
गुलाब चक्कर महका गजलों की मीठी-मीठी आवाजों से, संगीतकारों की जुगलबंदी ने लगाए चार चांद!
कहीं गालिब, कहीं मीरा, कहीं रसखान है भारत!
“गजलों में आशीष” आयोजन में स्वर श्रंगार की सुरीली पेशकश!
Ratlam : कोई पूछे तो हमसे किस क़दर धनवान है भारत, कहीं गालिब, कहीं मीरा, कहीं रसखान हैं भारत,…….प्यार की बारिश में आज नहाया जाए, दिल के हर दर्द को आज भुलाया जाए…और ऐसी कई गजलों से गुलाब चक्कर की शाम सराबोर हो गई। अवसर था अपनी स्थापना के 38 वर्ष पूर्ण कर रही संस्था स्वर श्रंगार द्वारा आयोजित “गजलों में आशीष “कार्यक्रम का। शहर के युवा रचनाकार आशीष दशोत्तर की गजलों की प्रस्तुति से संगीतमय हुआ वातावरण शहर को यह संदेश भी दे गया कि अपने घर के रचनाकार की सुध लेने से शहर समृद्ध होता है। इस अवसर पर एडवोकेट कैलाश व्यास ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि-
17 अगस्त का दिन हमारे इतिहास में अत्यन्त महत्वपूर्ण है, आज ही के दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर शहीद श्री मदनलाल धींगरा को अंग्रेज हुकूमत ने कर्नल वायली की हत्या के जुर्म में लंदन में फांसी दी थी, आज ही हिन्दी- संस्कृत के परम समर्थक और रामकथा के विलक्षण विद्वान फादर कामिल बुल्के जिन्हें “बाबा बुल्के“ के नाम से सब लोग जानते हैं, उनकी पुण्यतिथि हैं और आज ही बृजमंडल में नंदोत्सव मनाया जाता हैं, ऐसे दिवस को रतलाम के ऐतिहासिक गुलाब चक्कर में गजल-सुर संगम का आयोजन त्रिवेणी पर्व बन गया है जो आनंदित करता है! कैलाश व्यास ने आशीष दशोत्तर के बहुप्रतिभाशाली व्यक्तित्व की प्रसंशा भी की, संगीतकार अशफाक जावेदी के संयोजन में प्रस्तुत गजल निशा का यह कार्यक्रम शहर की जीवंत साहित्य और संगीत की संस्कृति को ताजा कर गया।

बारह रागों में निबद्ध गजलें गाई!
आशीष दशोत्तर द्वारा लिखित और संगीतकार अशफाक जावेदी द्वारा बारह रागों में निबद्ध 20 से अधिक गजलों को कलाकारों ने अपनी आवाज में प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। राग यमन में नयन सुभेदार और रानी शर्मा की आवाज में सरस्वती वंदना से शुरू हुआ सुरीला सफर गजलों के जरिए जिन्दगी के फलसफे पेश करता गया। राग भोपाली में गजल “होते हैं नए लोग” (आशीष मेहता), राग अहीर भैरव में “इसमें न कुछ कमी करना” (संजय परसाई ‘सरल’), राग कलावती में “कोई पूछे कि हमसे” (अल्फिया ख़ान), राग पूर्वी में “महज इक खेल” (नयन सुभेदार), राग भैरवी में “किया तो हमने कभी”( रानी शर्मा ), “ये जो मगरूर आदमी” (जलज शर्मा), राग तोडी में “प्यार की बारिश में” (अशफाक जावेदी), राग कलावती में “कभी सूरत से तो ” (अल्फिया खान), राग दरबारी में निबद्ध “खिले गुलाब” (नयन सुभेदार), राग अहीर भैरव में “जहां जैसा मिला” (रानी शर्मा), “ज़माना हो गया” (जलज शर्मा) तथा राग यमन में निबद्ध ग़ज़ल “ले के आया हैं मुकद्दर”
(अशफाक जावेदी) ने प्रस्तुत की। राग पूर्वी में ग़ज़ल “देख ले झूठा तेरा डर” (संजय परसाई ‘सरल’), शिवरंजनी में “निभाते हैं रिश्ता नया” (नयन सुभेदार) और राग अहीर भैरव में गजल “पड़ेगा अंधेरों ने तुम्हें “जलज शर्मा ने प्रस्तुत कर समां बांधा। संगत वसीम खोइया, तल्लीन त्रिवेदी, शादाब जावेदी ने की। संचालन दुर्गेश सुरोलिया ने किया।
नई ऊर्जा देता आयोजन!
जनसंपर्क अधिकारी शकील खान ने कहा कि ऐसे आयोजन सुकून देते हैं। इरफान खान ने आयोजन को सुखद बताया। वरिष्ठ रंगकर्मी कैलाश व्यास ने इस अवसर को शहर के लिए अनुपम बताते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन ऊर्जा देते हैं और शहर की युवा पीढ़ी को प्रेरणा। विनोद झालानी ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम आज की आवश्यकता हैं। अनुनाद संस्था अध्यक्ष अजीत जैन, सुनील निरंजनी ने आशीष दशोत्तर का सम्मान किया।
इनकी रहीं मौजूदगी!
आयोजन में वरिष्ठ रचनाकार प्रोफेसर रतन चौहान, रंगकर्मी ओमप्रकाश मिश्रा, साहित्यकार, एडवोकेट कैलाश व्यास, विनोद झालानी, अश्विनी शुक्ला, आईएल पुरोहित, नरेंद्र सिंह डोडिया, विनोद संघवी, कीर्ति शर्मा, पत्रकार रमेश सोनी, रविंद्र उपाध्याय, मीनाक्षी कौशल, अनुनाद अध्यक्ष अजीत जैन, कुलदीप शर्मा, नरेंद्रसिंह शेखावत, आरिफ मंसूरी, मनोज सोलंकी, जयेश शर्मा, धनंजय तबकड़े, निसार पठान, मनोज जोशी, घनश्याम मकवाना, सुहास चितले, विजेन्द्र सिंह सिसौदिया, नरेंद्र सिंह चौहान सहित सुधिजन मौजूद थे!





