

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो सदाशिवः…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
गुरु की महिमा का वर्णन करने में शास्त्र भी पार नहीं पा सके हैं। गुरु की तुलना किसी से भी नहीं हो सकती। गुरु की महिमा का वर्णन करने के लिए कई श्लोक और मंत्र हैं। एक श्लोक है-गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो सदाशिवः। ना गुरोरधिकः कश्चिन्त्रिषु लोकेषु विद्यते।। अर्थात गुरु ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं। तीनों लोकों में गुरु से बढ़कर कोई नहीं है।
आज हम बात कर रहे हैं हमारे गुरु संत श्री रावतपुरा सरकार की। 5 जुलाई 2025 को श्री सद्गुरु प्राकट्य महोत्सव 2025 के पावन अवसर पर, 75 फीट ऊँची भगवान सदाशिव की दिव्य प्रतिमा का लोकार्पण, श्री रावतपुरा सरकार आश्रम, वेदांती परिसर, सागर (मध्यप्रदेश) में संपन्न हुआ। श्रेष्ठतम आध्यात्मिक संत श्री रावतपुरा सरकार के लाखों शिष्य उनके प्राकट्य दिवस पर गुरु की आराधना करते हैं। उनके शिष्यों में राजनेता, नौकरशाह, न्यायाधीश, खास और आमजन शामिल हैं। कभी चमत्कारों के साथ पूरी दुनिया में विख्यात हुए संत श्री रावतपुरा सरकार अब पूरी तरह से आध्यात्मिक जीवन को समर्पित हैं। और वह साफ-साफ कहते हैं कि चमत्कारों से दूर रहकर भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ें। ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत् ‘ यानि सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े। इसी भाव के साथ संत श्री रावतपुरा सरकार रवि शंकर महाराज का जीवन लोक कल्याण को समर्पित है। संत श्री रावतपुरा सरकार पर्यावरण संरक्षण के पर्याय बन गए हैं। वह 15 लाख वृक्ष तैयार कर चुके हैं और प्राकट्य दिवस पर उन्होंने आगामी 3 महीने में एक लाख पौधारोपण करने का संकल्प साझा किया है। अर्थ के इस युग में उन्होंने सभी से कठोर परिश्रम कर अर्थवान बनने की शिक्षा दी है लेकिन इसके साथ सेवा, समर्पण, भक्ति और बुराइयों से दूर रहने का संकल्प लेने की बात भी कही है।
वर्ष 2024 में संत रविशंकर महाराज ने अपना जन्मदिन अपने जन्म स्थान छिपरी जिला टीकमगढ़ में मनाया था। यहां गांव की जी पहाड़ी पर वह बचपन में खेला करते थे वहां पर आज बड़ा आश्रम तैयार हो गया है। 2024 में प्राकट्य दिवस पर 5 जुलाई को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार सहित अनेक गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में सदाशिव की ऐसी ही विशाल मूर्ति का लोकार्पण हुआ था। महज 9 वर्ष की आयु में अपने घर से विदा लेकर आध्यात्म की यात्रा पर निकले रविशंकर महाराज पूरे 47 वर्ष बाद 4 जुलाई 2024 को अपने घर पहुंचे थे। यह परिजनों के लिए आनंदित करने के साथ ही भावुक करने वाला पल था। किसी को उम्मीद नहीं थी कि वह अपने घर आएंगे। ब्रह्मचर्य धारण कर संत जीवन में प्रवेश करने के बाद रविशंकर महाराज पहली बार अपने घर पहुंचे थे। जब परिजनों को सूचना हुई थी कि रविशंकर महाराज घर आ रहे हैं तो एक बार तो किसी को विश्वास ही नहीं हुआ, क्योंकि वह पहले भी कई बार छिपरी आ चुके थे, लेकिन एक बार भी घर नहीं गए थे। उनके घर आने की सूचना मिलते ही पूरा परिवार खुश हो उठा। यहां पहुंचे संत रविशंकर महाराज ने सबसे पहले उस कक्ष में प्रवेश किया था, जहां उनका जन्म हुआ था। इसके बाद आंगन में बने तुलसीघरा का पूजन किया और बाहर आकर उस नीम के पेड़ को भी प्रमाण किया था, जिस पर वह बचपन में चढ़कर खेला करते थे। पड़ोसियों से मुलाकात की और सभी का हाल-चाल जाना था। कुछ देर रूकने के बाद वह वापस शारदा पहाड़ी पर अपने आश्रम पहुंच गए थे।
