

GST New Rules: जीएसटी का नया रूल, अपील के लिए ई-फाइलिंग जरूरी होगा!
New Delhi : सरकार ने जीएसटी अपील ट्रिब्यूनल (जीएसटीएटी) के लिए नियम नोटिफाई कर दिए हैं, जिनमें अब अपील दायर करने के लिए ई-फाइलिंग जरूरी होगी और सुनवाई हाइब्रिड तरीके से होगी। यानी अब सुनवाई के लिए जरूरी नहीं कि आपको हमेशा ट्रिब्यूनल में खुद जाकर ही हाजिर होना पड़े। आप चाहें तो वीडियो कॉल या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए भी सुनवाई में शामिल हो सकते हैं। यह सिस्टम सभी के लिए जरूरी होगा, जिससे सुनवाई ज्यादा आसान और सुविधाजनक हो जाएगी।
ये है नया नियम
नए नियमों के मुताबिक अगर कोई अर्जेंट मामला किसी एप्लिकेंट की तरफ से दोपहर 12 बजे से पहले फाइल कर दिया जाता है और सभी कागज पूरे हैं, तो वह केस अगले वर्किंग डे पर अपील ट्रिब्यूनल में लिस्ट किया जाएगा। बहुत एक्सेप्शनल केस में अगर एप्लीकेशन दोपहर 12 बजे के बाद और 3 बजे तक आ जाती है, तो अपील ट्रिब्यूनल या उसके प्रेसिडेंट की खास परमिशन पर उसे भी अगले दिन लिस्ट किया जा सकता है।
जीएसटी से जुड़े डिस्प्यूट्स को सुलझाने के लिए बनाए गए जीएसटीएटी की बेंच सुबह 10:30 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक और फिर 2:30 से 4:30 बजे तक बैठेगी। हालांकि, इसमें बदलाव का अधिकार प्रेसिडेंट के पास रहेगा। अपील ट्रिब्यूनल के एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिस सभी वर्किंग डेज पर सुबह 9:30 से शाम 6 बजे तक खुले रहेंगे। पिछले साल मई में सरकार ने जस्टिस (रिटायर्ड) संजय कुमार मिश्रा को जीएसटी अपील ट्रिब्यूनल का पहला प्रेसिडेंट नियुक्त किया था। मिश्रा झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रहे हैं और उनकी नियुक्ति चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की अध्यक्षता वाली सर्च-कम-सिलेक्शन कमेटी ने की थी।
कैसा है जीएसटी का स्ट्रक्चर
जीएसटीएटी एक ऊपरी अदालत है, जहां जीएसटी से जुड़े अपने केस में पहली अपील के फैसले से संतुष्ट न हों तो दोबारा अपील कर सकते हैं। इसे सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स एक्ट, 2017 के तहत बनाया गया है। इसमें एक प्रिंसिपल बेंच और अलग-अलग राज्यों में कई स्टेट बेंचें बनाई गई हैं। जीएसटी काउंसिल की मंजूरी के बाद सरकार ने प्रिंसिपल बेंच दिल्ली में और 31 स्टेट बेंच देशभर के अलग-अलग जगहों पर नोटिफाई की हैं। जुडिशियल और टेक्निकल की नियुक्ति का प्रोसेस चल रहा है। ट्रिब्यूनल बनने से जीएसटी डिस्प्यूट्स का निपटारा जल्दी, पारदर्शी और आसान तरीके से होगा, साथ ही हाई कोर्ट पर केसों का बोझ भी कम होगा। जीएसटीएटी की स्थापना जीएसटी सिस्टम को ज्यादा इफेक्टिव और ट्रांसपेरेंट बनाने में मदद करेगी।