
God of Sea : नेपच्यून को 165 साल लगते हैं, एक बार सूर्य की परिक्रमा में!
Washington : सौरमंडल में मौजूद 8 ग्रहों में एक ऐसा ग्रह है, जहां पर तेज हवाओं के साथ 40 साल तक एक जैसा मौसम बना रहता है। इस ग्रह को नेपच्यून या वरुण के नाम से जाना जाता हैं। यह सौरमंडल का चौथा सबसे बड़ा ग्रह है, जिसे ‘गॉड ऑफ़ सी’ के नाम से भी जाना जाता है। सूर्य से इसकी दूरी 449.6 करोड़ किमी दूर है। इसका व्यास लगभग 49424 किमी तथा इसका औसत घनत्व 1.64 ग्राम प्रति घन सेमी है। ‘गॉड ऑफ सी’ हमारे सौरमंडल में स्थित दो ‘बर्फीले दानवों’ में से एक है।
नेपच्यून एक बर्फीला दानव है और उसे सूर्य की एक परिक्रमा करने में 165 साल लगते हैं, लेकिन पृथ्वी की तुलना में नेपच्यून अपनी धुरी में तेजी से घूमता है। इस वजह से नेपच्यून पर एक दिन महज 16 घंटे का होता है। खगोलविदों ने नेपच्यून की खोज 1846 में की थी। ‘लाइव साइंस’ की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपच्यून नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता, लेकिन खगोलविदों ने टेलीस्कोप की मदद से इस ग्रह के अस्तित्व की पुष्टि की थी। नासा के मुताबिक, खगोलविदों ने पहले 1612 की शुरुआत में टेलीस्कोप की मदद से नेपच्यून को देखा था, लेकिन इसे ग्रह के रूप में पहचाना नहीं था।
#WATCH | | Chhattarpur, Madhya Pradesh | PM Narendra Modi lays the foundation stone of Bageshwar Dham Medical and Science Research Institute for Cancer in Chhattarpur.
The Cancer Hospital, worth over Rs 200 crore, will offer free treatment to underprivileged cancer patients,… pic.twitter.com/GuZVsenPx9
— ANI (@ANI) February 23, 2025
*ठंडे नेपच्यून तक पहुंचने का समय*
नेपच्यून तक अभी महज एक ही स्पेसक्राफ्ट पहुंचा है, जिसे हम वॉयजर-2 के नाम से जानते हैं। ‘नासा’ के इस स्पेसक्राफ्ट को ‘गॉड ऑफ सी’ तक पहुंचने में 12 साल लग गए। इस यान ने 68,000 किमी प्रति घंटे की औसत रफ्तार से यात्रा की। नेशनल एयर एंड स्पेस म्यूजियम के मुताबिक, नेपच्यून के वायुमंडल में तापमान माइनस 225 डिग्री सेल्सियस के आसपास है। यूरेनस की तुलना में सूर्य से दूर होने की वजह से नेपच्यून ज्यादा ठंड हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है। यूरेनस और नेपच्यून दोनों का तापमान लगभग एक समान है।
*तीव्र हवाओं का संसार*
नेपच्यून में सौरमंडल की सबसे तेज हवाएं चलती हैं, जो लगभग 1930 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती हैं। नेपच्यून पर हर मौसम लगभग 40 साल तक रहता है। ‘नासा’ के मुताबिक, नेपच्यून में पानी, अमोनिया और मीथेन की भरमार है और इसके ठंडे बादलों के नीचे एक ‘सुपर हॉट’ महासागर छिपा हो सकता है। इस ग्रह की कोई ठोस सतह नहीं है। यूरेनस के साथ नेपच्यून भी एक बर्फीला विशालकाय दानव है। नेपच्यून और यूरेनस ‘हीरे की बारिश’ के लिए जाने जाते हैं। जब इन ग्रहों पर मीथेन का दबाव पड़ता है तो हाइड्रोजन और कार्बन के बॉन्ड टूटते हैं जिसकी वजह से कार्बन हीरे में तब्दील हो जाता है और फिर हीरे की बरसात होती है।





