
अलविदा सूद साहब: एकमात्र IAS अधिकारी, जो इंदौर के अपर कलेक्टर, कलेक्टर और कमिश्नर रहे
अरविंद तिवारी की खास रिपोर्ट
आपातकाल के दौर में इंदौर के कलेक्टर रहे श्री सुधीर कुमार सूद का भोपाल में मंगलवार को निधन हो गया। वे संभवत: एक मात्र ऐसे आईएएस अफसर थे जिन्हें इंदौर में अपर कलेक्टर,कलेक्टर और फिर कमिश्नर के रूप में काम करने का मौका मिला। इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में इंदौर बायपास की प्लानिंग उन्हीं के दौर में हुई थी। श्री सूद कैंसर की बीमारी से ग्रसित थे और पिछले कुछ समय से भोपाल की चिरायु अस्पताल में भर्ती थे।
1965 बैच के आईएएस अफसर श्री सूद की गिनती प्रदेश के उन आईएएस अफसर में होती थी,जो जिस भी पद पर पदस्थ रहे उसे एक नई ऊंचाई दी।
वे मेरे दिवंगत पिता श्री ओ आर तिवारी के सबसे पसंदीदा अफसरों में से एक थे और मैंने पिताजी से उनके कई किस्से सुने। पिताजी 69 मैं जब छिंदवाड़ा से इंदौर ट्रांसफर हुए तब श्री सूद इंदौर में अपर कलेक्टर थे और बाद में जब 1987 में पिताजी खरगोन कलेक्टर बने तब वह इंदौर के संभाग आयुक्त थे। आपातकाल के दौर में इंदौर में सुधीर सूद और सुरजीत सिंह कलेक्टर और एसपी के रूप में पदस्थ थे।
उनके वर्किंग स्टाइल के बारे में पिताजी अकसर कहां करते थे की वह आईएएस नहीं आईसीएस अफसर है। नियम कायदे से काम करते थे। पी सी सेठी के वे सबसे पसंदीदा अफसर थे। हालांकि बाद में उन्हें इसका बहुत नुकसान भी उठाना पड़ा। उनसे जुड़ा है एक किस्सा सुनाते हुए पिताजी ने बताया था कि एक बार जब उन्होंने उन्हें दीपावली पर ग्रीटिंग कार्ड भेजा तो उनका फोन आया और कहने लगे तिवारी कार्ड पर बजाय टाइपिंग के यदि पता और संबोधन हम हाथ से लिखें तो उसमें आत्मीयता दिखती है। उसके बाद पिताजी ने कभी किसी को टाइप किया हुआ ग्रीटिंग कार्ड नहीं भेजा।
पिताजी जब सागर कलेक्टर थे तब श्री सुद राजस्व मंडल के प्रशासनिक सदस्य थे। वे जब भी सागर आते सामान्य शिष्टाचार के तहत पिताजी उनसे जरूर मिलते हैं। अपना दौरा पूरा कर जब भी लौटते तो एक छोटी सी पर्ची हमेशा कलेक्टर निवास पर छौड कर जाते जिसमें ‘आपकी सौजन्यता के लिए धन्यवाद’ लिखे पांच शब्द ही रहते थे।
जब वह इंदौर के संभाग आयुक्त थे तब पिताजी खरगोन कलेक्टर थे। इसी दौर में खरगोन जिले में पदस्थ एक युवा आईएएस अफसर का वाहन चलाते हुए एक्सीडेंट हुआ। इसमें उनके साथ गाड़ी में सवार एक पटवारी और एक राहगीर की मौत हो गई। उक्त अफसर से सूद साहब पहले से ही काफी नाराज थे। एक्सीडेंट में दो लोगों की मौत ने उन्हें बहुत उद्वेलित कर दिया। वह बहुत सख्त कार्रवाई के मूड में आ गए थे पर पिताजी के इस आग्रह पर मान गए की एक युवा आईएएस अफसर का करियर खराब हो जाएगा।
एक आखरी किस्सा। वे जब इंदौर के कलेक्टर थे तब निपानिया के श्री आनंद राव जोशी इंदौर प्रीमियर कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष थे। एक बार राखी के दिन जोशी जी उनसे मिलने गए। श्रीमती सूद कुछ गुमसुम दिखाई तो अपने मालवी शैली में जोशी जी ने कहा बई कई हुई ग्यो। श्रीमती सूद ने कहा आपके साहब तो अपनी बहनों से राखी बनवा रहे हैं हमारा तो कोई भाई नहीं है हम किसको राखी बांधने। जोशी जी ने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया और श्रीमती सूद ने उन्हें राखी बांधी। इस दिन के बाद सूद साहब ने जोशी जी को हमेशा परिवार के सदस्य जैसा मान सम्मान दिया।
पिताजी के स्मृति ग्रंथ ‘ओंकार स्पंदन’ के लिए जब मैंने उनसे आग्रह किया तो वह सहर्ष तैयार हो गए।
श्री सूद से जुड़ी अनेक यादें हैं जिन्हें बाद में कभी आपसे शेयर करूंगा।
एक बेहतरीन अफसर और एक सह्रदय इंसान के श्री चरणों में विनम्र श्रद्धांजलि





