GI Tag To Rewa’s Mango: रीवा का सुन्दरजा आम-यथा नाम-तथा गुण-मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान
अनिल तंवर की खास रिपोर्ट
दुनियाभर में ख्याति प्राप्त मध्य प्रदेश के रीवा के सुंदरजा आमों ने एक बार फिर प्रसिद्धि हासिल की है। इसे जीआई टैग (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) प्रदान किया गया है।
इस पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और सीएम शिवराज ने खुशी जताई | रीवा के आम की पूरे विश्व में मांग है। यह उत्पाद ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध हैं।
यह आम इतना प्रसिद्ध है कि 1968 में इसके नाम से एक डाक टिकट जारी किया गया था। इस आम की कई खूबियां हैं, सबसे पहले तो यह दूसरे आमों से ज्यादा स्वादिष्ट होता है और डायबिटीज के मरीज भी इस आम को खा सकते हैं।
सुंदरजा आम रीवा जिले में अपनी अलग की महक बिखेरता है। इस आम की मिठास का कोई तोड़ नहीं है। यह बिना रेशा वाला आम है, और एक आम में बाहर अलग-अलग रंग होते हैं। बताया जाता है कि पहले सुंदरजा आम केवल गोविंदगढ़ किले के बगीचों में होता था। यह राजे-राजवाड़ों की पसंद हुआ करता था, लेकिन अब कुठुलिया फल अनुसंधान केंद्र में भी बहुतायत मात्रा में इसकी खेती की जाती है। गोविंदगढ़ के बागों में होने वाला सुंदरजा आम हल्का सफेद रंग का, जबकि कुठुलिया फल अनुसंधान केंद्र में हल्के हरे रंग का फल होता है। पकने पर यह पीला और खुशबूदार हो जाता है | फ्रांस, अमेरिका, इंग्लैंड सहित अरब देशों में यह निर्यात किया जाता है।
मध्य प्रदेश मे पाई जाने वाली आम की 213 प्रजातियों में सबसे प्रमुख सुंदरजा आम है | मौसम की मार के चलते पिछले साल सुंदरजा के एक पेड़ में 10 से 15 किलो की पैदावार हुई थी। लेकिन, इस वर्ष पैदावार प्रति पेड़ 100 से 125 किलो के पार हो गई हैं। इससे देश-विदेश के विभिन्न शहरों में सुंदरजा की मिठास के लिए लोगों को तरसना नहीं पड़ेगा। देश की नर्सरियों में पाए जाने वाला सुंदरजा आम रीवा जिले के गोविंदगढ़ की देन है।
देश के अन्य हिस्सों मे सुंदरजा के फल व उसके पौधे की मांग लगातार पढ़ रही है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई कलकत्ता, पाकिस्तान, इंग्लैंड, अमेरिका सहित अरब देशों में सुंदरजा अपनी खासियत के चलते आम प्रेमियों को लुभाता रहा है। सुंदरजा में इत्र जैसी खुशबू होती है और इसमें इतनी मिठास है कि आंख बंद कर इसे पहचाना जा सकता है। इन खासियतों के चलते सुन्दरजा को पंसद किया जाता है।
स्थानीय आम उत्पादकों के अनुसार आम की प्रजातियों में सबसे सुकुमार सुंदरजा को माना जाता है इसे पक्षियों और मौसम से बचाने के साख उपाय किए जाते है। कीमत में मुम्बई का हापूस भले ही सबसे महंगा आम हो, लेकिन मिठास में सुंदरजा आम का कोई तोड़ नहीं है।