यहां गौर ही गौरव हैं और उनकी जयंती गौरव दिवस …

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यहां गौर ही गौरव हैं और उनकी जयंती गौरव दिवस …

जी हां, हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के सागर जिले की। यहां तीन बत्ती पर स्थित गौर मूर्ति पर 26 नवंबर 2022 को गौर जयंती उत्सव पर गौरव दिवस का आयोजन किया गया। वैसे तो गौरव दिवस कभी भी मनाया जाए, तब भी हर सागरवासी के लिए गौर साहब यानि डॉ. सर हरि सिंह गौर का जन्म दिवस गौरवान्वित करने वाला दिन रहेगा। लेकिन सागर के सपूत गौर का जन्मदिवस ही वास्तव में जनभावना में सागर के गौरव दिवस का हकदार है। क्योंकि सागर का नाम वैश्विक स्तर पर स्थापित‌‌ करने का कार्य डॉ. हरि सिंह गौर ने अपने जीवन की पूरी कमाई दान कर किया है। सागर का नाम अगर आज पूरी दुनिया में जाना जाता है, तो सागर विश्वविद्यालय के लिए। दिल्ली-नागपुर विश्वविद्यालय के कुलपति रहे डॉ. गौर ने सागर को शिक्षा जगत में ऊंचाई देने के लिए 1946 में सागर विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। यह देश का 18 वां और किसी एक व्यक्ति के दान से स्थापित होने वाला देश का एकमात्र विश्वविद्यालय है। उस समय‌ डॉ. गौर ने 20 लाख रुपए नगद और 2 करोड़ रुपए की संपत्ति विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए दान में दिए थे। बाद में वह वसीयत में लिखकर गए कि उनकी पूरी संपत्ति विश्वविद्यालय के विकास को समर्पित की जाए। करीब 1372 एकड़ में फैले इस शिक्षा के मंदिर का नामकरण सरकार ने 1983 में डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय कर दिया। और यह विश्वविद्यालय‌ की उत्कृष्टता का प्रमाण ही है कि इसे 2008 में केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दे दिया गया।

विश्वविद्यालय का छात्र होना भी गौरवान्वित करता है और मैं खुद गौरवान्वित महसूस करता हूं कि मुझे यहां से स्नातक और गणित विषय में स्नातकोत्तर की शिक्षा पाने का महत्वपूर्ण अवसर मिला। आज डॉ. सर हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय के लाखों छात्र-छात्राएं देश-दुनिया में हर क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। जिनके मन में डॉ. गौर तो बसे ही हैं और जिनका रोम-रोम डॉ. गौर का ऋणी भी है। वैसे सागर अपनी‌ संपन्नता के लिए लाखा बंजारा का भी ऋणी है, जिन्होंने सागरवासियों की प्यास बुझाने के लिए लाखा बंजारा झील बनवाई और यह झील आज भी सागर के मध्य में स्थित शहर की शान है। तो सागर की यादों में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी बीआर नायडू भी हैं, जिन्होंने कलेक्टर रहते सागर जिले को समृद्ध करने के लिए राजघाट बांध दिया। तब सुरखी विधानसभा के तत्कालीन विधायक वर्तमान में नगरीय प्रशासन विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह थे, जिन्होंने अब सागर को सिटी से स्मार्ट सिटी बनाने का अति महत्वपूर्ण योगदान दिया है और विकास के सहभागी बनने का उनका सिलसिला जारी है। मंच से भूपेंद्र सिंह को सागर के विकास पुरुष का दर्जा दिया गया, तब शायद सिंह भी सागर का कर्ज उतारते हुए गौरवान्वित महसूस कर रहे होंगे। तो सागर में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का आभार जताया गया और उन्हें भी सागर के विकास का सारथी बताया गया। वैसे बता दें कि सागर जिले से मंत्री गोपाल भार्गव हों, भूपेंद्र सिंह हों या गोविन्द सिंह राजपूत और अन्य नेता-नागरिक, सभी की शिक्षा दीक्षा सागर विश्वविद्यालय से ही हुई‌ है। और सभी डॉ. हरि सिंह गौर के ऋण‌ को अपने-अपने क्षेत्र में समाज और राष्ट्र को अपना योगदान देकर चुका रहे हैं। तो हैं न गौरव के पर्याय डॉ. सर हरि सिंह गौर…और शिक्षा पाने वाले सभी ‘गौर रत्न‌’…।