1977 के बाद से वह पहली बार अपने घर गए थे। वहीं छिपरी में उनकी उपस्थिति में पहली बार जन्मोत्सव का कार्यक्रम मनाया गया था।
तो गुरु की महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता है। और सबसे बड़ी खुशी की बात यह है कि वेदांती आश्रम सागर में अपने प्राकट्य दिवस पर संत श्री रावतपुरा सरकार ने यह घोषणा की है कि रायपुर में 18 महीने में दीन दुखियों की सेवा के लिए हार्ट और कैंसर के दो बड़े अस्पतालों का कार्य पूरा हो जाएगा। उनकी यह सभी प्रयास रोगों से ग्रस्त दुखीजनों की सेवा को समर्पित हैं। और 5000 भक्तों के सहयोग से यह दोनों अस्पताल 18 महीने में आकार ले लेंगे।
सागर में सदाशिव मूर्ति के लोकार्पण में शामिल हुए उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला के भाव संत श्री रावतपुरा सरकार के त्याग, समर्पण और संतत्व को ही समर्पित हैं। राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि तन, मन और जीवन को समर्पित करने वाला व्यक्ति ही संत बन सकता है, और यही कार्य हमारे संत श्री रविशंकर महाराज कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि धर्म सनातन की ध्वजा लेकर देश और प्रदेश को समृद्ध बनाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि रावतपुरा सरकार का संकल्प है कि 11 सदाशिव शंकर जी की मूर्तियाँ स्थापित की जाएंगी, जिनमें से सागर में 75 फीट ऊँची सदाशिव की मूर्ति का लोकार्पण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तेरा तुझको अर्पण, मेरा क्या लागे की भावना की तर्ज पर ही सरकार कार्य कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि संतों की वाणी पर कोई तर्क नहीं किया जा सकता; उनकी वाणी को श्रद्धा से ग्रहण कर उसे आगे बढ़ाने का कार्य किया जाना चाहिए। रावतपुरा सरकार द्वारा देशभर में 200 स्थानों पर शिक्षा, स्वास्थ्य और जनकल्याण की संस्थाएँ संचालित की जा रही हैं। शिक्षा की संस्थाएँ खोलकर गरीबों को शिक्षित करने का कार्य कर समाज को नई दिशा प्रदान की जा रही है। उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने कहा कि रावतपुरा सरकार ने हमें दो मंत्र दिए हैं, जिन पर मैं चल रहा हूँ। पहला, मंदिरों को बेहतर बनाएं और दूसरा यदि कोई व्यक्ति आपके समक्ष अपनी समस्या लेकर आए, तो उसका कार्य तत्काल करें। इससे हमें आत्मिक शांति मिलती है।
ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि वर्ष 1990 में हम रावतपुरा सरकार के चरणों में पहुँचे और लगभग 10 से 11 वर्षों तक उनके आशीर्वाद और तपस्या का लाभ प्राप्त किया। उनकी तपस्या से मिली अनुशासन और ऊर्जा की सीख से आज मैं देश और प्रदेश की सेवा कर पा रहा हूँ। उन्होंने कहा कि मौन साधना भी एक बड़ी तपस्या होती है, और यह रावतपुरा सरकार में विद्यमान है।
