MP के अतिथि शिक्षकों को नहीं मिलेगा नियमितिकरण का लाभ, हाईकोर्ट जाने के बाद भी नहीं मिला कोई फायदा
भोपाल. मध्यप्रदेश के अतिथि शिक्षकों को हाईकोर्ट जाने के बाद भी अन्य राज्यों की तर्ज पर नियमितिकरण का लाभ नहीं मिल पाएगा। राज्य शासन ने मध्यप्रदेश के भर्ती नियमों के आधार पर एमपी के अतिथि शिक्षकों को नियमितिकरण का लाभ देने से इंकार कर दिया है।
मध्यप्रदेश के अतिथि शिक्षक सुनील पिथलोड़े सहित साठ अतिथि शिक्षकों ने अन्य राज्यों की तर्ज पर एमपी के अतिथि शिक्षकों को नियमित किए जाने के लिए उच्च न्यायालय की जबलपुर और ग्वालियर तथा इंदौर खंडपीठ मे याचिकाएं लगाई थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ताओं के प्रकरणों का मध्यप्रदेश में शिक्षकों की भर्ती के संबंध में प्रचलित नियमों का अध्ययन करते हुए उनके प्रकरणों का निराकरण करने के निर्देश दिए थे।
अतिथि शिक्षकों ने कहा था कि वे शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण है तथा डीएड और बीएड प्रशिक्षित है उन्हें तीन साल से लेकर पंद्रह सालों तक अतिथि शिक्षक के रुप में पढ़ाने का अनुभव है। अन्य राज्यों में भी अतिथि शिक्षकों को नियमित किया गया है इस आधार पर उन्हें नियमित किया जाए।
स्कूल शिक्षा विभाग ने शैक्षणिक संवर्ग के सेवा शर्ते और भर्ती नियमों के अनुसार रिक्त पदों की पूर्ति के लिए प्रावधानों का हवाला दिया। इन प्रावधानों के अनुसार शिक्षक पात्रता परीक्षा के उपरांत शिक्षक चयन परीक्षा के माध्यम से शिक्षक भर्ती का प्रावधान है। इसमें अतिथि शिक्षको के लिए यह प्रावधान है कि शैक्षणिक संवर्ग के अंतर्गत सीधी भर्ती के शिक्षकों के पदों के लिए उपलब्ध रिक्तियों की पच्चीस फीसदी रिक्तियां अतिथि शिक्षकों के लिए आरक्षित रखी जाएंगी। जिनके द्वारा न्यूनतम तीन शैक्षणिक सत्रों में दो सौ दिन मध्यप्रदेश शासन द्वारा संचालित शासकीय विद्यालयों में अतिथि शिक्षक के रुप में काम किया हो। परन्तु अतिथि शिक्षकों के लिए आरक्षित पदों की पूर्ति नहीं हो पाने की स्थिति में रिक्त रहे पदों की अन्य पात्रताधारियों से भरा जाएगा। शिक्षक भर्ती हेतु आयोजित परीक्षा में पच्चीस फीसदी पद अतिथि शिक्षकों हेतु आरक्षित किए गए है। इस अनुसार कार्यवाही की जाती है। इसलिए अतिथि शिक्षकों को सीधे नियमित करने का कोई प्रावधान नियम नहीं है इसलिए पच्चीस फीसदी आरक्षण के आधार पर शिक्षकों को प्रवर्गवार मेरिट क्रम में नियुक्त किया जाएगा।