Gurugranth Saheb Controversy : क्यों हुआ गुरुग्रंथ साहिब को लेकर विवाद, सिंधियों ने क्यों गुरुद्वारे को लौटाए!

निहंग सिखों की कौनसी माँग के बाद सिंधी समुदाय ने गुरुद्वारे में जमा कराए ग्रंथ!

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Gurugranth Saheb Controversy : क्यों हुआ गुरुग्रंथ साहिब को लेकर विवाद, सिंधियों ने क्यों गुरुद्वारे को लौटाए!

Indore : सिंधी समुदाय ने गुरुद्वारा इमली साहिब में 80 से अधिक श्री गुरुग्रंथ साहिब जमा करवा दिए। ये पवित्र धर्मग्रंथ दशकों से सिंधी मंदिरों में रखे गए थे। यह फैसला इंदौर के एक सिंधी गुरुद्वारे में निहंग सिखों और सिंधी समुदाय के सदस्यों के बीच हुए विवाद के बाद आया। सिंधी समुदाय ने यह फैसला निहंग सिखों के एक समूह द्वारा उन मंदिरों से मूर्तियों को हटाने की माँग के बाद लिया, जहांँ गुरुग्रंथ साहिब रखे गए थे। सिंधी समुदाय ने ग्रंथ को जवाहर मार्ग स्थित गुरुद्वारा इमली साहिब में लाकर सम्मान के साथ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को सौंप दिया।

मामला तब शुरू हुआ, जब अमृतसर के निहंग सिखों के एक समूह ने इंदौर के अन्नपूर्णा रोड स्थित सिंधी समाज के मंदिर का दौरा किया। इस मंदिर में सिंधी समाज के लोग गुरुग्रंथ साहिब की भी पूजा करते थे। निहंग समूह ने इस बात पर नाराजगी जताई कि उनके पवित्र ग्रंथ को ऐसे स्थान पर रखा गया है, जहाँ मूर्तियों की पूजा की जाती है। उन्होंने इसे पवित्र ग्रंथ का अपमान बताया।

सिंधी मंदिर में गुरुग्रंथ साहिब का अपमान करने का आरोप लगाते हुए निहंग सिखों का जत्था थाने तक पहुँच गया। उन्होंने दावा किया कि जब किसी स्थान पर गुरुग्रंथ साहिब की पूजा की जाती है, तो वह गुरुद्वारा बन जाता है। इसलिए उस स्थान को गुरुद्वारों पर लागू नियमों का पालन करना चाहिए। उन्होंने माँग की कि जिन सिंधी मंदिरों में सिख पवित्र पुस्तक रखी गई है, उन्हें गुरुद्वारा घोषित किया जाना चाहिए।

निहंग सिखों ने कहा कि जहाँ गुरुग्रंथ साहिब की पूजा होती है, वहाँ पूरी गरिमा के साथ पूजा की जानी चाहिए और मंदिरों से मूर्तियों को हटा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके ग्रंथी सिंधी मंदिरों में ग्रंथ की पूजा करने आएँगे। निहंगों ने आगे कहा कि अगर यह माँग नहीं मानी जाती है तो मंदिरों में ग्रंथ नहीं रखा जाना चाहिए।

 

निहंग सिखों का जत्था गुरुग्रंथ साहिब उठा ले गया

इसके बाद एक निहंग सिख जत्था राजमहल कॉलोनी स्थित एक सिंधी गुरुद्वारे में गया और वहाँ से ग्रंथ उठा ले गया। उन्होंने फिर एक अल्टीमेटम जारी किया, जिसमें सिंधी समुदाय को पवित्र पुस्तक को जमा करने के लिए कहा गया। निहंग समूह के साथ हिंदू जागरण मंच के सदस्यों की बहस भी हुई और उन्होंने निहंगों पर समाज को तोड़ने का आरोप लगाया।

 

सिंधी समाज का फैसला

इसके बाद सिंधी समाज के संतों ने एक बैठक की और मामले को तय करने के लिए पाँच सदस्यों का एक पैनल चुना। विस्तृत विचार-विमर्श के बाद उन्होंने निहंगों की माँगों के अनुसार, सिंधी मंदिरों से गुरुग्रंथ साहिब को हटाने और उन्हें गुरुद्वारे में जमा करने का फैसला किया। सिंधी कमेटी ने कहा कि वे निहंग कमेटी के फैसले को मान रहे हैं और 12 जनवरी तक श्री गुरुग्रंथ साहिब को गुरुद्वारे में जमा करवा देंगे, वही उन्होंने किया भी।

सिंधी कमिटी के सदस्यों ने कहा कि निहंग सिखों से इस मामले पर विवाद करने की जरूरत नहीं है। इससे बेहतर है कि दी गई समय सीमा तक सिंधी मंदिरों से धार्मिक ग्रंथ को हटा दिया जाए। इसके बाद उन्होंने समय सीमा से एक दिन पहले 11 जनवरी को गुरुद्वारे में ग्रंथ को जमा करा दिया।

 

गुरुग्रंथ साहिब की पूजा बरसों पुरानी प्रथा

सिंधी समुदाय लंबे समय से गुरुग्रंथ साहिब को अपने मंदिरों में रखता रहा है। गुरुग्रंथ साहिब की पूजा करना उनके कर्मकांड का हिस्सा बन गया है। इसका कारण कई सैकड़ों वर्ष पुराना है, जब अधिकांश सिंध समुदाय वर्तमान पाकिस्तान में रहा करते थे।

सिंधी हिंदू गुरु नानक की शिक्षाओं से बहुत प्रभावित थे, क्योंकि उन्होंने सिंध क्षेत्र का दौरा किया था और क्षेत्र में अपने दर्शन का प्रसार किया था। उस समय से सिंधी लोग अपने मंदिरों में गुरु नानक और गुरुग्रंथ साहिब का पालन कर रहे हैं। वे अन्य हिंदू ग्रंथों के साथ अपने मंदिरों में इसे रखते हैं।

ऐसे मंदिरों में मंदिर के एक तरफ गुरु ग्रंथ साहिब रखा जाता है और दूसरी तरफ सभी देवी-देवताओं की मूर्तियाँ रखी जाती हैं। हालाँकि, वे गीता जैसे अन्य पाठों के साथ-साथ अपने स्वयं के अनुष्ठानों के अनुसार ग्रंथ की पूजा करते हैं, न कि सिख रीति-रिवाजों के अनुसार।

शिरोमणि पंथ अकाली बुढ़ा दल पंजवा तख्त 96 करोड़ी चक्रवर्ती के निहंग सिखों के एक समूह ने 18 दिसंबर 2022 को इंदौर के पार्श्वनाथ कॉलोनी में स्थित एक सिंधी मंदिर का दौरा किया। उस दिन का एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहा है।

इस वीडियो में एक महिला उन निहंग सिखों से बहस करती दिख रही है और कह रही कि वे सिंधी मंदिर में बिना अनुमति के घुस आए हैं। इसलिए वे बाहर चले जाएँ। दूसरी ओर निहंग सिखों ने माँग की कि श्री गुरुग्रंथ साहिब के प्रकाश को स्थापित करने के लिए सिख धर्म में निर्धारित नियमों का पालन किया जाए।