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि श्रद्धा, भक्ति और आस्था का महाकुंभ है रावतपुरा सरकार का जन्मोत्सव, प्रकटोत्सव। मंत्री राजपूत ने कहा कि रावतपुरा सरकार के व्यक्तित्व में सज्जनता, निर्मलता, धैर्य और दया भाव कूट-कूटकर भरे हैं। वे निरंतर धर्म, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि रावतपुरा सरकार ने वेदांती को एक तीर्थ स्थल बना दिया है, जहाँ मथुरा, काशी और वृंदावन का अनुभव वेदांती धाम में प्राप्त होता है।
रहली विधायक एवं पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि रावतपुरा सरकार धाम में जो कार्य हुए हैं, वे यूरोप और अमेरिका से भी श्रेष्ठ हैं। उन्होंने यह भी कहा कि रावतपुरा सरकार चिकित्सा, तकनीक और शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करते हुए गरीबों के कल्याण के लिए समर्पित भाव से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वेदांती में सदाशिव की मूर्ति की स्थापना से भक्ति और पर्यटन का एक नया अध्याय प्रारंभ होगा। सरकार के भीतर अलौकिक ईश्वरीय ज्ञान विद्यमान है।
विधायक एवं पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले 25 वर्षों से हमें रावतपुरा सरकार का आशीर्वाद प्राप्त है, और उसी आशीर्वाद से हम नई ऊर्जा के साथ क्षेत्र की सुख-समृद्धि के लिए कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का तप, तपस्या और ज्ञान हम सभी को नई ऊर्जा प्रदान करता है। स्वास्थ्य सहित विभिन्न क्षेत्रों में महाराज जी द्वारा निरंतर सेवा का कार्य किया जा रहा है। संत हमारी आत्मा को प्रकाश देने का कार्य करते हैं। महाराज जी के चरणों में नमन करते हुए हम यही कामना करते हैं कि उनकी कृपा और आशीर्वाद सदैव बना रहे। उन्होंने बताया कि मात्र 9 वर्ष की आयु में रावतपुरा सरकार ने त्याग और साधना का मार्ग चुनते हुए धर्म, देश और समाज के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
विधायक शैलेन्द्र जैन ने कहा कि रावतपुरा सरकार ने मुझे बिना माँगे सब कुछ प्रदान किया है, और वे इसी प्रकार सभी को सब कुछ प्रदान करते हैं। जैन ने कहा कि रावतपुरा सरकार की तपस्या अद्भुत और अनुकरणीय है। उनमें सरलता, सौम्यता और विलक्षण व्यक्तित्व का खजाना है। वे प्रेरणा के पुंज हैं। उनकी प्रेरणा पर चलकर हम सभी को अपना जीवन जीना चाहिए।
संत श्री रावतपुरा सरकार एवं अन्य संतो के साथ सभी अतिथियों द्वारा सदाशिव शंकरजी की मूर्ति का पूजन-अर्चन कर लोकार्पण किया। साथ ही परिसर में फलदार पौधे भी रोपे। संत रावतपुरा सरकार ने सभी भक्तों से अनुरोध किया है कि आगामी एक सप्ताह में वह कम से कम एक पौधा जरूर रोपें।
संत श्री रावतपुरा सरकार महाराज के बारे में इन राजनेताओं द्वारा व्यक्त किए गए भाव अक्षरशः सत्य हैं और यह उनके व्यक्तित्व और कृतित्व की एक बूंद मात्र हैं। और मेरा रोम-रोम भी मेरे गुरु संत श्री रावतपुरा सरकार के आशीर्वाद और कृपा से धन्य और पुलकित है। लोक कल्याण को समर्पित सद्गुरु रावतपुरा सरकार का आशीर्वाद और कृपा यूं ही सब पर बरसती रहे, इन्हीं शब्दों के साथ गुरु के चरणों में कोटि कोटि नमन… मेरे लिए बस यही अक्षरशः सत्य है कि गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु र्गुरुर्देवो सदाशिवः। ना गुरोरधिकः कश्चिन्त्रिषु लोकेषु विद्यते।।