
PESA ग्रामसभा में “घर वापसी”:सनातन संस्कृति की नई शुरुआत
ALIRAJPUR: जिले के सोण्डवा विकासखंड के ग्राम करजवानी की पेसा ग्रामसभा दुदवी में एक ऐतिहासिक क्षण दर्ज हुआ। ग्राम सभा की उपस्थिति में उकारीया पिता कादवा ने अपने परिवार सहित ईसाई धर्म छोड़कर अपने मूल सनातन धर्म में पुनः वापसी की। यह सिर्फ एक धार्मिक घटना नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जागरण और सामाजिक एकता की दिशा में उठाया गया सशक्त कदम रहा।
**घर वापसी: आत्मबोध और परंपरा से जुड़ाव का निर्णय**
ग्रामसभा में उपस्थित ग्रामीणों की मौजूदगी में उकारीया ने सार्वजनिक रूप से अपने निर्णय की घोषणा की। उन्होंने कहा कि “हमसे गलती हुई थी। हमने अपनी परंपराओं से मुंह मोड़ लिया था, लेकिन अब हम फिर से अपने धर्म, अपने रीति-रिवाज और अपने देवताओं के साथ हैं।”
उकारीया ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व उनकी पत्नी की बीमारी के दौरान वे इलाज के लिए चर्च पहुंचे थे। वहां उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए प्रलोभन दिया गया। आर्थिक मदद और सहायता के वादों के चलते उन्होंने अपनी संस्कृति से दूरी बना ली। लेकिन समय के साथ उन्हें अहसास हुआ कि यह निर्णय गलत था, और उन्होंने अपने परिवार सहित पुनः सनातन धर्म में लौटने का निश्चय किया।
**ग्रामसभा बनी सामाजिक चेतना का केंद्र**
पेसा ग्रामसभा दुदवी ने इस पूरे घटनाक्रम में निर्णायक भूमिका निभाई। ग्राम सभा ने सामूहिक सहमति से उकारीया और उनके परिवार को पुनः उनके मूल धर्म में स्वीकार किया। ग्रामसभा अध्यक्ष कांतिलाल पिता भायसिंह पटेल ने बताया कि यह “घर वापसी” ग्राम की सामाजिक चेतना और सामुदायिक एकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि- “ग्रामसभा केवल प्रशासनिक निर्णयों का मंच नहीं, बल्कि समाज के नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करने वाली संस्था है। उकारीया की वापसी से यह सिद्ध हुआ है कि जब समाज एकजुट होता है, तो अपनी परंपराओं और आस्था की जड़ें और मजबूत होती हैं।”
**पेसा कानून और जनजातीय अस्मिता की सजीव झलक**
पेसा (PESA) कानून के तहत ग्रामसभाओं को अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों और सामाजिक निर्णयों में अधिकार प्राप्त हैं। इस “घर वापसी” घटना ने इस बात को फिर से पुष्ट किया कि ग्रामसभा न केवल प्रशासनिक ढांचे का हिस्सा है, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति, परंपरा और सामूहिक चेतना की आधारशिला है।
**संस्कार और सामाजिक एकता का संदेश**
ग्राम सभा में उपस्थित ग्रामीणों ने उकारीया परिवार का स्वागत किया और उन्हें परंपरागत विधि से फिर से अपने समाज में शामिल किया। इस अवसर पर जयघोष, दीप प्रज्वलन और सामूहिक प्रार्थना के साथ पूरे ग्राम में उत्साह और एकता का वातावरण रहा।
ग्रामसभा अध्यक्ष कांतिलाल पटेल ने कहा कि यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज के आत्मबोध की कहानी है- यह दिखाती है कि अपनी जड़ों से जुड़ना ही सच्ची प्रगति की राह है।
यह “घर वापसी” सिर्फ धर्म परिवर्तन की उलटी यात्रा नहीं, बल्कि अपनी संस्कृति, परंपरा और आत्मगौरव की ओर लौटने की प्रतीकात्मक शुरुआत है- जिसने पूरे क्षेत्र में एक नई सामाजिक चेतना का संचार किया है।





