खाद्य पदार्थों और स्वास्थ्य सुविधाओं पर जीएसटी जनहित में नहीं!

840

अभी हाल में सरकार का नया फरमान जारी हुआ है कि अब पैकेट में मिलने वाले आटा, दही और पनीर जैसे खाद्य पदार्थों और पांच हजार रुपए से ज्यादा प्रतिदिन किराए वाले अस्पताल के कमरों पर भी जीएसटी टैक्स लगेगा। भोजन सब नागरिकों की जीवित रहने के लिए पहली मूलभूत प्राथमिकता है। इसी तरह वर्तमान चौतरफा प्रदूषित वातावरण के दौर में घर घर गंभीर बीमारी की दस्तक होने के कारण स्वास्थ्य सुविधाएं भी वैसी ही प्राथमिक जरूरत हो गई है जैसे नियमित भोजन है।

WhatsApp Image 2022 07 19 at 7.46.15 PM

यही कारण है कि आम जनता सरकार से भोजन और स्वास्थ्य सुविधाओं की गारंटी चाहती है और एक संवेदनशील लोकतांत्रिक सरकार की यह नैतिक जिम्मेदारी भी बनती है कि वह अपने सभी नागरिकों को स्वास्थ्य वर्धक शुद्ध पौष्टिक भोजन और बीमार होने पर समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराए। इस वर्ष हम आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष मना रहे हैं लेकिन हमारा दुर्भाग्य है कि विगत साढ़े सात दशकों में हम अपने नागरिकों को खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा उपलब्ध नहीं करा पाए। इस परिप्रेक्ष्य में खाद्य पदार्थों और स्वास्थ्य सुविधाओं पर टैक्स लगाना कटे पर नमक छिड़कना और पहले से दुखते घावों को कुरेदना है।

कुछ दिन पहले सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने सरकार को चेताने के लिए कहा था कि सरकार बहुत से फैसले बिना गंभीर विचार विमर्श किए कर रही है। सरकार के ऐसे निर्णय संवैधानिक और लोकतांत्रिक दृष्टि से उचित नहीं हैं। संभव है कि मुख्य न्यायाधीश का इशारा तीन कृषि बिलों की तरफ़ भी हो जिसे एक साल लम्बे चले किसान आंदोलन और सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद सरकार ने वैसे ही आनन-फानन में वापस लिया था जिस तरह से आनन फानन में उन्हें लागू करने का ऐलान हुआ था। इसके बाद कुछ वैसा ही हाल डीजल पेट्रोल के दाम शतक पार करने के समय हुआ था। उसे भी सरकार को वैसे ही नीचे लाना पड़ा था।

WhatsApp Image 2022 07 19 at 7.46.31 PM

पैकेट वाले आटे जैसे खाद्य पदार्थों पर जीएसटी न केवल महंगाई के रिकॉर्ड को और ऊंचा कर आम जनता की कमर तोड़ेगी बल्कि सरकार के जनता और किसान हितैषी होने के दावों को भी झूठा साबित करेगी। सरकार पेट्रोलियम पदार्थों और जी एस टी से संबंधित मामलों में अक्सर यह कहकर बचने की असफल कोशिश करती है कि जीएसटी से संबंधित निर्णय जी एस टी काउंसिल स्वतंत्र रूप से करती है। हम सब जानते हैं कि इस काउंसिल में पदस्थापित सभी सदस्य सरकार द्वारा नामित किए गए उनके अपने ही बंदे होते हैं जो सरकार के इशारे पर ही कदम आगे या पीछे बढ़ाते हैं।

WhatsApp Image 2022 07 19 at 7.46.32 PM

हम एक नागरिक के रूप में खाद्य पदार्थों और स्वास्थ्य सुविधाओं पर टैक्स का कड़ा विरोध करते हैं। पैकेट बंद खाद्य पदार्थ आजकल महिलाओं के सेल्फ हेल्प समूहों द्वारा बहुत बड़े पैमाने पर बनाए जा रहे हैं। खुले खाद्य पदार्थों की तुलना में वे स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बेहतर होते हैं। करों से बचने के लिए जनता, सेल्फ हेल्प समूह और किसान फिर से खुले खाद्य पदार्थ खरीदने और बेचने के लिए मजबूर होंगे जिससे बहुत से महिला सेल्फ हेल्प समूहों के रोजगार और लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ेगा।

गांधी ने कहा है कि किसी भी निर्णय को परखने के लिए यह फॉर्मूला अपनाना चाहिए कि उस फैसले से सबसे गरीब व्यक्ति को लाभ होगा या नुक्सान। इस निर्णय से गरीब जनता को नुकसान ही नुकसान है! इस लिहाज से भी यह निर्णय जन विरोधी है। इसीलिए हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं। यदि आप भी हमारी तरह सोचते हैं तो इस मुहिम को राष्ट्रव्यापी बनाएं।