Government Banned AI Tools : केंद्र सरकार के दफ्तरों में संभावित खतरों को देखते हुए AI एप प्रतिबंधित!

सरकारी कंप्यूटरों पर AI एप का उपयोग गोपनीय जानकारी के लिए बड़ा साइबर खतरा!

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Government Banned AI Tools : केंद्र सरकार के दफ्तरों में संभावित खतरों को देखते हुए AI एप प्रतिबंधित!

New Delhi : गोपनीय सरकारी डाटा की सुरक्षा के मद्देनजर केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय ने ‘चैटजीपीटी’ और ‘डीपचीक’ जैसे एआई टूल्स और एप्लिकेशन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश जारी किया। इसका उद्देश्य संवेदनशील सरकारी डेटा की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और संभावित साइबर खतरों को रोकना है। मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रदीप कुमार सिंह के इस आदेश में कहा गया कि सरकारी कंप्यूटरों पर एआई-सक्षम एप्लिकेशन का उपयोग गोपनीय सरकारी जानकारी को खतरे में डाल सकता है।

इसके मद्देनजर, मंत्रालय ने सभी कर्मचारियों को आधिकारिक उपकरणों पर ऐसे टूल्स के उपयोग से बचने की सलाह दी। यह आदेश वित्त सचिव की मंजूरी के बाद जारी किया गया और इसे राजस्व, आर्थिक मामलों, व्यय, सार्वजनिक उपक्रम, DIPAM और वित्तीय सेवाओं सहित प्रमुख सरकारी विभागों को भेजा गया है।

यह प्रतिबंध वैश्विक स्तर पर एआई टूल्स को लेकर बढ़ती चिंताओं का हिस्सा है। कई एआई मॉडल, जिनमें चैटजीपीटी भी शामिल है। उपयोगकर्ता इनपुट को बाहरी सर्वरों पर प्रोसेस करते हैं, जिससे डेटा लीक या अनधिकृत पहुंच की आशंका बनी रहती है। इससे पहले, कई निजी कंपनियों और वैश्विक संगठनों ने भी एआई टूल्स के उपयोग को सीमित कर दिया है, ताकि संवेदनशील डेटा के गलत इस्तेमाल से बचा जा सके। इससे पहले इटली और ऑस्ट्रेलिया ने भी चाइनीज एआई टूल डीपसीक को बैन किया है।

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इस प्रतिबंध का मकसद

सबसे बड़ा मामला है डेटा लीक का खतरा। चैटजीपीटी और डीपसीक जैसे एआई मॉडल उपयोगकर्ता द्वारा डाले गए डेटा को बाहरी सर्वरों पर प्रोसेस करते हैं। इसका मतलब है कि यदि सरकारी कर्मचारी गोपनीय जानकारी इन टूल्स में दर्ज करते हैं, तो वह डेटा संग्रहीत, एक्सेस या दुरुपयोग हो सकता है। सरकारी विभागों में वित्तीय डेटा, नीतिगत मसौदे और आंतरिक संचार जैसे संवेदनशील डेटा होते हैं। यदि यह डेटा लीक होता है, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक नीति के लिए गंभीर खतरा हो सकता है।

इसके अलावा एआई मॉडल पर सरकारी नियंत्रण की कमी भी इस पर प्रतिबंध का कारण है। सरकारी कार्यालयों में उपयोग किए जाने वाले पारंपरिक सॉफ्टवेयर के विपरीत एआई टूल्स क्लाउड-आधारित होते हैं। ये निजी कंपनियों के स्वामित्व में होते हैं। जैसे चैटजीपीटी का स्वामित्व ओपनएआई के पास है। सरकार के पास यह नियंत्रित करने का कोई तरीका नहीं है कि ये टूल्स जानकारी को कैसे संग्रहीत या प्रोसेस करते हैं। यह विदेशी हस्तक्षेप और साइबर हमलों के लिए भी संभावित खतरा बन सकता है।

प्रतिबंध की तीसरी वजह डेटा संरक्षण नीतियों का अनुपालन है। भारत डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम, 2023 जैसे कड़े डेटा सुरक्षा कानूनों पर काम कर रहा है। यदि सरकारी कर्मचारियों को बिना स्पष्ट नियमों के एआई टूल्स का उपयोग करने की अनुमति दी जाती है, तो इससे डेटा सुरक्षा नीतियों का उल्लंघन हो सकता है और सरकारी सिस्टम को साइबर हमलों के प्रति असुरक्षित बना सकता है। इन सारी स्थितियों को देखने और जांचने के बाद ही केंद्र सरकार ने इसे एप का उपयोग सरकारी दफ्तरों में प्रतिबंधित करने का फैसला किया।