Jobat में गोपाष्टमी पर भव्य “गो छप्पन भोग अन्नकूट महोत्सव

गौमाता के प्रति श्रद्धा, सेवा और संस्कारों का होगा अद्भुत संगम- गायत्री गोपाल गोशाला ट्रस्ट करेगी आयोजन

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Jobat में गोपाष्टमी पर भव्य “गो छप्पन भोग अन्नकूट महोत्सव

– राजेश जयंत

ALIRAJPUR: गौमाता भारतीय संस्कृति की आत्मा, धर्म का आधार और अन्नदाता का प्रतीक है। दीपावली के बाद आने वाली गोपाष्टमी वह पावन तिथि है जब भगवान श्रीकृष्ण ने पहली बार गौचारण का दायित्व संभाला था। इस दिन समूचा भारत गोसेवा और गोपूजन के भाव में डूब जाता है। इसी पावन अवसर पर गायत्री गोपाल गोशाला ट्रस्ट, जोबट (जिला आलीराजपुर) द्वारा भव्य “गो छप्पन भोग अन्नकूट महोत्सव” का आयोजन किया जा रहा है, जो धर्म, संस्कृति और सेवा का अद्भुत संगम बनेगा।

*भव्य आयोजन*

29 अक्टूबर 2025, बुधवार (गोपाष्टमी) के दिन गायत्री गोपाल गोशाला परिसर भक्तिमय वातावरण में परिवर्तित होगा। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 9:00 बजे पंच कुण्डीय गायत्री कामधेनु महायज्ञ से होगा। इसके बाद प्रातः 11:30 बजे गो पूजन, छप्पन भोग एवं महाआरती संपन्न होगी, जिसमें सैकड़ों गोभक्तों के शामिल होने की संभावना है।

*सम्मान एवं अन्नकूट*

दोपहर 12 बजे से सम्मान समारोह एवं अन्नकूट का आयोजन किया जाएगा, जबकि सायं 7 बजे से दीपोत्सव और रात 8 बजे से भजन संध्या में पूज्य प.पू. श्री कमलकिशोर जी नागर के गोभक्त मंडल द्वारा भक्ति रस की धारा प्रवाहित की जाएगी। आयोजन में जिला कलेक्टर नीतू माथुर, पुलिस अधीक्षक रघुवंश सिंह भदौरिया, तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रखर सिंह मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित होंगे।

*गोमाता सेवा का आह्वान*

ट्रस्ट ने समस्त गोभक्तों से विनम्र निवेदन किया है कि वे गोपाष्टमी के दिन गोमाता के प्रति अपनी श्रद्धा और सेवा समर्पित करें। भक्तजन छप्पन भोग हेतु सब्जियाँ, गुड़, तेल, घी, मिठाई, अनाज आदि सामग्री समर्पित कर पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। विशेष रूप से, श्रद्धालु अपने या अपने परिजनों के वजन के बराबर “तुलादान” के माध्यम से गोमाता को अर्पण कर अतुलनीय धार्मिक पुण्यफल प्राप्त कर सकते हैं।

सायं 7 बजे के दीपोत्सव कार्यक्रम के लिए भक्तों से आग्रह किया गया है वे कम से कम पांच दीपक गौशाला में प्रज्वलित करें, जिससे समस्त परिसर प्रकाशित हो उठे और गोसेवा का प्रकाश चारों दिशाओं में फैले। कार्यक्रम के अंत में अन्नकूट प्रसादी (सब्जी) का वितरण किया जाएगा, जिसके लिए श्रद्धालुओं से अनुरोध किया गया है कि वे अपना पात्र साथ लेकर आएं।

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*गोपाष्टमी का धार्मिक महत्व*

“गावो विश्वस्य मातरः” ऋग्वेद-गोपाष्टमी का पर्व गौसेवा, गोसंवर्धन और गौमाता के आध्यात्मिक महत्त्व को समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोपाल स्वरूप धारण कर गोचारण का कार्य प्रारंभ किया था।

गोपाष्टमी के दिन गोमाता का पूजन, स्नान, सजावट और आरती करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि “गौमाता में सभी देवताओं का वास” होता है -इसलिए गोसेवा, देवसेवा के समान मानी गई है। गोपाष्टमी पर गोशालाओं में छप्पन भोग अर्पण करना, दीप प्रज्ज्वलन करना और तुलादान के माध्यम से दान देना धन, सुख और मोक्ष का साधन माना गया है। यह दिन हमें न केवल गोमाता की महिमा का स्मरण कराता है, बल्कि “जीव दया, सेवा और संस्कार” के मूल भाव को भी पुनर्जीवित करता है। गायत्री गोपाल गोशाला ट्रस्ट जोबट के प्रमुख राजू भाई टवली ने उक्त जानकारी देते हुए आग्रह किया कि जिले के समस्त श्रद्धालु्, माता- बहने और गोभक्त इस पावन अवसर पर उपस्थित होकर गोरक्षा, गोसंवर्धन और गोसेवा के इस महाअभियान का भाग बनें। “गोमाता के चरणों में ही शांति, समृद्धि और संस्कार का सच्चा स्रोत निहित है।”