राज-काज: नेताओं की गुटबाजी पर काबू नहीं पा सकी भाजपा….!

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राज-काज: नेताओं की गुटबाजी पर काबू नहीं पा सकी भाजपा….!

दिनेश निगम ‘त्यागी’

नेताओं की गुटबाजी पर काबू नहीं पा सकी भाजपा….!

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– कांग्रेस पर खंड-खंड में बंटे होने का आरोप लगाने वाली भाजपा अपने नेताओं की गुटबाजी को काबू में नहीं कर पा रही। सागर की राजनीति में प्रदेश सरकार के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और भूपेंद्र सिंह के बीच के झगड़े खत्म नहीं हुए, उधर ग्वालियर में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के बीच दूरी लगातार बढ़ती जा रही है। गोविंद-भूपेंद्र में अब जैसीनगर का नाम बदल कर जय शिव नगर करने काे लेकर तलवारें खिंच गई हैं। दांगी समाज के लोग इसका विरोध कर रहे हैं। भूपेंद्र खुद इस समाज से हैं। उनका कहना है कि राजा जयसिंह के नाम से इस क्षेत्र का नाम जैसीनगर हुआ, जो दांगी राजा थे। गोविंद ने भूपेंद्र का नाम लिए बगैर निशाना साधते हुए कहा कि जो 10 साल विधायक रहे, उनके कार्यकाल में एक पुलिया तक नहीं बनी। अब कहते हैं हमारे राजा का अपमान किया गया। उन्होंने कहा कि राजा जय सिंह की मूर्ति गोविंद सिंह बनवाएगा। बता दें, भूपेंद्र इस क्षेत्र से भी दो बार विधायक रह चुके हैं। हालांकि अब गोविंद ने कहा है कि जयसिंह नगर का नाम नहीं बदला जाएगा। उधर ग्वालियर में ज्योतिरादित्य द्वारा बुलाई बैठकों में नरेंद्र तोमर समर्थक सांसद भारत सिंह कुशवाहा हिस्सा नहीं ले रहे हैं। कुशवाहा ने तंज कसा कि सिंधिया अपने क्षेत्र में दिशा की बैठक ले चुके हैं। उन्हें पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास की जवाबदारी मिली है। वहां भी ध्यान देना चाहिए।

अफसरों को धमकाने से मजाक का पात्र बन रहे जीतू….

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– कहावत है ‘सूत न कपास जुलाहों में लट्ठम लट्ठा’। यह कांग्रेस पर चाहे जब चरितार्थ होने लगती है। विपक्ष में रहते हुए कमलनाथ का तकिया कलाम था ‘आज के बाद कल भी आएगा’। वे अफसराें को धमकाते हुए कहते थे कि ‘कांग्रेस के आने पर भाजपा के एजेंट की तरह काम करने वाले अफसरों का हिसाब किया जाएगा।’ अब जीतू पटवारी लगभग हर सभा में यही बात अपने ढंग से कह कर मजाक का पात्र बन रहे हैं। वे अफसरों से कहते हैं कि बस तीन साल का समय शेष है। इसके बाद कांग्रेस सत्ता में आने वाली है। तब उन अफसरों को देखा जाएगा जो भाजपा के इशारे पर कांग्रेसियों को प्रताड़ित कर रहे हैं। जीतू को अब तक यह अहसास नहीं हुआ कि प्रदेश से भाजपा को हटाना उतना आसान नहीं, जितना वे समझते हैं। इसलिए ‘मुंगेरी लाल के हसीन सपने’ देखने के स्थान पर उन्हें कांग्रेस को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित रखना चाहिए। इसमें कोई संदेह नहीं कि वे भरपूर मेहनत कर रहे हैं। दौरे कर रहे हैं और उनके कार्यक्रमों में कांग्रेसी जुट भी रहे हैं लेकिन सत्ता में आने के लिए इतना भर पर्याप्त नहीं। संगठन को नीचे तक मजबूती के लिए जो किया जाना चाहिए, वह अब भी नहीं हो रहा है। यह सच प्रदेश कार्यालय में बैठने वाले कई नेता भी स्वीकार करते हैं। इसलिए जीतू अफसरों को देखने की बजाय कांग्रेस पर ही ध्यान केंद्रित रखें तो ही बेहतर है।

दिग्विजय की ऐसी राजनीति से ही बैठा कांग्रेस का भट्ठा….