डॉ. गौर का जन्म किसी धनी परिवार में नहीं हुआ था। एक गरीब परिवार में जन्मे   देश-दुनिया का गौरव बने डॉ. गौर शनीचरी गांव में पले-बढे और सागर के कटरा स्कूल में प्राथमिक शिक्षा से लेकर इंग्लैंड के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से बैरिस्टरी की शिक्षा प्राप्त करने तक हर जगह अपना लोहा मनवाया। तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में सागर के गौरव दिवस की शुरुआत जोरदार आतिशबाजी से हुई। उसके बाद डॉ. हरि सिंह गौर को एक वृत्तचित्र के जरिए याद किया गया। और उसके बाद सागर रत्न से सागर में जन्मे और पढ़ाई कर गौरवान्वित करने वाली विभूतियों को सम्मानित किया गया।‌जिसमें अभिनेता मुकेश तिवारी, बीआर नायडू, पद्मश्री कपिल तिवारी, पत्रकार राजेश सीरोठिया, शरद द्विवेदी और अमित जैन भी शामिल थे। गौरव दिवस में मांग की गई कि डॉ. गौर को भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया जाना चाहिए। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने डॉ. गौर की 153वीं जन्म जयंती और सागर विश्वविद्यालय के 75 वें साल को गौरव दिवस पर याद किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने डॉ. गौर को सागर को ज्ञान का सागर बनाने और संविधान सभा के सदस्य के बतौर संविधान निर्माण में योगदान के रूप में याद किया। चिरौंजी की बरफी और जमना मिठया को याद किया।‌‌ जैन साब की मंगौड़ी, लल्लू की पान की दुकान और गुजराती नमकीन याद की। खुद के दर्शन शास्त्र की पढ़ाई सागर से करने की बात शिवराज ने सागर गौरव दिवस पर साझा की। लाखा बंजारा को याद किया।‌ 1089 करोड़ के विकास कार्यों की सौगातों की जानकारी दी। विश्वास दिलाया कि विकास में महानगर की तरफ बढ़ रहे सागर को भोपाल और इंदौर से पीछे नहीं रहने देंगे। मेडिकल-इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में करवाने की जानकारी जनता को दी। लाड़ली लक्ष्मी-टू की बात साझा कर बेटियों और गरीब बेटों की फीस सरकार द्वारा भरवाने की जानकारी दी।‌ पेसा एक्ट और बीपीएल परिवारों को बिना ब्याज पांच हजार तक राशि मुहैया कराने के लिए माइक्रो फाइनेंसिंग की योजना बनाने की बात साझा की। बेटियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा दिलाने की बात कहते हुए जानकारी दी कि 89 ऐसे दुष्कर्मियों को फांसी हो चुकी है। सागर को पेयजल संकट से मुक्त करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज ने राजघाट बांध की ऊंचाई 2 मीटर बढाने के लिए बजट का प्रावधान करने का वादा किया। और गौरव दिवस पर यह वादा भी किया कि गौर साहब को सर्वोच्च भारतीय सम्मान ‘भारत रत्न’ देने की मांग केंद्र सरकार तक पहुंचाएंगे। अब बारी थी संकल्प दिलाने की, तो जनता से मांग लिया कि पानी की एक-एक बूंद बचाएंगे, जन्मदिन पर एक पेड़ लगाएंगे, आंगनवाड़ी को समृद्ध करने योगदान देंगे और नशामुक्त समाज बनाने और बेटी बचाने का काम करेंगे। इनमें से कम से कम एक काम करने का संकल्प शिवराज ने जनता को दिलाकर गौरव दिवस के आनंद और उत्सव के सांस्कृतिक समारोह को यादगार बना दिया। वहीं सांस्कृतिक समारोह की शुरुआत बुंदेलखंड की सांस्कृतिक विरासत पद्मश्री, सागर रत्न रामसहाय पांडे की राई प्रस्तुति से हुई और सांस्कृतिक संध्या को ‘पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा..’ गीत से शुरुआत कर आगे बढ़ाया मशहूर पार्श्व गायक उदित नारायण ने।

डॉ. गौर साहब की 153वीं जयंती और सागर का यह पहला गौरव दिवस दिल में हमेशा-हमेशा के लिए जिंदा रहेगा। क्योंकि डॉ. गौर वह महान शख्सियत हैं, जिनके त्याग-समर्पण की बराबरी कर पाना मुमकिन नहीं है। और जब तक यह दुनिया रहेगी, तब तक सागर का यह सपूत भी जिंदा रहेगा।