GIS 2025 Bhopal: कहीं सिरदर्द न बन जाए बड़े तालाब की जलकुंभी

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GIS 2025 Bhopal: कहीं सिरदर्द न बन जाए बड़े तालाब की जलकुंभी

 

भोपाल। राजधानी में इस समय नगर निगम द्वारा जीआईएस 2025 की तैयारियां भले ही युद्ध स्तर पर चल रही हो लेकिन ऐसे में बड़े तालाब में फैली जलकुंभी निगम के लिये सिरदर्द बनी हुई है। इसको साफ करने के लिये निगम की झील संरक्षण प्रकोष्ठ की टीम ने कार्य योजना बनायी है लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है।

सच तो यह है कि बड़े तालाब और कलियासोत बांध सहित अन्य जलस्रोतों में जलकुंभी कई महीनों से नहीं की गयी है। इस कारण यह और फैलती जा रही है।

*जलीय जैव विविधता को खतरा*

इस समय हालत यह है कि कलियासोत में नेहरू नगर के पीछे और बड़े तालाब में सीहोर नाके पर बड़े स्तर पर जलकुंभी का फैलाव हो गया है। सफाई नहीं होने से ये दिन प्रतिदिन तेजी से बढ़ रही है। पर्यावरण के जानकारों का मानना है कि यदि समय पर जलकुंभी की सफाई नहीं की गई तो इससे तालाब की जलीय जैव विविधता को खतरा हो सकता है। मछलियों और पानी के अंदर रहने वाले जीवों की मौत हो सकती है।

*पानी में घट जाती है आॅक्सीजन की मात्रा*

विशेषज्ञों का मानना है कि जलकुंभी के कारण पानी में आक्सीजन की मात्रा घट जाती है। लगातार बने रहने के कारण पानी के अंदर रहने वाले जीवों को खतरा हो जाता है। जलकुंभी के कारण पानी का वाष्पीकरण भी 3 से 8 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। इसकी तेजी से वृद्धि से जलीय जीवों और वनस्पति को प्राणवायु न मिलने से उनका दम घुटने लगता है। जलकुंभी वाले पानी में मच्छरों भी तेजी से पनपते हैं। जलकुंभी के अलावा जलस्रोतों में बड़े पैमाने पर सिंगल यूज प्लास्टिक भी फेंका जा रहा है। बड़े तालाब, कलियासोत, मुंशी हुसैन खां और सिद्धीक हसन सहित अन्य तालाबों में प्रतिदिन भारी मात्रा में पन्नी और डिस्पोजल ग्लास डाले जा रहे हैं।