Guidelines Regarding ICU : परिवार की सहमति पर ही मरीज ICU में भर्ती होगा! 

केंद्र सरकार ने ICU में भर्ती को लेकर गाइडलाइन जारी की!

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Guidelines Regarding ICU : परिवार की सहमति पर ही मरीज ICU में भर्ती होगा! 

New Delhi : केंद्र सरकार ने गंभीर मरीजों के आईसीयू में भर्ती करने को लेकर नई गाइडलाइन जारी की है। इसके मुताबिक, परिवार के लोगों की सहमति के बिना अस्पताल मरीज को आईसीयू में एडमिट नहीं कर सकेंगे। इसके अलावा यदि किसी मरीज का इलाज नहीं हो पा रहा, सेहत में सुधार नहीं हो रहा तो अस्पताल जानबूझकर उसे आईसीयू में नहीं रख सकेंगे। प्राइवेट हॉस्पिटल में आईसीयू बेड के चार्ज नॉर्मल बेड की तुलना में 5-10 गुना अधिक होते हैं। ऐसे में अक्सर प्राइवेट हॉस्पिटल में बेवजह आईसीयू बेड में भर्ती करवाने के मामले सामने आए हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने 24 डॉक्टरों की टीम की सिफारिशों के आधार पर यह गाइडलाइन जारी की है। इन एक्सपर्ट्स के मुताबिक, महामारी या आपदा की स्थिति में जहां साधन सीमित हों, वहां जरूरतमंद मरीज को प्राथमिकता दिए जाने को कहा गया है। आईसीयू में इन्हें भर्ती करवाएं गाइडलाइन के मुताबिक, अगर किसी मरीज को हेमो डायनामिक इनस्टेबिलिटी, ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत हो, सांस लेने में दिक्कत हो रही हो, मेजर हार्ट अटैक आया हो, कार्डियक अरेस्ट हुआ हो, खून की उल्टियां हो रही हों, ऑर्गन सपोर्ट की जरूरत हो, मेडिकल कंडीशन या बीमारी गंभीर होने की संभावना हो, तो उन्हें आईसीयू में भर्ती किया जा सकता है।

इसके अलावा, ऐसे पेसेंट जिन्हें बेहोशी की हालात में रेस्पिरेटरी सपोर्ट की जरूरत पड़े, क्रिटिकल बीमारी की कंडीशन में इंटेंसिव मॉनिटरिंग की जरूरत पड़े, सर्जरी के बाद जब तबीयत बिगड़ने का डर हो, मेजर इंट्राऑपरेटिव कॉ पलिकेशंस से गुजर रहा हो, उन्हें आईसीयू में भर्ती किया जा सकता है। आईसीयू में मरीजों की ये सुविधाएं भी मिलनी चाहिए। गाइडलाइंस में यह भी बताया गया कि अस्पताल के आईसीयू बेड में ब्लड प्रेशर, प्लस रेट, रेस्पायरेटरी रेट, ब्रीथिंग पैटर्न, हार्ट रेट, ऑक्सीजन सेचुरेशन, यूरीन आउटपुट और न्यूरोलॉजिकल स्टेट्स समेत अन्य पैरामीटर की जांच होनी चाहिए।

मरीज की कंडीशन नॉर्मल होने या बेसलाइन स्टेटस पर आने के बाद अस्पताल को उन्हें आईसीयू से डिस्चार्ज कर देना चाहिए। आईसीयू गाइडलाइन बनाने वाले पैनल में शामिल डॉक्टर आरके मणि ने कहा कि आईसीयू एक लिमिटेड रिसोर्स है। गाइडलाइन बनाने का मकसद है कि जिन लोगों को सबसे ज्यादा जरूरत हो उन्हें आईसीयू मिल सके। इंडियन कॉलेज ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन के सचिव डॉ. सुमित रे ने कहा कि ये सिर्फ सलाह है, बंदिशें नहीं। आईसीयू में एडमिशन और डिस्चार्ज क्राइटेरिया मरीज की कंडीशन पर निर्भर करता है और इसे इलाज करने वाले डॉक्टर के विवेक पर बहुत कुछ छोड़ दिया गया है।

देश में एक लाख आईसीयू बेड   

रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश में लगभग 1 लाख आईसीयू बेड हैं, जिनमें से अधिकतर प्राइवेट हॉस्पिटल में हैं। एडवोकेट और पब्लिक हेल्थ एक्टिविस्ट अशोक अग्रवाल ने कहा कि गरीब लोग जो प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज नहीं करवा पाते हैं, उन्हें आईसीयू बेड आईसीयू बेड आसानी से नहीं मिल पाता है। मरीजों को उनकी कंडीशन के बेस पर आईसीयू देखभाल के लिए प्राथमिकता देने का विचार आपदा की स्थिति के लिए अच्छा हो सकता है, लेकिन सामान्य तौर पर सरकार को सभी को महत्वपूर्ण देखभाल प्रदान करने के लिए पर्याप्त सुविधाएं सुनिश्चित करने की दिशा में काम करना चाहिए।