार रुपया का जुर्माना भी लगाया गया।
फैसला पंचम अपर सत्र न्यायाधीश शैलेष भदकारिया ने सुनाया।

अभियोजन के अनुसार गांव की महिला 11 मार्च 2020 को घर से कहीं गई थी,लेकिन काफी देर बाद भी घर नहीं लौटी थी।पति व अन्य परिजनों ने उसकी दो दिन तक खोजबीन की नहीं मिलने पर पति ने दो दिन बाद शिवगढ़ थाने पर गुमशुदगी दर्ज कराई थी।कुछ दिनों के बाद वह घर लौट आई थी। पुलिस ने 20 जून 2020 को महिला व उसके पति को थाने पर बुलाकर जानकारी ली तो महिला ने बताया कि वह विरियाखेड़ी में मजदूरी करने जाती थी।वहां मिस्त्री नंदू उर्फ नंदलाल व वीरेंद्र भी काम करते थे।जब वह घर से बाहर निकली थी,तभी नंदू व वीरेंद्र ने उसे पकड़कर उसका मुंह दबा दिया और उसके चिल्लाने पर जान से मारने की धमकी दी थी।इसके बाद जोर जबरदस्ती मोटरसाइकिल पर बैठाकर उसे वीरेंद्र के घर ले गए वहां बंधक बनाकर उसे पांच दिन तक रखकर नंदू और वीरेंद्र पीड़िता को धमकाकर उससे दुष्कर्म करते रहे।पांच दिन बाद दोनों उसे रतलाम महूरोड पर छोड़कर भाग गए थे।

पीड़िता ने घर पहुंचकर पति को घटना की जानकारी दी थी,लेकिन बदनामी के डर से उस समय रिपोर्ट नहीं की थी।पुलिस ने मामले में प्रकरण दर्ज कर नंदू व वीरेंद्र को गिरफ्तार कर लिया था।
अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी शिव मनावरे ने बताया कि न्यायालय ने नंदू व वीरेंद्र को भादंवि की धारा 366 में पांच-पांच वर्ष के सश्रम कारावास व धारा 343/34 में एक-एक वर्ष के सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई।साथ ही दोनों धाराओं में नंदू व वीरेंद्र पर क्रमशः एक-एक हजार रुपया का जुर्माना से भी दंडित किया।

प्रकरण में शासन की तरफ से पैरवी अपर लोक अभियोजक प्रवीण शर्मा ने की।