गौरव दिवस दे गया भोपालवासियों को बड़ा संदेश… 

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गौरव दिवस दे गया भोपालवासियों को बड़ा संदेश… 

भोपाल का गौरव दिवस भोपालवासियों को एक बड़ा संदेश देकर गया है। वैसे तो भोपाल का नाम बदलकर भोजपाल करने की मांग बहुत समय से हो रही है। पर अब लगता है कि जिस तरह भोपाल रियासत को आजादी भारत की आजादी के एक साल नौ माह 15 दिन बाद मिली थी, पर अब लगता है कि भोपाल का नाम भोजपाल होने में इतना समय भी नहीं लगेगा। हो सकता है वह सुबह विधानसभा चुनाव 2023 के पहले कभी भी आ जाए, जब भोपाल विलीन हो जाए और मध्य प्रदेश की राजधानी भोजपाल नाम संग नवजीवन पा जाए। गौरव दिवस के दिन हमीदिया अस्पताल और कॉलेज का नाम बदलने की मांग की शुरुआत नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी से उठी, तो शाम को मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में गौरव दिवस के मंच पर मनोज मुन्तसिर शुक्ला ने सीधी मांग बुलंद आवाज में मंच से ही उठा दी कि भोपाल का नाम ‘भोजपाल’ होना चाहिए। और उस नवाब हमीदुल्ला का नामोनिशान भी नहीं रहना चाहिए, जिसकी कुचेष्टा भोपाल रियासत को पाकिस्तान में मिलाने की थी। इससे साफ हो गया है कि अब जिस तरह इस्लाम नगर का नाम जगदीशपुर हुआ, जिस तरह हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन हुआ…उसी तरह वह दिन जल्द आएगा, वह सुबह जल्द होगी, जब तालाब में कमल खिलेगा और सूरज की किरणें जब साइनबोर्ड पर पड़ेंगीं, तब मध्यप्रदेश की राजधानी का नाम ‘भोजपाल’ लिखा दिखेगा। मनोज मुन्तसिर शुक्ला की आवाज पर जिस तरह मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में भोपालवासियों की तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी, उससे यही लगता है कि उस सुबह का इंतजार भोपालवासियों को भी है।
गौरव दिवस दे गया भोपालवासियों को बड़ा संदेश... 
भोपाल के गौरव दिवस के मंच का दूसरा सबसे अच्छा दृश्य वह था, जब विलीनीकरण आंदोलन के स्वर्गीय नायकों को याद किया गया। उनके परिजनों को जब गौरव दिवस पर पूर्वजों के नाम पर सम्मानित किया गया, तो हर भोपालवासी गौरव से भर गया। उद्धव दास मेहता,भाई रतन कुमार, सूरजमल जैन, शंकर दयाल शर्मा, मास्टरलाल सिंह, प्रो. अक्षय कुमार के परिजनों का सम्मान वाकई विलीनीकरण आंदोलन के नायकों के समर्पण से हर भोपालवासी को गौरव से भर गया। तो वहीं स्वच्छता कर्मियों के गौरव दिवस के मंच पर सम्मान ने हर भोपालवासी को गर्व से भर दिया। यह स्वच्छता कर्मी ही हैं, जिनके योगदान से भोपाल अभी देश की स्वच्छतम राजधानी का गौरव हासिल कर चुकी है। और अब इनकी मेहनत ही भोपाल को देश का स्वच्छतम शहर बनाने का गौरव प्रदान करेगी।
गौरव दिवस दे गया भोपालवासियों को बड़ा संदेश... 
तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भाव भी शायद यही बयां कर रहे थे कि बहुत कुछ बदलने की जरूरत है। शिवराज ने कहा कि यह भोपाल का गौरव दिवस नहीं है। यह भोपाल का स्वतंत्रता दिवस है। देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया था, लेकिन भोपाल रियासत को आजादी एक जून 1949 को मिली थी। राजा भोज ने भोपाल बसाया था। पर दोस्त मोहम्मद खां एक अफगान ने धोखे से रानी कमलापति से भोपाल छीना था। रानी ने छोटे तालाब में जल समाधि ली और उनका पुत्र भी शहीद हो गया। तो उन्होंने भोपालवासियों को प्राचीन परंपराओं, गौरव की याद दिलाई। और भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन और जगदीशपुर का नाम बदलने का उदाहरण दिया। कहीं न कहीं वह सीधे घोषणा नहीं कर पाए, लेकिन मन में यही होगा कि भोपाल का नाम बदलकर भोजपाल जरूर होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने मंच से स्वच्छता में इंदौर को पछाड़कर भोपाल को नंबर वन बनाने की अपील भी की। तो भोपाल में नशे, अपराध का कारोबार नहीं चलने देने की चेतावनी दी। चेताया कि भावी पीढ़ी को बर्बाद करने का दुस्साहस यदि करने की किसी ने भी कोशिश की, तो ऐसे दुस्साहसियों को नेस्तनाबूत कर देंगे। इसके अलावा भोपाल को देश का सर्वश्रेष्ठ शहर बनाने के लिए स्टेडियम, ऑडीटोरियम सहित विभिन्न विकास कार्य करवाने की घोषणा भी की।
https://twitter.com/CMMadhyaPradesh/status/1664319585632370703?s=20
तो एक जून 2023 को दिन में भोपाल नगर निगम के अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी का बड़ा बयान सामने आया था। उन्होंने कहा था कि जिस हमीदुल्ला ने भोपाल की आज़ादी का विरोध किया और भोपाल रियासत को पाकिस्तान में शामिल करना चाहा। उसके नाम से हमीदिया कॉलेज और हमीदिया अस्पताल का नाम नहीं होना चाहिए। भोपाल के पाकिस्तान प्रेमी नवाबी इतिहास की निशानी को बदलने की क़वायद शुरु हो गई है। भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति रेलवे स्टेशन किया जा चुका है। इस्लाम नगर का नाम भी जगदीशपुर किया जा चुका है। और अब हमीदिया कॉलेज और हमीदिया अस्पताल का नाम भी बदला जाना चाहिए। और भोपाल गौरव दिवस की शाम इससे भी बड़ा संदेश देकर गई कि भोपाल का नाम बदलकर ‘भोजपाल’ करने का सही समय अब आ गया है। यह इंतजार शायद जल्दी खत्म हो सकता है।