New Delhi : कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर चल रहा अशोक गहलोत का नाम उनकी हठधर्मिता से पीछे चला गया। दिल्ली से भेजे गए पार्टी पर्यवेक्षकों ने जिस तरह की अनुशासनहीनता की, उससे माहौल पूरी तरह बदल गया। सचिन पायलट के विरोध में 102 गहलोत समर्थक विधायकों के इस्तीफे से दबाव से कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी नाराज बताई जा रही है। जयपुर से लौटे पर्यवेक्षक राजस्थान प्रभारी अजय माकन और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी रिपोर्ट दी, उससे लगता है कि अशोक गहलोत को AICC अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर कर दिया गया। ऐसी स्थिति में MP के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का नाम तेजी से उभरा है।
सोनिया गांधी ने अनुशासनहीनता आदेशों की अवहेलना और इस घटनाक्रम गुटबाजी तथा खींचतान को देखते हुए मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गांधी परिवार के सिपहसालार कमलनाथ को दिल्ली तलब किया। राजनीतिक सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी अब AICC के अध्यक्ष पद के लिए अशोक गहलोत के बजाए कमलनाथ से नामांकन दाखिल कराकर उन्हें मैदान में उतार सकती है। कमलनाथ को भी मैदान में उतारने और AICC अध्यक्ष बनाने की चर्चा राजनीतिक हलकों में शुरू हो गई। कमलनाथ के नाम पर किसी को एतराज भी नहीं है। ऐसे में कमलनाथ को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने की प्रबल संभावना नजर आ रही है। अगर ऐसा हो जाता है तो राजस्थान में चल रहा है घमासान भी खत्म हो जाएगा।
AICC अध्यक्ष के चुनाव से पहले राजस्थान कांग्रेस में मचे घमासान, खींचतान और अनुशासनहीनता ने पार्टी हाईकमान सोनिया गांधी को अशोक गहलोत का विकल्प सोचने पर मजबूर कर दिया। उनकी जगह गांधी परिवार के ही किसी अन्य विश्वस्त नेता को मैदान में उतारने पर विचार शुरू हो गया है। ऐसी स्थिति में कमलनाथ का नाम सामने आए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर राहुल गांधी के इंकार के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को AICC अध्यक्ष पद के लिए चुनाव मैदान में उतारने का फैसला गांधी परिवार ने किया था। गहलोत के चुनाव मैदान में उतरने की घोषणा के साथ ही राजस्थान में नए मुख्यमंत्री के पद को लेकर घमासान मच गया। पार्टी आलाकमान ने नए मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए दो पर्यवेक्षकों को भेजा था। पर गहलोत समर्थक विधायक अड़ गए और शर्ते रखी कि ये प्रक्रिया AICC चुनाव का नतीजा आने की बाद की जाए।
पार्टी पर्यवेक्षक और राजस्थान के प्रभारी अजय माकन और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आलाकमान के दिशा-निर्देशों के तहत राजस्थान में कांग्रेस के प्रत्येक विधायक से एक-एक करके बात करना चाहा। पर, वे सामूहिक रूप से अपनी मंशा बताने को अड़े रहे। अशोक गहलोत गुट के मंत्री और विधायकों की अनुशासनहीनता के बाद दोनों पर्यवेक्षक नाराज हो गए हैं। उन्होंने आलाकमान को इसकी सूचना दी और दिल्ली के लिए रवाना हो गए। वहां उन्होंने अपनी पूरी रिपोर्ट सोनिया गांधी को दी।
अशोक गहलोत इसलिए किनारे किए गए
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बारे में अब तक यह माना जाता था कि वह आलाकमान अर्थात सोनिया गांधी और राहुल गांधी का फैसला तुरंत प्रभाव से मानते हैं उनकी बात को कभी भी नकार नहीं सकते। लेकिन, राजस्थान में कल रात को जो घटनाक्रम हुआ और जिस तरह से गहलोत समर्थक मंत्रियों और विधायकों ने अपनी शर्ते रखी, वो गलत लगा। गहलोत द्वारा यह बयान देना कि मेरे बस की बात नहीं है, से यह संकेत गया है कि गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद गांधी परिवार के फैसलों को तत्काल मानने वाले नहीं हैं। इसी माहौल को लेकर केंद्र की राजनीति में गहलोत विरोधी खेमा सक्रिय हो गया है।