
Guard of Honour: अब दौरों में मंत्रियों और DGP को नहीं मिलेगी सलामी
Raipur: छत्तीसगढ़ शासन ने पुलिस बल की कार्य क्षमता बढ़ाने और औपनिवेशिक व्यवस्था की प्रतीक मानी जाने वाली परंपराओं को समाप्त करने की दिशा में बड़ा निर्णय लिया है।
राज्य गृह विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार राज्य में सलामी गारद यानी गार्ड ऑफ ऑनर की प्रक्रिया में व्यापक संशोधन किया गया है, जिसे तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
*▪️सामान्य दौरों पर अब नहीं मिलेगा गार्ड ऑफ ऑनर*
▫️नए प्रावधानों के तहत राज्य के भीतर सामान्य दौरे, आगमन, प्रस्थान एवं निरीक्षण के दौरान अब गृह मंत्री, अन्य सभी मंत्रीगण, पुलिस महानिदेशक सहित वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जाएगा। जिला भ्रमण, निरीक्षण या औपचारिक दौरे के समय पूर्व में प्रचलित सलामी व्यवस्था को पूर्णतः समाप्त कर दिया गया है।

*▪️राष्ट्रीय और राजकीय आयोजनों में छूट बरकरार*
▫️हालांकि शासन ने यह स्पष्ट किया है कि यह प्रतिबंध राष्ट्रीय और राजकीय आयोजनों पर लागू नहीं होगा। गणतंत्र दिवस 26 जनवरी, स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त, शहीद पुलिस स्मृति दिवस 21 अक्टूबर, राष्ट्रीय एकता दिवस 31 अक्टूबर, राजकीय समारोह और पुलिस दीक्षांत परेड जैसे अवसरों पर औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर पूर्ववत दिया जाता रहेगा।
*▪️संवैधानिक पदों के लिए व्यवस्था यथावत*
▫️आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि प्रोटोकॉल के अनुसार संवैधानिक पदों पर आसीन महानुभावों एवं विशिष्ट अतिथियों के लिए गार्ड ऑफ ऑनर की व्यवस्था पूर्व की तरह जारी रहेगी। इन पदों के लिए किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया गया है।
*▪️औपनिवेशिक परंपराओं से मुक्ति की दिशा में कदम*
▫️गृह विभाग का मानना है कि इस निर्णय से पुलिस बल को अनावश्यक औपचारिकताओं से मुक्त कर उसकी कार्यक्षमता और जवाबदेही को और मजबूत किया जा सकेगा। साथ ही औपनिवेशिक मानसिकता से जुड़ी परंपराओं को समाप्त कर आधुनिक और व्यावहारिक प्रशासनिक व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।