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– कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह अब तक जनता की नब्ज नहीं पकड़ पाए, तभी उनके बयान भाजपा को फायदा और कांग्रेस को नुकसान पहुंचा जाते हैं। दो घटनाक्रमों को ही ले लीजिए। शीतलामाता बाजार से मुस्लिम कर्मचारियों को काम से बाहर करने के विरोध में वे इंदौर पहुंच गए। नतीजा, न उन्हें बाजार में जाने दिया गया, न ही वे शीतलामाता मंदिर में दर्शन कर पाए। थाने में रिपोर्ट भी नहीं लिखी गई। अब वे कहते हैं कि एफआईआर के लिए कोर्ट जाएंगे। इतना ही नहीं, कांग्रेस नेताओं के बीच ही उनके इंदौर जाने को लेकर आरोप- प्रत्यारोप शुरू हो गए। दरअसल, इंदौर में कई मुस्लिम युवक नाम बदल कर हिंदू लड़कियों के साथ पकड़े गए हैं। इससे यहां हिंदू-मुस्लिम की राजनीति सिर चढ़ कर बोल रही है। ऐसे में दिग्विजय के दौरे ने इसे और हवा दे दी और भाजपा काे फायदा मिल गया। दूसरा, दिग्विजय ने झांसी में कह दिया कि देश में हिंदुओं की नहीं मुस्लिमों की आबादी बढ़ी है और यह भी की आरएसएस दंगे भड़काती है। उन्होंने कहा कि अगर कोई ‘आई लव मोहम्मद’ कहता है और कोई ‘आई लव रामजी, आई लव महादेव, आई लव कृष्ण, आई लव गांधी’ तो इसमें किसी को क्या दिक्कत? इसे लेकर मुकदमा क्यों दर्ज होना चाहिए? हालांकि दिग्विजय गलत नहीं लेकिन भाजपा को ऐसे बयानों से ही ऊर्जा मिलती है।

 राहुल का आचरण गलत तो कैलाश भी सही नहीं….

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– प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय अपने बयानों के कारण हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। इस बार वे भाई-बहन के रिश्ते को लेकर दिए बयान के कारण घिर गए। उन्होंने राहुल गांधी की इसलिए आलोचना कर डाली क्योंकि वे सार्वजनिक तौर पर अपनी बहन का चुंबन ले लेते हैं। उन्होंने कहा कि ‘मेरे पिताजी अपनी बहन के गांव का पानी भी नहीं पीते थे और आज के हमारे नेता प्रतिपक्ष अपनी जवान बहन का चौराहे पर चुंबन ले लेते हैं। मैं आपसे पूछना चाहता हूं आप में से कोई ऐसा है जो अपनी जवान बहन या बेटी के साथ सार्वजनिक रूप से ऐसा करे।’ ये संस्कार विदेश की संस्कृति के हैं, जबकि भारत हमारे देश की संस्कृति के आधार पर चलेगा।’ कैलाश जी, यदि राहुल का आचरण गलत है तो भाई-बहन के रिश्ते को लेकर आपकी टिप्पणी भी अनुचित। कई बार लोग बहन-बेटियों को अपने सीने से लगा लेते हैं। स्नेह में उन्हें चूम लेते हैं। सार्वजनिक मंचों में भी ऐसा देखने को मिल जाता है। इसका मतलब यह तो नहीं कि उनकी मंशा गलत है। इसलिए ऐसे मसलों पर सावधानी से प्रतिक्रिया देनी चाहिए। जैसी की संभावना थी बयान के बाद कांग्रेस ने प्रदेश भर में प्रदर्शन कर कैलाश के पुतले जलाए। बाद में उन्होंने सफाई दी की उनकी बात को गलत ढंग से प्रस्तुत किया गया। वे विदेशी और भारतीय संस्कृति की तुलना कर रहे थे।

 लीजिए, इस योजना को ही व्यर्थ बता बैठे ये माननीय….

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– भाजपा सरकार की जिस योजना से कांग्रेस भी डरती है। इसके खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं कर पाती। अधिकांश लोग इस योजना को भाजपा के लिए संजीवनी मानते हैं। इसकी बदौलत ही पार्टी एक बार फिर प्रदेश की सत्ता में है। इसके खिलाफ भाजपा के एक विधायक ने ही टिप्पणी कर डाली। यह है लाड़ली बहना योजना। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रारंभ की गई इस योजना को देश के कई अन्य राज्य भी अपना रहे हैं और नाम बदल कर इसे लागू कर रहे हैं। योजना के तहत प्रदेश में अब तक महिलाओं को 1250 रुपए मिल रहे थे, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव इसे बढ़ा कर 1500 रुपए प्रतिमाह करने वाले हैं। उन्होंने कहा है कि धीरे-धीरे यह राशि बढ़ा कर 3000 रुपए प्रतिमाह कर दी जाएगी। सरकार के खजाने में पैसे हों या न हों, भले कर्ज लेना पड़े लेकिन महिलाओं को प्रति माह यह राशि दी जा रही है। इस योजना की बदौलत ही महिलाओं का बड़ा वर्ग भाजपा का प्रतिबद्ध मतदाता बन चुका है। विदिशा जिले की कुरवाई सीट से विधायक हरि सिंह सप्रे ने ऐसी शुभंकर योजना को ही व्यर्थ बता दिया। उन्होंने कहा कि सरकार फ्री का पैसा बांट रही है। इसका वीडियो भी वायरल हो गया। इस टिप्पणी के लिए सप्रे पर कार्रवाई हो जाना चाहिए थी लेकिन मामले ने ज्यादा तूल नहीं पकड़ा। संभवत: इसकी वजह से वे बच गए।