

GIS Survey of Properties : इंदौर में संपत्तियों के GIS सर्वे के लिए निगम को 7.25% पर झारखंड की एजेंसी का प्रस्ताव मंजूर!
Indore : नगर निगम ने एक बार फिर शहर में संपत्ति कर के जरिए अपनी कमाई बढ़ाने के लिए जीआईएस सर्वे कराने का फैसला किया। नगर निगम द्वारा जारी किए गए टेंडर के जवाब में तीन फर्मों ने यह काम करने में रुचि दिखाई थी। इस टेंडर में न्यूनतम ऑफर के कारण निगम ने झारखंड की फर्म ‘स्पैरो’ का चयन किया है। इस फर्म को यह सर्वे करने का काम सौंपने का प्रस्ताव तैयार कर मंजूरी के लिए महापौर परिषद को भेजा गया।
इस फर्म ने नगर निगम को ऑफर दिया कि हमारे द्वारा किए जाने वाले सर्वे से निगम की कमाई में जो इजाफा होगा, उस राशि में से 7.25% राशि हमें दी जाए। इस कंपनी का यह ऑफर निगम को पसंद आया। निगम ने इसे मंजूरी देने के लिए आगे बढ़ा दिया है।
इसमें यह स्पष्ट कर दिया गया कि नगर निगम को संपत्ति कर से होने वाली कुल आय में से यह राशि नहीं दी जाएगी। बल्कि, पूर्व में निगम को जो आय होती थी, उसे घटाकर जो नई आय होगी, उस नई आय की कुल राशि पर से 7.25% के हिसाब से भुगतान किया जाएगा। इस एजेंसी ने राजस्थान के कई शहरों में इस तरह का सर्वेक्षण कार्य किया है। अभी भी इस एजेंसी का कई शहरों में इस तरह का काम चल रहा है।
शहर में 7 लाख पंजीकृत संपत्ति कर दाता
नगर निगम के पास संपत्ति कर देने के लिए पूरी निगम सीमा में 7 लाख पंजीकृत संपत्ति है। इस एजेंसी द्वारा इन सभी संपत्ति का सर्वे किया जाएगा और यह देखा जाएगा कि उनके द्वारा बराबर ईमानदारी से टैक्स दिया जा रहा है अथवा नहीं। इसमें खासतौर पर जो संपत्ति पंजीकृत है, उसमें संपत्ति मालिक द्वारा जितने निर्मित क्षेत्र का टैक्स दिया जा रहा है, इसका परीक्षण इस एजेंसी द्वारा किया जाएगा। इस परीक्षण में इस बात पर फोकस किया जाएगा कि कुल निर्मित क्षेत्र कितना है, उसमें से सीमेंट का पक्का कितना है, शेड डाला हुआ कच्चा हिस्सा कितना है और इनमें से किस निर्माण का टैक्स दिया जा रहा है अथवा नहीं दिया जा रहा।
यह एजेंसी नई संपत्ति ढूंढने का भी काम करेगी
इस सर्वे में एजेंसी द्वारा उन संपत्तियों को भी ढूंढा जाएगा, जो नगर निगम को संपत्ति कर नहीं दे रहे हैं। इसमें खासतौर पर ऐसी संपत्ति शामिल होती है, जो प्लाट या खुली जमीन के रूप में है और उसके स्वामी द्वारा उसका टैक्स नहीं चुकाया जा रहा है। ऐसी संपत्तियों को ढूंढने के बाद में उनका नगर निगम में संपत्ति कर का खाता खोलकर उन पर टैक्स की लायबिलिटी निकाली जाएगी। इससे नगर निगम को इन संपत्तियों से स्थायी रूप से राजस्व संग्रहण का अवसर मिल जाएगा।
रोज 2000 संपत्तियों का सर्वेक्षण करना होगा
इस एजेंसी को यह काम 1 साल यानी की 365 दिन में पूर्ण करना है। यदि नगर निगम में वर्तमान में मौजूद 7 लाख खातों पर भी यह एजेंसी जांच करने का काम करती है, तो एजेंसी को प्रतिदिन कम से कम 2000 संपत्ति का सर्वेक्षण करना होगा, तब जाकर एक महीने में करीब 60 हजार संपत्ति का सर्वेक्षण हो सकेगा। तभी यह एजेंसी एक साल में इस काम को पूरा कर सकेगी।
यह होता है जीआईएस
जीआईएस (ज्योग्राफिकल इन्फॉर्मेशन सिस्टम) का मतलब ‘भौगोलिक सूचना प्रणाली’ है। यह एक कंप्यूटर-आधारित प्रणाली है, जो भौगोलिक डेटा को एकत्रित करने, संग्रहित करने, विश्लेषण करने, प्रबंधित करने और प्रदर्शित करने के लिए उपयोग की जाती है। जीआईएस एक ऐसा उपकरण है, जो नक्शों और डेटा का उपयोग करके बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है। यह विभिन्न स्थानों के बारे में जानकारी एकत्रित करने, उसका विश्लेषण करने और उसे प्रदर्शित करता है।