Geetika Sharma suicide case
पैदल आई थी कंपनी में इंटरव्यू देने गीतिका, वापस लौटी तो घर तक छोड़ने आई गाड़ी
एयर होस्टेस गीतिका सुसाइड केस में गोपाल कांडा बरी
हाई प्रोफाइल गीतिका सुसाइड केस में आज दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मुख्य आरोपी गोपाल कांडा को बरी कर दिया है। साथ ही एमडीएलआर की मैनेजर अरुणा चड्ढा को भी निर्दोष करार दिया। साल 2005 में गीतिका ने सुसाइड कर लिया था। केस में गोपाल कांडा को 18 महीने जेल में भी रहना पड़ा था और मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
गोपाल कांडा की एयरलाइंस कंपनी एमडीएलआर में वैसे तो कर्मचारियों की नियुक्ति के समय पूरी छानबीन होती थी, लेकिन कहा जाता है कि गीतिका शर्मा इकलौती ऐसी कर्मचारी थी, जिसकी कोई छानबीन नहीं हुई. उसके लिए इस सवाल का भी कोई महत्व नहीं था कि उसने ग्रेजुएशन भी की है या नहीं.
यह स्थिति उस समय है जब क्रू मेंबर और इससे ऊपर के सभी के पदों पर भर्ती की न्यूनतम योग्यता ग्रेजुएशन था. गीतिका शर्मा जब गोपाल कांडा की कंपनी में इंटरव्यू के लिए आई, उस समय उसका सीनियर सेकेंड्री भी कंपलीट नहीं था.
उस समय वह 12वीं की परीक्षा देने के बाद रिजल्ट का इंतजार कर रही थी. कहा तो यह भी जाता है कि वह गुड़गांव बस अड्डे से पैदल चलकरएमडीएलआरके सिविल लाइंस स्थित ऑफिस पहुंची थी, लेकिन इंटरव्यू के बाद गोपाल कांडा ने उसे अपनी गाड़ी से घर छुड़वाया था. पुलिस सूत्रों के मुताबिक गीतिका एयर होस्टेस बनना चाहती थी, लेकिन चूंकि उसका ग्रेजुएशन कंपलीट नहीं था और उम्र भी 18 साल से कम था. इसलिए कांडा ने उसे सुझाव दिया कि बालिग होने तक वह बतौर क्रू मेंबर काम करे. इससे उसे हवाई जहाज में चढ़ने और एयरहोस्टेस के काम को समझने का अवसर मिलेगा.
इसपर गीतिका तैयार हो गई और उसने तत्काल ज्वाइन भी कर लिया. इसके बाद गोपाल कांडा के ही कहने पर गीतिका ने एयर होस्टेस का कोर्स भी किया.इसमें आने वाला पूरा खर्च खुद गोपाल कांडा ने ही उठाया था. पुलिस सूत्रों के मुताबिक उन दिनों गीतिका शर्मा के परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी. वह चाहती थी कि अपने परिवार का संबल बने. उसने अपनी इच्छा गोपाल कांडा के सामने जाहिर की तो गोपाल कांडा ने उसके परिवार का भी पूरा खर्च उठा लिया था.
मामले की जांच से जुड़े पुलिस अधिकारियों के मुताबिक बतौर क्रू मेंबर एमडीएलआर ज्वाइन करने के बाद भी गीतिका शर्मा के लिए रोज ऑफिस आने की मजबूरी नहीं थी. उसका जब मन होता तो ऑफिस आती. लेकिन जिस दिन उसे ऑफिस नहीं आना होता तो कंपनी में सूचित करती थी. उससे संबंधित सभी तरह की सूचना सीधे गोपाल कांडा तक पहुंचाई जाती थी. एक दिन गीतिका शर्मा ऑफिस नहीं आई थी और कोई सूचना भी ऑफिस में नहीं थी.
इंस्टीट्यूट में पहुंच गए थे कांडा
जब गोपाल कांडा ऑफिस पहुंचे तो उसके नजर नहीं आने पर उन्होंने सवाल किया. पता चला कि गीतिका की ओर से कोई सूचना नहीं दी गई है. इसके बाद गीतिका ने उसके घर फोन किया, वहां से पता चला कि वह काफी देर पहले ही घर से निकल गई है. ऐसे में उसकी खबर लेने गोपाल कांडा खुद उसके इंस्टीट्यूट पहुंच गए थे. हालांकि वह सामान्य आदमी की तरह से पहुंचे थे, लेकिन उन्हें वहां पहचान लिया गया. उन्हें इस प्रकार आया देखकर गीतिका शर्मा तो हैरान थी ही, इंस्टीट्यूट प्रबंधन भी आश्चर्यचिकत रह गया था.
रेडियो मेकेनिक से एमडीएलआर के मालिक तक, जानें कांडा का पूरा सफर
वहीं कंपनी में ज्वाइन करने के छह महीने बाद गीतिका ने 18 साल की उम्र पूरी कर ली. इसके बाद उसे मिड टर्म प्रमोशन मिल गया और वह एयर होस्टेस बन गई थी. कुछ ही दिन वह काम कर पायी थी कि गोपाल कांडा उसकी ड्यूटी हवाई जहाज में कम अपने साथ ज्यादा लगाने लगे. आलम यह था कि वह अक्सर गोपाल कांडा के साथ नजर आने लगी. यहां तक कि घर से लेकर सार्वजनिक कार्यक्रमों तक कांडा बिना गीतिका शर्मा के नहीं जाते. इससे परेशान होकर उसने 2010 में एमडीएलआर की नौकरी छोड़ दी और दुबई चली गई. बताया जाता है कि कुछ दिन बाद गोपाल कांडा ने उसे वहां से बुलवा लिया और एमडीएलआर का डायरेक्टर बना दिया.