Gold Price History: 1947 से 2025 तक,चॉकलेट की कीमत से लखपति होने तक का सफर   

2052
Gold Price History

Gold Price History: 1947 से 2025 तक,चॉकलेट की कीमत से लखपति होने तक का सफर

एक समय था जब आज़ाद भारत में 10 ग्राम सोना सिर्फ ₹88 का होता था, यानी मिठाई या चॉकलेट जितना सस्ता। सोचिए कि उस छोटे से दाम ने कैसे एक लंबा और चमकीला सफर तय किया, जो आज 10 ग्राम सोने को ₹1,02,280 तक लेकर आया है!

Gold Price History: ये सिर्फ कीमतों का बढ़ना नहीं, बल्कि भारत की बढ़ती ताकत, वैश्विक उतार-चढ़ाव और निवेश के बदलते रंगों की कहानी है। आइए, इस इतिहास को चाय की चुस्की लेते हुए जानें कि कैसे सोने ने हर युग में अपना जादू बिखेरा।

Gold Price History: 1947 में आज़ाद भारत में सोने का भाव लगभग ₹88 प्रति 10 ग्राम था। उस वक्त सोना सामान्य लोगों के लिए भी काफी सस्ता था, जिसे एक तरह से चॉकलेट या मिठाई की कीमत के बराबर माना जा सकता था। आज, अगस्त 2025 में, 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत ₹1,02,280 तक पहुंच चुकी है। यानि 78 सालों में सोने के दाम लगभग 1164 गुना बढ़ गए!

Gold Price History

सोने की कीमतें- 1947 से 2025 तक (₹ प्रति 10 ग्राम)  

1. 1947 – करीब ₹88

2. 1960 – लगभग ₹176

3. 1980 – ₹1,330 के आस-पास

4. 2000 – ₹4,400 के आसपास

5. 2010 – करीब ₹18,500

6. 2020 – ₹48,651 के करीब

7. 2024 – ₹77,913

8. 2025 – ₹1,02,280 (फिलहाल)

*सोने की कीमत तेजी से बढ़ने के कारण*  

1- वैश्विक आर्थिक परिस्थिति: युद्ध, कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन संकट जैसे बड़े इश्यूज ने सोने को “सुरक्षित निवेश” बनाया और मांग बढ़ाई।

2- मुद्रास्फीति: रुपये की गिरावट और महंगाई बढ़ने से सोना और महंगा हुआ।

3- सरकारी नीतियां और कर: सोने पर आयात शुल्क और टैक्स की वजह से भी दाम बढ़ते हैं।

4- बढ़ती मांग: शादी, त्योहार और निवेश में सोने की भारी डिमांड हर देश में देखी जाती है।

5- अर्थव्यवस्था का वैश्वीकरण: भारत सहित कई देशों में मुद्रा अस्थिरता से निवेशक सोने की ओर बढ़े।

 

सोने का निवेश क्यों अमूल्य है?

– सोना मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव करता है।

– शेयर बाजार की उथल-पुथल में एक सुरक्षित ठिकाना होता है।

– पारंपरिक ढंग से यह भारतीय परिवारों के लिए आर्थिक सुरक्षा की गारंटी है

Gold Price History: 1947 में जहां सोना ₹88 था, वहीं आज वह ₹1,02,280 तक पहुंच चुका है। यह केवल कीमत का नहीं, भारत की आर्थिक प्रगति, वैश्विक संकटों और निवेश के बदलते रुझानों का भी गवाह है। सोना भारतीय संस्कृति और निवेशकर्ताओं के लिए सदैव एक अनमोल धरोहर रहेगा।