Garbage Controversy : विरोध नहीं होता तो ‘रामकी’ में कचरा निपटान की तैयारी पूरी, अब सब रुक गया!
Indore : पीथमपुर लाए गए यूनियन कार्बाइड के 337 टन कचरे के निपटान की तैयारी जनता के विरोध के कारण प्रभावित हो गई। कंपनी के अंदर के सूत्रों के मुताबिक, भोपाल से कचरा लाने से पहले रामकी कंपनी परिसर में 20 हजार से ज्यादा वर्गफीट क्षेत्र में खुदाई कर विशेष प्रकार के प्लास्टिक को बिछाया गया था। जिसमें 120 टन कचरा दफनाने की तैयारी थी। लेकिन, जनता के विरोध के कारण अभी लैंडफील का काम भी रुक गया।
अब कोर्ट के आदेश तक जहरीला कचरा कटेंनरों में ही रहेगा। क्योकि, कंटेनरों को भी शिफ्ट करने से गांव में अफवाह फैल रही है। बीते शनिवार को ग्रामीणों को 12 में से एक कंटेनर परिसर में दिखाई नहीं दिया, इससे अफवाह फैल गई थी कि कचरे का निपटान शुरू हो चुका है। इस तरह के हालातों को देखते हुए प्रशासनिक अधिकारियों ने कंपनी परिसर में मोर्चा संभाल रखा है।
2008 में भी हुआ था विरोध
ग्रामीणों में ज्यादा नाराजगी दफन किए जाने वाले कचरे को लेकर है। क्योकि, वर्ष 2008 में दफन किए गए दस टन कचरे के बाद गांव के कुएं, बोरिंग और अन्य जल स्त्रोतों का पानी काला पड़ गया था। इस दौरान भारी विरोध के बाद तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश को रामकी कंपनी का दौरा करने आना पड़ा था। अब भोपाल से लाए गए 337 टन कचरे को निपटाने में छह महीने से अधिक का समय लगना है।
प्लेटफार्म पर भी नहीं रखा जा रहा
पीथमपुर की कंपनी तक कचरा लाने के बाद कमेटी और वैज्ञानिकों की मौजूदगी में कचरे का निपटान होना था। इसके लिए कंपनी परिसर में चार अस्थाई आवास और टेंट बनाए गए हैं। जमीन से पंद्रह फीट ऊंचा एक प्लेटफार्म भी बनाया गया है, जहां जहरीला कचरा रखा जाता है, लेकिन जनता के विरोध के बाद अभी कंटेनरों से कचरा नहीं उतराने का फैसला लिया गया है।