
ग्राम सभा ग्राम पंचायत प्रजातंत्र की नींव है – पूर्व IAS अधिकारी डॉ हीरालाल त्रिवेदी
उज्जैन से अजेंद्र त्रिवेदी की रिपोर्ट
उज्जैन: संविधान में 73वें संशोधन से प्रजातंत्र को वैधानिक रूप से ग्राम स्तर तक ले जाया गया है। ग्राम की ग्राम सभा, ग्राम पंचायत, ब्लॉक स्तर पर जनपद पंचायत तथा जिला स्तर पर जिला पंचायत को 1993 से संवैधानिक संस्थाओं के रूप में मान्यता दी गई है यद्यपि ग्राम की ग्राम पंचायत का स्वरूप भारतीय संस्कृति में हजारों वर्ष पुराना है। पहले कबीला समूह की पंचायत होती थी फिर कबीले स्थाई रूप से रहने लगे तब ग्राम का स्वरूप उभरा और उसकी पंचायत होती थी उसका भी एक प्रधान होता था। गांव के विवाद गांव की पंचायत में बैठकर ही निर्णित होते आ रहे हैं। यही गांधी जी के स्वराज की कल्पना भी थी। यदि पंचायती राज संस्थाओं को सुदृढ़ करना है तो ग्रामसभा को सबसे पहले सुदृढ़ करना होगा। उक्त विचार सेवानिवृत्त आईएएस एवं पूर्व पंचायत आयुक्त डॉ हीरालाल त्रिवेदी ने शिवजी राम त्रिवेदी शिक्षण प्रशिक्षण समिति द्वारा शैल पब्लिक स्कूल इंगोरिया परिसर में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में कही। उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद ग्राम के लोगों को आपसी विवाद भूलकर आम सहमति से निर्णय करना चाहिए तभी गांवों की तस्वीर बदलेगी, अन्यथा हम विकास की दौड़ में पिछड़ जाएंगे।

कार्यशाला में पंचायत प्रशिक्षण केंद्र पचमढ़ी के पूर्व नोडल अधिकारी राम शंकर शर्मा ने पंचायत स्तर पर आने वाली समस्याओं के संबंध में सरपंचों तथा जनपद सदस्यों से रूबरू परिचर्चा की। इसमें यह तथ्य उभर कर आया कि ग्राम पंचायतों में चुनाव के समय के मतभेद तथा गुटबाजी विकास में बाधक है। कई स्थानों पर सचिवों से तालमेल नहीं होने से भी समस्याएं हैं। सरपंच और सचिव का जनपद के कर्मचारियों से यदि तालमेल ना बैठा या जनपद स्तर पर भी राजनीतिक गुटबाजी आड़े आ गई तब काम समयपर नहीं होते। यदि अधिकारी कार्रवाई करके जिला पंचायत तक अनुशंसाएं भेज भी देते हैं तब जिला पंचायत स्तर से समय पर ना तो निर्णय होते हैं और ना ही समय पर योजनाओं में फंड आता है जिससे हितग्राहियों में तथा आम लोगों में असंतोष पनपता है तथा वे पंचायत एवं जनपद स्तर पर चक्कर काटते रहते हैं। रामशंकर शर्मा जी ने एक रस्सी की गठान के माध्यम से सरपंच और सचिव को गठान खोले बिना सुलझाने का विकल्प दिया परंतु वे उलझते रहे। उन्होंने यही उदाहरण देकर बताया कि यदि हम अलग-अलग दिशाओं में गए तो उलझते रहेंगे और यदि सुलझना है तो सभी को हर स्तर पर समन्वय बनाकर निष्ठा पूर्वक कार्य करना होगा तब रास्ते अवश्य खुलेंगे।

इंदौर पंचायत प्रशिक्षण केंद्र की मास्टर रिसोर्स पर्सन श्रीमती रचना छापेकर ने ग्राम पंचायतों को अपनी आय का रिसोर्स बढ़ाने के टिप्स दिए। उसके लिए ग्राम के स्वच्छता कार्यों में या विकास कार्यों में ग्राम के प्रत्येक व्यक्ति एवं परिवार की भागीदारी सुनिश्चित करें, ग्राम सभा से निर्णय कराएं और सफाई स्वच्छता शुद्ध पेयजल अच्छी सड़कों के लिए उन्हें प्रेरित करें। निश्चित ही ग्राम के लोग अपना अंशदान करेंगे और उससे ग्राम पंचायत की आय बढ़ेगी। शासकीय फंड का हिसाब भी सही से ग्राम सभा के सामने रखेंगे तब निश्चित ही गांव के लोग गांव के अच्छे कार्यों में भागीदारी करेंगे और क्षेत्र का प्रत्येक गांव एक आदर्श गांव बन सकता है। अनुराग गोयल वरिष्ठ अधिवक्ता इंदौर ने ग्राम स्तर पर सहकारिता के सिद्धांत को अपनाने का आग्रह करते हुए कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में सहकारी समितियों का गठन कर ग्रामीण अपने आय के स्त्रोत को बढ़ा सकते हैं।
परिचर्चा में जिला पंचायत सदस्य राम प्रसाद पंड्या, बड़नगर जनपद अध्यक्ष प्रतिनिधि उमराव सिंह, जनपद उपाध्यक्ष अजब सिंह, जनपद सदस्य रौनक जैन भाट पचलाना, ममता अशोक चिरोला, सुनील यादव रुणीजा, संगीता राधेश्याम खरसोद खुर्द, भावना सुखदेव सुवासा, रामकन्या राधेश्याम कोटडी, भरत चौहान कुलावदा, नागेश्वर मारू दंगवाड़ा एवं बड़ी संख्या में बड़नगर क्षेत्र के सरपंच गण, पूर्व जनपद सदस्यों एवं पूर्व सरपंचों ने भाग लिया। प्रशिक्षण कार्यशाला का संचालन अक्षय आचार्य इंगोरिया ने किया तथा आभार अजय पटेल सुंदराबाद ने प्रकट किया।
-सचिव शिवजी राम त्रिवेदी शिक्षण प्रशिक्षण समिति





